Friday, March 29, 2024
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Eknath Shinde Vs Uddhav Thackeray: जब उद्धव की एक ‘हां’ से टूट गया था शिंदे का सुनहरा ख्वाब, तभी पड़ गए थे बगावत के बीज!

एकनाथ शिंदे और कुछ अन्य विधायकों के सूरत में होने की खबर आते ही साफ हो गया कि शिवसेना में बड़े पैमाने पर बगावत हो चुकी है।

Vineet Kumar Singh Written by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated on: June 21, 2022 13:47 IST
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Image Source : PTI FILE Maharashtra CM Uddhav Thackeray and Eknath Shinde.

Highlights

  • उद्धव ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह किसी शिवसैनिक को ही सीएम बनाएंगे।
  • MVA बनने के बाद उद्धव ने खुद सीएम बनने के लिए हामी भर दी थी।
  • शिवसेना के काफी विधायक उस समय भी एकनाथ शिंदे के समर्थन में थे।

Eknath Shinde Vs Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र की सियासत में पिछले कुछ दिनों से भूचाल मचा हुआ है। राज्य सभा चुनावों में जब बीजेपी के तीसरे कैंडिडेट की जीत हुई थी, और शिवसेना उम्मीदवार को मात मिली थी, तभी यह तय हो गया था कि आने वाले दिनों में सूबे की सियासत में बड़ी हलचल (Maharashtra Political Crisis) होने वाली है। सोमवार को विधान परिषद चुनावों के नतीजे आते ही यह साफ हो गया कि महा विकास आघाड़ी का अपने सारे विधायकों पर नियंत्रण नहीं रह गया है। अभी इस बारे में विश्लेषण हो ही पाता कि शिवसेना के कद्दावर नेता और उद्धव सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के कुछ समर्थक विधायकों के साथ सूरत में मौजूद होने की खबर आ गई।

सामना को दिए इंटरव्यू में उद्धव ने बोली थी बड़ी बात

एकनाथ शिंदे और कुछ अन्य विधायकों के सूरत में होने की खबर आते ही साफ हो गया कि शिवसेना में बड़े पैमाने पर बगावत हो चुकी है। हालांकि एकनाथ शिंदे में बगावत के बीज आज नहीं पड़े हैं। दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान 'सामना' को दिए एक इंटरव्यू में शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा था कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री एक शिवसैनिक ही बनेगा। उन्होंने कहा था कि मैंने बालासाहेब ठाकरे को वचन दिया था कि एक शिवसैनिक को महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी पर जरूर बैठाएंगे। उस समय शिवसेना की तरफ से शिंदे का नाम ही सीएम प्रत्याशी के तौर पर चल रहा था और उन्हें अधिकांश विधायकों का समर्थन भी हासिल था।

....और एकनाथ शिंदे में पड़ गए बगावत के बीज
चुनावों के बाद सीएम पद के मुद्दे पर शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूट गया। इसके बाद उद्धव ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर अगली सरकार बनाना तय किया। जब सीएम का पद शिवसेना के हिस्से में आया तो अधिकांश लोगों का मानना था कि शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। हालांकि, शिंदा का सुनहरा ख्वाब तब चकनाचूर हो गया जब उद्धव ने मुख्यमंत्री बनने के लिए हामी भर दी। एक तरह से कहा जाए तो शिंदे के सिर पर सूबे के सीएम का ताज आते-आते फिसल गया। बस, माना जाता है कि तभी से शिंदे के मन में बगावत के बीज पड़ गए थे, जो 2022 आते-आते वटवृक्ष बन गया।

पार्टी में लंबे समय से किए जा रहे थे साइडलाइन
2019 के बाद शिवसेना में शिंदे का सफर आसान नहीं रहा। उन्हें भले ही उद्धव की सरकार में मंत्री बनाया गया, लेकिन कहा जाता है कि वह अपने विभाग से जुड़े फैसले भी आजादी से नहीं ले पा रहे थे। बताया जा रहा है कि उन्हें शिवसेना में धीरे-धीरे साइडलाइन किया जा रहा था, ऐसे में शिंदे के ऑप्शन सीमित होते जा रहे थे। हालांकि उद्धव को भी शायद अंदाजा नहीं रहा होगा कि शिंदे के साथ इतने सारे विधायक जा सकते हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हें मनाने की कोशिशें तो होंगी ही। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में सूबे का सियासी ऊंट किस करवट बैठता है।

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