Friday, May 17, 2024
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ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अब 8 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का दावा है कि यह केस सुनवाई योग्य नहीं है। इस मुकदमा को खारिज कर दिया जाना चाहिए। वहीं हिंदू पक्ष का कहना है कि मुकदमा सुनवाई योग्य है। मस्जिद वक्फ की प्रॉपर्टी है या नहीं यह तय करने का अधिकार सिविल कोर्ट को है।

Shashi Rai Written By: Shashi Rai @km_shashi
Updated on: October 27, 2022 15:05 IST
ज्ञानवापी मस्जिद- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO ज्ञानवापी मस्जिद

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अब 8 नवंबर को अगली सुनवाई होगी। भगवान आदि विशेश्वर विराजमान का केस सुनवाई योग्य है या नहीं इस पर आज वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र प्रसाद पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट अपना फैसला सुनाने वाले थे। इस केस में हिंदू और मुस्लिम पक्ष की बहस बीते 15 अक्टूबर को पूरी हो चुकी है। सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत ने आज फैसले के लिए तिथि की मुक़र्रर थी। अब मामले में अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी।

वादी किरण सिंह ने तीन मांगों को लेकर याचिका दाखिल की थी 

1- ज्ञानवापी में मिले तथाकथित शिवलिंग के बाद तत्काल प्रभाव से भगवान आदि विशेश्वर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की पूजा-अर्चना प्रारंभ करवाई जाए

2 -संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंप दिया जाए

3-ज्ञानवापी परिसर में मुसलमानों के प्रवेश को प्रतिबंधित किया जाए

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का दावा

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का दावा है कि यह केस सुनवाई योग्य नहीं है। इस मुकदमा को खारिज कर दिया जाना चाहिए। ज्ञानवापी वक्फ की संपत्ति है और वहां द प्लेसेस ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रॉविजंस) एक्ट, 1991 लागू होता है। सिविल कोर्ट को इस मामले में सुनवाई का अधिकार ही नहीं है। 

हिंदू पक्ष क्या कहता है? 

हिंदू पक्ष का कहना है कि मुकदमा सुनवाई योग्य है। मस्जिद वक्फ की प्रॉपर्टी है या नहीं यह तय करने का अधिकार सिविल कोर्ट को है। ज्ञानवापी देवता की संपत्ति है। कानून के अनुसार देवता नाबालिग हैं। इसलिए उनके हित की रक्षा के लिए उनका वाद मित्र बन कर किरन सिंह सहित अन्य लोगों ने केस फाइल किया है। 

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