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बासमती चावल के निर्यात से हर साल 18,000 करोड़ रुपए से अधिक की होती है कमाई, पूसा-1121 की है बड़ी भूमिका

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत हर साल बासमती चावल के निर्यात से 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। इसमें विशेषकर शीर्ष कृषि संस्थान आईसीएआर द्वारा विकसित पूसा -1121 किस्म के सुगंधित धान का बड़ा योगदान है।

Edited by: Manish Mishra
Published : July 16, 2018 20:24 IST
Basmati Rice- India TV Paisa

Basmati Rice

नई दिल्ली। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत हर साल बासमती चावल के निर्यात से 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। इसमें विशेषकर शीर्ष कृषि संस्थान आईसीएआर द्वारा विकसित पूसा -1121 किस्म के सुगंधित धान का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने नई किस्मों और प्रौद्योगिकियों को विकसित किया है, जिसके कारण भारत को खाद्य आयात देश से खाद्य पदार्थो के शुद्ध निर्यातक देश बनाने में मदद मिली है।

उन्होंने कहा कि यह संस्थान वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने की सरकार की मंशा को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आईसीएआर के 90 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि पिछली उपलब्धियों के बारे में गर्व करने के बजाय, आईसीएआर को वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अभी तक आईसीएआर का अनुसंधान ज्‍यादातर आयात पर देश की निर्भरता को कम करने की दृष्टि से कृषि उत्पादन को बढ़ाने पर रहा है लेकिन आगे संस्थान को फसल की पैदावार बढ़ाने, खाद्यान्नों के पोषण स्तर में वृद्धि करने, प्रतिकूल जलवायु को सहने वाली फसलों को विकसित करने के अलावा कृषि क्षेत्र में युवाओं को आकर्षित करने जैसी चुनौतियों की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रयास इस बात के होने चाहियें कि खेती की स्थिति और किसानों की आय में सुधार हो। किसानों की आय को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों को रेखांकित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने हाल ही में खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाया है जो उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत ज्यादा है।

समान विचार प्रकट करते हुए कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि हम एक तिलहन (खाद्य तेलों) को छोड़कर ज्यादातर फसलों के मामले में आत्मनिर्भर हो गए हैं। हमारे सामने एक बड़ी चुनौती खाद्य तेलों के आयात को कम करने की है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष करीब 70,000 करोड़ रुपए से अधिक के खाद्य तेलों का आयात किया जाता है। यह चुप बैठने का समय नहीं है। हमें आगे बढ़ने और इस चुनौती का सामना करने की जरूरत है।

आईसीएआर के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि संस्थान ने पिछले छह महीनों में फसलों के 189 किस्में जारी की हैं। टमाटर (एच 39) और प्याज (एचआर 6) की प्रसंस्करण योग्य किस्मों को जारी किया गया हैं, जो किसानों की आय को बढ़ावा देने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की आमदनी को दोगुना करने के सरकार के इरादे को हासिल करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के अन्वेषणों और समर्थन की आवश्यकता है।

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