पुणे में एक रिटायर्ड फौजी से नागरिकता साबित करने के लिए जबरन दस्तावेज मांगने के मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। पुणे के पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि घर के बाहर नारेबाजी करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस के सीनियर अफसरों ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उन्हें ये भरोसा दिलाया गया है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। आरोप है कि 26 जुलाई की देर रात 30 से 40 लोगों ने रिटायर्ड सिपाही हकीमुद्दीन शेख के घर का घेराव कर दिया और उनसे दस्तावेज की मांग की।
सेना के रिटायर्ड अधिकारी से मांगा गया नागरिकता का सबूत
दरअसल पुणे के रहने वाले हकीमुद्दीन शेख सेना से रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। मंगलवार की रात कुछ लोग उनके घर आए और नागरिकता का सबूत मांगने लगे। पुणे के चंदन नगर में रहने वाले हकीमुद्दीन ने कहा कि जिस वक्त लोगों ने उनके घर का घेराव किया उस वक्त लोकल पुलिस भी उनके साथ थी, लेकिन वो उपद्रवियों का साथ देती रही। साल 2000 में सेना से रिटायर होने के बाद 2013 में हकीमुद्दीन अपने मूल निवास प्रतापगढ़ लौट गए, लेकिन उनका परिवार पुणे में ही रहता है।
डीसीपी ने दी सफाई
पुणे पुलिस के डीसीपी सोमय मुंडे ने कहा कि पुलिस को इलाके में संदिग्ध अवैध प्रवासी होने की सूचना मिली थी। हमारी टीम ने वहां जाकर उनसे दस्तावेज मांगे, जिससे एक बार जब ये साफ हो गया कि वो भारतीय हैं तो हमने उन्हें जाने दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस किसी तीसरे पक्ष के साथ मौके पर नहीं गई थी। हमारे पास इस पूरी घटना का वीडियो है। बता दें कि हकीमुद्दीन 16 साल तक भारतीय सेना का हिस्सा रह चुके हैं और साल 1984 में वो सेना की 269वीं इंजीनियर रेजिमेंट में शामिल हुए थे।