Thursday, April 25, 2024
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शिवसेना ने साधा योगी आदित्यनाथ पर निशाना, कहा-कानपुर मुठभेड़ ने उत्तर प्रदेश सरकार की पोल खोल दी

शिवसेना ने सोमवार को कहा कि कानपुर मुठभेड़ ने ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ उत्तर प्रदेश सरकार की पोल खोल दी है और इस घटना से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज्य में गुंडई खत्म करने के दावे पर सवाल खड़े हो गए हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 06, 2020 13:29 IST
Kanpur encounter exposed encounter specialist UP govt: Shiv Sena- India TV Hindi
Image Source : FILE Kanpur encounter exposed encounter specialist UP govt: Shiv Sena

मुंबई: शिवसेना ने सोमवार को कहा कि कानपुर मुठभेड़ ने ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ उत्तर प्रदेश सरकार की पोल खोल दी है और इस घटना से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज्य में गुंडई खत्म करने के दावे पर सवाल खड़े हो गए हैं। कानपुर में मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया कि ‘उत्तम प्रदेश’ अब पुलिसकर्मियों के खून से रक्तरंजित है और इस घटना ने देश को स्तब्ध कर दिया है।

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पिछले सप्ताह कानपुर के निकट एक गांव में एक पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या गैंगेस्टर विकास दुबे के गुंडों ने कर दी। मुख्य आरोपी विकास दुबे का एक सहयोगी गिरफ्तार हुआ है जबकि दुबे खुद फरार है। शिवसेना ने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि दुबे घटना के बाद नेपाल फरार हो गया है। मराठी मुखपत्र सामना में कहा गया कि भारत का संबंध नेपाल के साथ अभी अच्छा नहीं है।

संपादकीय में यह उम्मीद जताई गई है कि भारत के लिए दुबे नेपाल में दाऊद जैसा न साबित हो। मुखपत्र में प्रत्यक्ष तौर पर दाऊद का जिक्र उन खबरों के हवाले से किया गया जिनमें यह बताया गया है कि दाऊद इब्राहीम भारत से भागने के बाद पाकिस्तान में रह रहा है। शिवसेना ने कहा, ‘‘कानपुर में पुलिसकर्मियों की हत्या ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट उत्तर प्रदेश सरकार की पोल खोल दी।’’

सामना में कहा गया कि कानपुर की इस घटना ने चार दशक पहले नाथुपुर में एक गिरोह द्वारा पुलिस कर्मियों की हत्या की याद दिला दी। सामना में आश्चर्य जताया गया कि जब 40 साल बाद भी पुलिसकर्मियों की हत्या हो रही है तो आदित्यनाथ सरकार में क्या बदला है? उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा कि उत्तर प्रदेश दशकों से गुंडों के गिरोह और उसके अपराधों की वजह से बदनामी झेल रहा है। कई बार ऐसा दावा किया गया कि मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में गुंडई खत्म हो गई लेकिन कानपुर में पुलिस कर्मियों की हत्या ने इन दावों की पोल खोल दी।

संपादकीय में कहा गया कि योगी आदित्यनाथ के तीन साल के शासन में अब तक 113 से ज्यादा गुंडों को मुठभेड़ में मारा गया लेकिन इस सूची में दुबे का नाम कैसे शामिल नहीं था। शिवसेना ने सवाल किया कि दुबे के खिलाफ हत्या और डकैती समेत 60 से ज्यादा अपराध के मामले दर्ज थे लेकिन वह सबूत के अभाव में कैसे बच गया। मराठी मुखपत्र में पूछ गया कि योगी सरकार के पास इस आरोप के क्या जवाब हैं कि मुठभेड़ की सूची उत्तर प्रदेश पुलिस और सरकार की सुविधा के हिसाब से तैयार की गई थी।

कानपुर मुठभेड़ के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने दुबे के आवास को अवैध बताते हुआ तोड़ दिया। इसका हवाला देते हुए शिवसेना ने पूछा कि लेकिन उन शहीद पुलिसकर्मियों के घरों का क्या? क्या मारे गए पुलिसकर्मियों के माता-पिता को उनका बेटा वापस मिल जाएगा, क्या उनके बच्चों को अपना पिता वापस मिल जाएगा?

शिवसेना ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश प्रशासन को दुबे के आवास के अवैध होने की गुप्त जानकारी आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद मिलती है। शिवसेना ने बिना ब्योरा दिए हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में गुंडागर्दी का असर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई पर है और इसलिए कानपुर में पुलिसकर्मियों की हत्या गंभीर मामला है।

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