Tuesday, April 16, 2024
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राम मंदिर के लिए 82 साल की उर्मिला चतुर्वेदी 28 साल बाद अन्न ग्रहण करेंगी, जानिए क्या है वजह

उर्मिला चतुर्वेदी ने बताया, "मैंने संकल्प लिया है कि राम मंदिर बन जाए, रामलला जी की मूर्ति वहां पर विराजमान हो जाए। उसके बाद वहां जाकर उनके दर्शन करके, उनके प्रसाद से मैं संकल्प का समापन करना चाहती हूँ।" 

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 02, 2020 23:21 IST
Urmila Chaturvedi- India TV Hindi
Image Source : ANI Urmila Chaturvedi

मध्य प्रदेश: जबलपुर में उर्मिला चतुर्वेदी नाम की 82 वर्षीय महिला 28 साल से राम मंदिर निर्माण के लिए व्रत कर रही हैं। उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगी। उर्मिला चतुर्वेदी ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, "मैंने संकल्प लिया है कि राम मंदिर बन जाए, रामलला जी की मूर्ति वहां पर विराजमान हो जाए। उसके बाद वहां जाकर उनके दर्शन करके, उनके प्रसाद से मैं संकल्प का समापन करना चाहती हूँ।" उर्मिला चतुर्वेदी के इंतजार की घड़ी खत्म होने वाली है। 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन है। उर्मिला चतुर्वेदी भी इसी दिन अपना व्रत तोड़ेंगी, इसे लेकर उनके घर में खुशी का माहौल है।

बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद लिया संकल्प

82 साल की उर्मिला चतुर्वेदी आज भले ही उम्र के इस पड़ाव में आकर कमजोर नजर आ रही हैं, लेकिन इनका संकल्प बेहद मजबूत है। इन्होंने पिछले 28 सालों से केवल इसलिए उपवास किया, क्योंकि वे अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनते हुए देखना चाहती थीं। साल 1992 में जब कारसेवकों ने राम जन्मभूमि पर बनी बाबरी मस्जिद के ढ़ांचे को गिराया और वहां खूनी संघर्ष हुआ, तब उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम शुरू न हो जाए तब तक वह अनाज ग्रहण नहीं करेंगी। 

1992 से नहीं खाया अन्न

राजनीतिक इच्छाशक्ति से इतर उर्मिला चतुर्वेदी का संकल्प इतना मजबूत था कि उन्होंने 1992 के बाद खाना नहीं खाया और सिर्फ फलाहार से ही जिंदा रहीं। वे पिछले 28 सालों से इंतजार कर रही थी कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो। जबलपुर के विजय नगर इलाके की रहने वाली उर्मिला चतुर्वेदी की उम्र तकरीबन 81 साल है। कोरोना की वजह से उर्मिला चतुर्वेदी अयोध्या नहीं जा पा रही हैं। राम भक्त उर्मिला चतुर्वेदी का कहना है कि भूमि पूजन के कार्यक्रम में वे भले ही भौतिक रूप से नहीं पहुंच पा रही हैं, लेकिन मन से उनकी मौजूदगी वहीं रहेगी। उर्मिला अपना बचा हुआ जीवन भगवान राम की शरण में ही बिताना चाहती हैं।

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