Thursday, April 25, 2024
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स्टडी में हुआ खुलासा, भारत में 1990 से अभी तक 50 प्रतिशत डायबिटीज और दिल के रोगियों में बढ़ोत्तरी

देश में साल 1990 से 2016 के बीच हृदय रोग में 50 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि मधुमेह में 150 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: September 13, 2018 11:24 IST
Heart Problem- India TV Hindi
Heart Problem

हेल्थ डेस्क: देश में साल 1990 से 2016 के बीच हृदय रोग में 50 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि मधुमेह में 150 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। मधुमेह से पीड़ित भारतीयों की संख्या 1990 में 2.6 करोड़ थी, जो 2016 में 6.5 करोड़ हो गई। फेफड़ों के मरीजों की संख्या इस दौरान 2.8 करोड़ से बढ़कर 5.5 करोड़ हो गई। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) और इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवोल्यूशन (आईएचएमई) ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की भागीदारी में राज्यस्तीय बीमारियों के बोझ का पता लगाने की पहल के तहत जारी रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी। (लगातर 3 दिन डाइट में शामिल करें ये चीजें और करें नेचुरल तरीके से 5 किलो वजन कम )

एक बयान में बताया गया कि वैश्विक बीमारियों का बोझ अध्ययन के तहत यह रिपोर्ट 1990 के बाद उपलब्ध बीमारियों के दर्ज आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। इसे तैयार करने में विशेषज्ञों के अलावा देश भर के 100 से अधिक संस्थानों ने भी योगदान दिया है, जिसे द लेंसेट ग्लोबल हेल्थ, द लेंसेट पब्लिक हेल्थ, और द लेंसेट ऑकोलॉजी में पांच शोध पत्रों की सीरीज में प्रकाशित किया गया है। इसके साथ ही इस पर द लेंसेट में एक कमेंट्री भी प्रकाशित की गई है। (प्रेग्नेंसी के समय पीठ के बल सोना हो सकता है खतरनाक, जानें सोने की कौन सी है बेस्ट पोजीशन )

आईसीएमआर के महानिदेशक और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य शोध विभाग के सचिव प्रोफेसर बलराम भार्गव ने कहा, "सबसे चिंता की बात यह है कि देश के पिछड़े राज्यों में सबसे ज्यादा हृदय रोग और मधुमेह के मरीज हैं। साथ ही बच्चों को होने वाली बीमारियों से भी सबसे ज्यादा पीड़ित देश के पिछड़े राज्य ही हैं। इसलिए इन राज्यों में बीमारियों की रोकथाम के लिए अबिलंब कदम उठाए जाने की सख्त जरूरत है।"

उन्होंने कहा, "देश में 1990 के बाद से कैंसर मरीजों की संख्या दोगुनी हो चुकी है, जबकि राज्यों में कैंसर के प्रकार के मामलों की संख्या अलग-अलग पाई गई है। वहीं, इस शोध में यह भी पाया गया है कि दुनिया में होनेवाली कुल आत्महत्याओं में भारत में बहुत अधिक आत्महत्याएं होती है, खासतौर महिलाओं की आत्महत्या ज्यादा होती है, जिसके आंकड़ों में विभिन्न राज्यों में दस गुणा तक का अंतर है। इसलिए इसके कारणों की पहचान कर कदम उठाने की जरूरत है।"

नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर विनोद पॉल ने कहा, "इस शोध के निष्कर्ष राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के तहत हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित आयुष्मान भारत की जरूरत पर बल देता है, जिसकी योजना ठीक समय पर बनाई गई है। हम इन निष्कर्षो का उपयोग करके राज्यों के साथ मिलकर हरेक राज्य में उसकी जरूरत के हिसाब से प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत बनाने के लिए करेंगे।"

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मधुमेह से पीड़ित भारतीयों की संख्या 1990 में 2.6 करोड़ थी, जो 2016 में 6.5 करोड़ हो गई। फेफड़ों के मरीजों की संख्या इस दौरान 2.8 करोड़ से बढ़कर 5.5 करोड़ हो गई। देश में 15-39 वर्ग के आयु वर्ग के लोगों की मौत का प्रमुख कारण आत्महत्या है। दुनिया में होनेवाली महिलाओं की कुल आत्महत्या में 37 फीसदी भारत में होती है। साथ बुजुर्गो में आत्महत्या से होनेवाली मौतों की संख्या भी पिछले 25 सालों में बढ़ी है।

(इनपुट आईएएनएस)

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