Friday, April 26, 2024
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Madhya Pradesh Lumpy Virus: मध्य प्रदेश सरकार ने लंपी वायरस को लेकर जारी किया अलर्ट, रतलाम में 1 दर्जन से अधिक गायों में दिखे इसके लक्षण

Madhya Pradesh Lumpy Virus: राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश में भी लंपी वायरस का प्रकोप दिखने लगा है। रतलाम में गायों में इसके लक्षण देखे गए हैं। मामला सेमलिया और बरबोदना के आसपास के गांवों का है। यहां एक दर्जन से ज्यादा गायों में इसके लक्षण देखे जा चुके हैं।

Reported By : Anurag Amitabh Edited By : Pankaj Yadav Updated on: August 05, 2022 17:55 IST
Lumpy virus- India TV Hindi
Lumpy virus

Highlights

  • रतलाम के दो गांवों के गायों में दिखे लंपी वायरस के लक्षण
  • प्रदेश के पशुपालन विभाग ने जारी किया अलर्ट
  • पशु चिकित्सकों की टीम रतलाम भेजी गई

Madhya Pradesh Lumpy Virus: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के कई गांवों में गायों में लंपी वायरस के लक्षण मिलने से दहशत फैल गई है। वहीं पशु चिकित्सा विभाग भी अलर्ट मोड पर आ गया है। दरअसल, रतलाम जिले के सेमलिया गांव में 1 दर्जन से अधिक गायों के शरीर पर छोटी-छोटी गठानें होकर घाव बन गए हैं। वहीं बरबोदना गांव की कई गायों में भी ऐसे ही लक्षण देखे गए हैं।

वायरस को लेकर पशु चिकित्सा विभाग हाई अलर्ट पर

पशु चिकित्सा विभाग ने इस बीमारी के पॉजिटिव केस की पुष्टि नहीं की है लेकिन लंपी वायरस जैसे लक्षण दिखने के बाद जिले के साथ साथ प्रदेश का पशु चिकित्सा विभाग हाई अलर्ट पर आ गया है। विभाग ने पशुओं के सैंपल लेकर टेस्ट के लिए भोपाल भेज दिया है। यह सैंपल भोपाल के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज़ में जांच के लिए भेजे जाएंगे। भारत सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी और गाइडलाइन के अनुसार लंपी रोग की पहचान और नियंत्रण के लिए सजग रहते हुए लक्षण दिखाई देने पर गाइडलाइन के मुताबिक सैंपल कलेक्ट कर राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला में भेजा जाना है।

कमलनाथ ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा

प्रदेश में लंपी वायरस की एंट्री के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि प्रदेश के कई जिलों से पशुओं में लंपी बीमारी होने के समाचार लगातार आ रहे हैं। मूक पशु अपनी पीड़ा खुद तो व्यक्त कर नहीं सकते हैं और पशुपालकों की बात सुनने के लिए सरकार के पास समय नहीं है। मैं प्रदेश सरकार से आग्रह करता हूं कि तत्काल इस विषय में आवश्यक कार्यवाही करें और प्रदेश को इस बीमारी से बचाएं।

ये है लम्पी वायरस के लक्षण

पशु रोग चिकित्सकों के मुताबिक लम्पी वायरस पशुओं में होने वाली एक वायरल बीमारी है जिसके चलते खून चूसने वाले कीड़ों की मदद से उसका वायरस एक पशु से दूसरे पशु तक पहुंचता है। इस बीमारी के लक्षण में पशु के शरीर पर छोटी-छोटी गठाने  बन जाती है। जो छोटे-छोटे घावों में बदल जाती है और पशु के शरीर पर जख्म  नजर आने लगते हैं। इसके चलते पशु खाना कम कर देता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है। हालांकि पशु रोग चिकित्सकों के मुताबिक लंपी वायरस में मृत्यु दर कम होती है लेकिन इस बीमारी के फैलने की दर काफी होती है। पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों के अनुसार इस बीमारी का पशुओं से मनुष्यों में ट्रांसफर होने की संभावना नहीं के बराबर है। 

सुरक्षा एवं बचाव के उपाय

  1. संक्रमित पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए।
  2. संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु के झुण्ड में शामिल नहीं करना चाहिए।
  3. संक्रमित क्षेत्र में बीमारी फैलाने वाली वेक्टर (मक्खी मच्छर आदि) के रोकथाम हेतु आवश्यक कदम उठाया जाना चाहिए।
  4. संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। 
  5. संक्रमित क्षेत्र के बाजार में पशु बिक्री, पशु प्रदर्शनी, पशु संबंधित खेल आदि पर पूर्णत: प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए।
  6. संक्रमित पशु से सैम्पल लेते समय सभी सुरक्षात्मक उपाय जैसे- पी.पी.ई. किट आदि का पालन किया जाना चाहिए।
  7. संक्रमित क्षेत्र के केन्द्र बिन्दु से 10 किमी परिधि के क्षेत्र में पशु बिक्री बाजार पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
  8. संक्रमित पशु प्रक्षेत्र, घर आदि जगहों पर साफ-सफाई जीवाणु और दोषाणुनाशक रसायन (जैसे 20% ईथर, क्लोरोफार्म, फार्मेलीन (196) फिनाइल (26) सोडियम हाइपोक्लोराइड (5%) आयोडीन कंपाउंड (133) अमोनियम कम्पाउंड) आदि से किया जाना चाहिए ।
  9. संक्रमित पशु से सीमेन संग्रहण का कार्य नहीं किया जाना चाहिए।
  10. संक्रमित पशु के ठीक होने के बाद सीमेन और ब्लड सिरम की जांच PCR से किया जाना चाहिए और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही A.I या सर्विस के लिए उपयोग होना चाहिए।

जागरूकता अभियान

  1. लंपी त्वचा रोग के लक्षण बचाव संबंधी जानकारियों का प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए।
  2. LSD बीमारी के शुरुआती लक्षण दिखने पर तत्काल पास के पशु चिकित्सक को सूचना दी जानी चाहिए।

उपचार

  1. बीमार पशु को स्वस्थ पशु से अलग रखना चाहिए 
  2. पशु चिकित्सक के निर्देशानुसार उपचार किया जाना चाहिए सेकेंडरी बैक्टीरियल इन्फेक्शन रोकने के लिए पशु में 5-7 दिन तक एंटीबायोटिक लगाना चाहिए।
  3. एन्टी इन्फ्लेमेटरी एंड एन्टी हिस्टामिनिक लगाना चाहिए।
  4. बुखार होने पर पैरासिटामोल खिलाना चाहिए
  5. संक्रमित पशु को पर्याप्त मात्रा में तरल खाना, हल्का खाना और हरा चारा दिया जाना चाहिए।

डिस्पोजल 

संक्रमित मृत पशु को जैव सुरक्षा मानक के अनुसार डिस्पोज करना चाहिए।

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