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IBBI ने कहा जून तक 47 फीसदी मामले परिसमापन में गए, ज्यादातर की कीमत पहले ही घट गई

न्यूजलेटर में आगे कहा गया, ‘‘हालांकि, परिसमापन में जाने वाले सीआईआरपी में 75 प्रतिशत (1,349 में 1,011) पहले औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (बीआईएफआर) में थे या निष्क्रिय थे।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : September 06, 2021 23:45 IST
IBBI ने कहा जून तक 47 फीसदी मामले परिसमापन में गए, ज्यादातर की कीमत पहले ही घट गई- India TV Paisa
Photo:IBBI

IBBI ने कहा जून तक 47 फीसदी मामले परिसमापन में गए, ज्यादातर की कीमत पहले ही घट गई

नयी दिल्ली: आईबीबीआई के मुताबिक इस साल जून तक दीवाला कानून के तहत करीब 47 प्रतिशत या 1,349 मामले परिसमापन में आए, लेकिन इनमें से ज्यादातर मामलों में कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही उनके आर्थिक मूलय का क्षरण हो चुका था। जून के अंत तक कुल 4,541 सीआईआरपी (कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया) की शुरुआत हुई, जिनमें से 2,859 बंद कर दिए गए। भारतीय दिवाला और रिण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के ताजा तिमाही न्यूजलेटर के अनुसार इनमें से 1,349 सीआईआरपी परिसमापन में चले गए, जबकि 396 मामलों के लिए समाधान योजना को मंजूरी मिली। 

आईबीबीआई ने कहा बंद हो चुके सीआईआरपी में लगभग 47 प्रतिशत परिसमापन में गए, जबकि 14 प्रतिशत के लिए एक समाधान योजना को मंजूरी मिली। न्यूजलेटर में आगे कहा गया, ‘‘हालांकि, परिसमापन में जाने वाले सीआईआरपी में 75 प्रतिशत (1,349 में 1,011) पहले औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (बीआईएफआर) में थे या निष्क्रिय थे। इनमें से अधिकांश कॉरपोरेट देनदार में आर्थिक मूल्य सीआईआरपी में आने से पहले लगभग पूरी तरह से खत्म हो चुका था।’’ 

इन कॉरपोरेट कर्जदारों की संपत्ति का मूल्य औसत बकाया ऋण राशि का लगभग सात प्रतिशत था। हाल के दिनों में इस बात को लेकर चिंता जताई गई कि दिवाला और रिण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत जाने वाली कंपनियों के समाधान प्रस्ताव में बकाया कर्ज की वसूली में भारी कटौती की जा रही है और कई कंपनियों को परिसमापन के लिये भेजा जा रहा है। आईबीसी कानून पांच साल से प्रभावी है। आईबीबीआई इस कानून को लागू करने वाले प्रमुख संस्थानों में से है।

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