Saturday, May 04, 2024
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Mahashivratri 2022: उज्जैन में भगवान महाकाल के दरबार में हुई भस्म आरती, भक्तों का लगा तांता

उज्जैन में भगवान शिव भूतभावन महाकाल रूप में विराजित हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केवल यही ज्योतिर्लिंग है, जिसकी मुद्रा दक्षिणमुखी है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 01, 2022 10:38 IST
Mahashivratri 2022- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Mahashivratri 2022

Highlights

  • आज प्रात: 3 बजे बाबा महाकाल की भस्म आरती की गई ।
  • बाबा महाकाल के दरबार में आज वीआइपीओ का भी तांता लगा रहेगा

देशभर में महाशिवरात्रि की धूम है। शिवरात्रि पर्व के अवसर पर आज उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में तडके तीन बजे विशेष पंचामृत अभिषेक और भस्मारती पूजन किया गया। बाबा की भस्मारती में शामिल होने के लिए देश के कोने कोने से श्रद्धालु महाकाल मंदिर में पहुंचे। शिवरात्रि पर बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आज महाकाल मंदिर में 2 लाख से अधिक श्रद्धालु आने की सम्भावना है।

यूं तो महाशिवरात्रि का पर्व देशभर में मनाया जाता है परन्तु बाबा महाकाल कि नगरी उज्जैन में इस पर्व कि बात ही कुछ खास है। चैत्र माह में राजाधिराज(महाकाल ) के आँगन में विवाह अर्थात महाशिवरात्रि की धूम रहती है। इस अवसर पर शिवनवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले शिवनवरात्री पर्व के अंतिम दिन  महाशिवरात्रि मनाई जाती है। आज बाबा के दरबार में शिवरात्रि पर्व उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। 

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आज  प्रात: 3 बजे बाबा महाकाल की भस्म आरती की गई । इससे पहले बाबा को पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शकर व शहद से नहलाया गया । साथ ही बाबा महाकाल को इस ऋतु के सभी फलों के रसों से महा अभिषेक किया गया तत्पष्चात चंदन का लेपन कर सुगन्धित  द्रव्य चढ़ाए गए । बाबा की प्रिय विजया (भाँग) से भी उन्हें श्रृंगारित  किया गया । इसके पष्चात बाबा को श्वेत वस्त्र ओढ़ाया गया  और फिर प्रारंभ हुई बाबा को भस्म रमाने की प्रक्रिया। भसिमभूत होने के बाद झांझ-मंजीरे, ढोल-नगाड़े व शंखनाद के साथ बाबा की भस्मार्ती की गई। 

उज्जैन में भगवान शिव भूतभावन महाकाल रूप में विराजित हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केवल यही ज्योतिर्लिंग है, जिसकी मुद्रा दक्षिणमुखी है। पूरी तरह से भगवान महाकालेष्वर के रंग में रंगे इस शहर की सुबह-शाम  ऐसी लगती है, मानो स्वयं विधाता ने इसे अमृत की बूँदों से नहलाकर सजाया-सँवारा हो और यही वे बाबा महाकाल हैं जिन पर नित्य भस्म चढ़ार्इ जाती है।

बाबा महाकाल के दरबार में आज वीआइपीओ का भी तांता लगा रहेगा ।     

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