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भारतीय इकोनॉमी के सामने वादों को पूरा करना बड़ी चुनौती, कारोबार के लिए बना सकता है दुनिया का बेहतर स्‍थल

भारतीय इकोनॉमी के समक्ष वादों और योजनाओं का क्रियान्वयन प्रमुख चुनौती है। यदि यह वादों को पूरा करता है तो यह कारोबार करने के लिहाज से बेहतर स्थल होगा।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: January 18, 2016 17:06 IST
भारतीय इकोनॉमी के सामने वादों को पूरा करना बड़ी चुनौती, कारोबार के लिए बना सकता है दुनिया का बेहतर स्‍थल- India TV Paisa
भारतीय इकोनॉमी के सामने वादों को पूरा करना बड़ी चुनौती, कारोबार के लिए बना सकता है दुनिया का बेहतर स्‍थल

मेलबर्न। भारतीय इकोनॉमी के समक्ष वादों और योजनाओं का क्रियान्वयन प्रमुख चुनौती है। भारत यदि किए गए वादों को पूरा करता है तो यह कारोबार करने के लिहाज से दुनिया का बेहतर स्थल होगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने यह बात यहां सोमवार को कही। यह पूछने पर कि तीन बातें बताएं, जिनमें बदलाव से भारतीय अर्थव्यवस्था  में उल्लेखनीय परिवर्तन आ सकता है, राजन ने कहा, क्रियान्वयन, क्रियान्वयन और क्रियान्वयन।

उन्होंने कहा, भारत में हमेशा वादे और उसके क्रियान्वयन में अंतर रहता है।  उन्होंने कहा, यदि कोई भविष्य में मांग के बड़े स्रोत की तलाश में है तो उसके लिए भारत को दरकिनार करना मुश्किल होगा।  राजन ने कहा, यदि हम अपने वादे के मुताबिक क्रियान्वयन कर पाते हैं तो मुझे कोई संदेह नहीं कि यह अगले पांच या 10 साल में जल्द से जल्द निवेश के लिए बेहद अच्छा होगा।  राजन ने ऑस्‍ट्रेलिया के सिडनी मॉर्निंग हेरोल्ड को बताया कि उनका मानना है कि क्रियान्वयन के अंतराल जिसने भारत को गिरफ्त में लिया हुआ था, उसमें पिछले कुछ दिनों से कमी आ रही है।

राजन ने आर्थिक नीति के विकास में ऑस्‍ट्रेलिया के उत्पादकता आयोग की भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, स्पष्ट रूप से यहां सीखने के लिए काफी कुछ है कि आपने उस तरह के संस्थान के बौद्धिक और आर्थिक सूचनाओं का कैसे उपयोग किया। उन्‍होंने कहा, ऐसे कई बिंदु हैं जिनके संबंध में दो विशाल अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे से काफी कुछ सीख सकती हैं। राजन ने कहा, भारत को अपनी ढांचागत सुविधाओं, मानव संसाधन पूंजी, नियमन और वित्तपोषण सुविधाओं में सुधार लाने की आवश्यकता है।

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