Friday, April 26, 2024
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सख्त कोरोना कर्फ्यू ने तोड़ी इंदौर के तरबूज उत्पादक किसानों की कमर

सोशल मीडिया पर इन दिनों कुछ वीडियो वायरल हैं जिसमें कर्फ्यू को लेकर प्रशासनिक सख्ती पर आपा खोने वाले फल-सब्जी विक्रेताओं को खुद ही अपना माल सड़क पर फेंकते देखा जा सकता है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 25, 2021 16:47 IST
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Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL तरबूज के थोक भाव गिरकर 2 रुपये प्रति किलोग्राम तक रह गए हैं।

इंदौर (मध्य प्रदेश): कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए इंदौर जिले में महीने भर से जारी जनता कर्फ्यू (आंशिक लॉकडाउन) से माल की खरीद-फरोख्त बाधित होने के कारण तरबूज उत्पादक किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा साबित हुई है। इंदौर इस राज्य में महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है। जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर तिल्लौर खुर्द गांव में 4 बीघा में तरबूज उगाने वाले प्रशांत पाटीदार ने मंगलवार को बताया, ‘इस बार जनता कर्फ्यू के चलते गांवों से शहरों में फल-सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित रही। इससे तरबूज के थोक भाव गिरकर 2 रुपये प्रति किलोग्राम तक रह गए, जबकि पिछले साल मैंने यह फल 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बेचा था।’

’20 हजार रुपये का शुद्ध घाटा हुआ’

प्रशांत ने बताया, ‘इस साल मुझे तरबूज की खेती में करीब एक लाख रुपये की कुल लागत आई, जबकि इसके फलों की बिक्री से मुझे 80,000 रुपये ही मिले। यानी इसकी खेती में मुझे 20,000 रुपये का शुद्ध घाटा हुआ। बिक्री के अभाव में मेरे खेत में तरबूज की पकी फसल का एक हिस्सा तेज धूप के चलते खराब भी हो गया।’ गौरतलब है कि प्रशासन द्वारा जनता कर्फ्यू को पिछले 4 दिन से सख्त किए जाने के चलते जिले में फल-सब्जियों की खरीद-फरोख्त पर पूरी तरह पाबंदी है जिससे किसानों के साथ ही इनके थोक और खुदरा विक्रेताओं पर भी बड़ी आर्थिक मार पड़ी है।

‘...तो हम खुद अपनी दुकान लगाएंगे’
सोशल मीडिया पर इन दिनों कुछ वीडियो वायरल हैं जिसमें कर्फ्यू को लेकर प्रशासनिक सख्ती पर आपा खोने वाले फल-सब्जी विक्रेताओं को खुद ही अपना माल सड़क पर फेंकते देखा जा सकता है। इस बीच, कृषक संगठन राष्ट्रीय किसान-मजदूर महासंघ ने इंदौर जिले में फल-सब्जियों की खरीद-फरोख्त प्रतिबंधित करने के प्रशासनिक कदम पर विरोध जताया है। महासंघ के जिला प्रवक्ता आशीष भैरम ने एक बयान में कहा, ‘यदि प्रशासन द्वारा दो दिन के भीतर मंडियों को फिर से शुरू नहीं कराया जाता है, तो सैकड़ों किसान अपने ट्रैक्टरों में फल-सब्जियां लादकर गांवों से शहर की ओर कूच कर देंगे और चौराहों पर खुद इनकी दुकान लगाएंगे।’

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