Saturday, April 27, 2024
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Parama Ekadashi 2020: आज है सबसे ज्यादा फल देने वाली 'परमा एकादशी', जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत और महत्व

अधिक मास की आखिरी एकादशी 13 अक्टूबर को है। जानें सबसे ज्यादा फलदायी परमा एकदशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 13, 2020 1:03 IST
Parama Ekadashi- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/BHAKTI_ME_SHAKTI Parama Ekadashi

अधिक मास की आखिरी एकादशी 13 अक्टूबर को है। इस एकादशी को परमा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का खास महत्व है। ये एकादशी इसलिए भी सबसे ज्यादा विशेष मानी जाती है क्योंकि ये परमा एकादशी सबसे ज्यादा फल देने वाली होती है। परमा एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। जानें सबसे ज्यादा फलदायी परमा एकदशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व। 

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परमा एकादशी का शुभ मूहूर्त

शुभ मुहूर्त - रात 8 बजकर 40 मिनट से रात 10 बजकर 10 मिनट तक

एकादशी तिथि आरंभ - 12 अक्टूबर दिन सोमवार की दोपहर 4 बजकर 38 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त - 13 अक्टूबर 13 अक्टूबर दिन मंगलवार की दोपहर 2 बजकर 35 मिनट तक

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ऐसे करें पूजा

  • सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें
  • स्नान करने के बाद पीले रंग के कपड़े पहनें
  • एक चौकी पर पीले रंग का साफ कपड़ा बिछाएं
  • कपड़े पर लाल कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं
  • चावल और फूल कुमकुम पर रखें
  • इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें
  • भगवान की तस्वीर स्थापित करने के बाद दीप, धूप और अगरबत्ती जलाएं
  • अब तस्वीर पर फूलों की माला चढ़ाएं और तिलक भी लगाएं
  • भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता बहुत प्रिय है। अब तुलसी के पत्ते को भगवान पर अर्पित करें
  • भगवान विष्णु की चालीसा, विष्णु स्तुति, विष्णु स्त्रोत, विष्णु सहस्त्रनाम और परमा एकादशी व्रत की कथा का पाठ करें
  • भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें
  • आखिर में हाथ जोड़कर भगवान से खुशहाली की प्रार्थना करें

परमा एकादशी का महत्व
परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत जो भी जातक रखता है भगवान विष्णु की कृपा हमेशा उस पर बनी रहती है। मान्यता तो ये भी है कि अधिक मास की कृष्ण पक्ष में आने वाली परमा एकादशी का व्रत जो करते हैं उन्हें भगवान विष्णु के धाम यानी कि बैकुंठ धाम को प्राप्त करते हैं। कहा जाता है कि ये व्रत इतना प्रभावशाली होता है कि इसके जरिए बैकुंठ धाम प्राप्त कर मोक्ष की प्राप्त की जा सकती है। 

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