Friday, April 26, 2024
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Sankashti Chaturthi 2021: मार्च माह का आखिरी संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत का पारण चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय के बाद ही किया जाता है और चतुर्थी तिथि में चंद्रमा इसी ही दिखेगा। लिहाजा 31 मार्च को ही संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जायेगा।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: March 30, 2021 7:06 IST
Sankashti Chaturthi 2021, मार्च माह, संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/DEVASHREEGANESHAA Sankashti Chaturthi 2021: मार्च माह का आखिरी संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

चैत्र कृष्ण पक्ष की उदया तिथि तृतीया और दिन बुधवार है। तृतीया तिथि दोपहर 2 बजकर 7 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी, जो शुक्रवार दोपहर पहले 11 बजे तक रहेगी। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार बुधवार को तृतीया तिथि दोपहर 2 बजकर 7 मिनट तक ही रहेगी और उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जायेगी और संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत का पारण चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय के बाद ही किया जाता है और चतुर्थी तिथि में चंद्रमा इसी ही दिखेगा। लिहाजा 31 मार्च को ही संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जायेगा। 

चतुर्थी तिथि का अधिष्ठाता भगवान गणेश है। साथ ही बुधवार का दिन भी है और बुधवार को गणेश जी का दिन भी माना जाता है। संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत के दिन विघ्नविनाशक, संकटनाशक, प्रथम पूज्नीय श्री गणेश भगवान के लिये व्रत किया जाता है। 

भगवान गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य को देने वाले हैं। इनकी उपासना शीघ्र फलदायी मानी गयी है। यह व्रत सुबह से लेकर शाम को चन्द्रोदय तक रखा जाता है, उसके बाद व्रत का पारण कर लिया जाता है। 

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संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि प्रारंभ: दोपहर 2 बजकर 8 मिनट से शुरू

चतुर्थी तिथि समाप्त: गुरुवार सुबह 11 बजे तक
चन्द्रोदय: बुधवार रात 9 बजकर 11 मिनट पर होगा।

संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करे। इसके बाद गणपति का ध्यान करे। इसके बाद एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं इस कपड़े के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगा जल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद  गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाए। इसके बाद लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर चढ़ाए। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। । गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं।  सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्‍ती से भगवान  गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

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या फिर

ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।

अंत में चंद्रमा को दिए हुए मुहूर्त में अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करें 

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