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कॉर्पोरेट्स को कर्ज देने के लिए बैंकों को AI की जरूरत: मुख्य आर्थिक सलाहकार

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि देश में कर्ज की पहुंच जीडीपी का 52 प्रतिशत है जो कम है। वहीं निजी क्षेत्र के बैंक समेत कुछ वित्तीय संस्थान मुख्य रूप से खुदरा कर्ज के संदर्भ में विश्लेशण युक्त मॉडल का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने कंपनी कर्ज को लेकर इसका उपयोग नहीं किया।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: October 15, 2020 23:07 IST
CEA की कॉर्पोरेट्स को...- India TV Paisa
Photo:PTI

CEA की कॉर्पोरेट्स को कर्ज देने में AI का इस्तेमाल करने की सलाह 

नई दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम ने बृहस्पतिवार को एक वर्चुएल सम्मेलन में कहा कि बैंकों को कॉर्पोरेट्स को दिए जाने वाले कर्ज मामले में बेहतर फैसला लेने के लिए कृत्रिम मेधा (Artificial Intelligence) और मशीन लर्निंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए। इंटेल और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के ‘ऑनलाइन’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र को कर्ज पिछले 15 साल से स्थिर है। इससे पता चलता है कि बैंकों ने ऐसा कोई मॉडल तैयार नहीं किया, जिससे इस क्षेत्र को सक्रियता के साथ कर्ज दिया जा सके। सम्मेलन में उन्होने कहा "  इसी वजह से भारतीय बैंकों को इस प्रौद्योगिकी (एआई और मशीन लर्निंग) के क्रियान्वयन से खासकर कंपनी कर्ज के संदर्भ में लाभ हो सकता है। इस बात के सबूत हैं कि जो बैंक बेहतर मॉडल का उपयोग करते हैं, वे बेहतर तरीके से अपने बही-खातों को मजबूत करने में सक्षम होते हैं। उन्हें गुणवत्ता को लेकर परेशान नहीं होना पड़ता। यह काफी महत्वपूर्ण अवसर है।’’ 

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि निजी क्षेत्र के बैंक समेत कुछ वित्तीय संस्थान मुख्य रूप से खुदरा कर्ज के संदर्भ में विश्लेशण युक्त मॉडल का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने कंपनी कर्ज को लेकर इसका उपयोग नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि क्षेत्र में एआई और मशीन लर्निंग के उपयोग से बेहतर फसल और फसल विविधीकरण प्राप्त किया जा सकता है। सुब्रमणियम ने कहा कि देश में कर्ज की पहुंच जीडीपी का 52 प्रतिशत है जो कम है। वहीं ओईसीडी (आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन) देशों में औसतन यह 160 प्रतिशत है। इस मौके पर तेलंगाना के प्रधान सचिव जयेश रंजन ने कहा कि मांग को पूरा करने के लिये राज्य का अगले तीन साल में 30,000 लोगों को कृत्रिम मेधा के क्षेत्र में प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है। 

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