Friday, April 26, 2024
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Hartalika Teej 2020: पहली बार रखने जा रही हैं हरतालिका तीज का व्रत, ध्यान रखें ये नियम

अगर आप इस बार पहली बार हरतालिका तीज का व्रत रख रही हैं तो इसके कुछ नियम जानने बहुत ही जरूरी है। जिससे कि आपको पूजा का पूर्ण फल मिले।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 20, 2020 22:20 IST
Hartalika Teej 2020: पहली बार रखने जा रही हैं हरतालिका तीज का व्रत, तो ध्यान रखें ये नियम- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/SUMALINBEHERA Hartalika Teej 2020: पहली बार रखने जा रही हैं हरतालिका तीज का व्रत, तो ध्यान रखें ये नियम

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस साल यह व्रत 21 अगस्त  को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम के वक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। कई जगहों पर कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं। 

अगर आप इस बार पहली बार हरतालिका तीज का व्रत रख रही हैं तो इसके कुछ नियम जानने बहुत ही जरूरी है। जिससे कि आपको पूजा का पूर्ण फल मिले। 

Hartalika Teej 2020: 21 अगस्त को है हरतालिका तीज, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

  • हरतालिका तीज में पूरे दिन जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद दूसरे दिन जल ग्रहण करने का विधान है। 
  • अगर आपने हरतालिका व्रत रखना एक बार शुरू कर दिया तो इसे आप बीच में छोड़ नहीं सकती हैं। 
  • जो भी हरियाली तीज का व्रत रख रही है, तो इस दिन सबसे पहले महिलाएं नहाकर मां की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहने से सजाती हैं।
  • अर्धगोले आकार की माता की मूर्ति बनाती हैं और उसे पूजा के स्थान में बीच में रखकर पूजा करती हैं। इस पूजा में कथा को कहना अनिवार्य माना जाता है। इसका अपना ही अलग ही महत्व है। साथ ही कथा सुनते वक्त अपने पति का ध्यान करें।

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  • इस दिन महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां और मेहंदी पहनती हैं। मेहंदी सुहाग का प्रतीक है। हरतालिका तीज के दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है।
  • हरतालिक तीज प्रदोषकाल से किया जाता है। सूर्यास्त के बाद तीन मुहूर्त तको प्रदोषकाल कहा जाता है जोकि दिन और रात के मिलन का समय होता है। 
  • हरतालिका तीज में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा हाथों से बनाई जाती हैं। इसके लिए बालू रेत या फिर काली मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। 
  • सुहाग की पिटारी में सुहार की सारी चीजों को रखकर माता पार्वती को चढ़ाना शुभ माना जाता है। वहीं भगवान शिव को धोती और अगोंछा चढ़ाए। 
  • सुहाग की सामग्री को बाद में अपनी सास के पैर छूने के बाद किसी ब्राह्मण को दान कर देना चाहिए।   

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