बीते साल भारत का निर्यात रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा पहुंचा था। उत्पादन में बढ़ोतरी के चलते पाकिस्तान भारत की तुलना में कम कीमतों में बासमती चावल की पेशकश कर रहा है।
बासमती चावल में प्राकृतिक सुगंध गुण होना चाहिए और कोई कृत्रिम रंग, पॉलिश करने वाले तत्व और कृत्रिम सुगंध नहीं होनी चाहिए।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक है।
यूरोपीय संघ ने धान की फसल को 'ब्लास्ट' नामक बीमारी से बचाने के लिए भारत में इस्तेमाल होने वाले कवकनाशी ट्राईसाइक्लाज़ोल के अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) में कटौती की है।
पाकिस्तान 27-सदस्यीय यूरोपीय संघ में बासमती चावल को अपने उत्पाद के रूप में पंजीकृत करने के भारत के कदम के खिलाफ मामला लड़ रहा है।
सीबीआई ने हाल में पश्चिम एशियाई देशों और यूरोपीय देशों को बासमती चावल का निर्यात करने वाली कंपनी और उसके निदेशकों नरेश कुमार, सुरेश कुमार और संगीता के खिलाफ एसबीआई की शिकायत पर मामला दर्ज किया था।
ईरान से भुगतान की समस्या के कारण भारत के बासमती चावल निर्यात पर इस साल असर पड़ा है।
धान का रकबा चालू फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के दौरान 83 जिलों में पिछले साल के मुकाबले 36 फीसदी बढ़ा है जबकि धान (बासमती छोड़कर अन्य धान की वेरायटीज) के रकबे में 6.5 फीसदी की वृद्धि हुई है।
एनसीडीईएक्स में पहले से ही गेहूं और मक्का का वायदा उसके मंच पर है। धान बासमती-पूसा 1121 के भी इससे जुड़ने से मूल्य श्रृंखला में निर्णय प्रक्रिया में सुधार आएगा।
2017-18 में देश से 40.56 लाख टन, 2016-17 में 38.85 लाख टन और 2015-16 में 40.45 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था।
प्रोसेस कृषि उत्पादों में बासमती चावल भारत से सबसे ज्यादा निर्यात होने वाला प्रोडक्ट है और इसका अधिकतर एक्सपोर्ट ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमिरात, इराक और कुवैत को होता है
वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही यानि अप्रैल से जून के दौरान देश से चावल निर्यात में 4 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली है, वाणिज्य मंत्रालय की संस्था एपीडा की तरफ से यह जानकारी दी गई है
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत हर साल बासमती चावल के निर्यात से 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। इसमें विशेषकर शीर्ष कृषि संस्थान आईसीएआर द्वारा विकसित पूसा -1121 किस्म के सुगंधित धान का बड़ा योगदान है।
वित्त वर्ष 2017-18 में रिकॉर्ड चावल निर्यात के बाद अब नए वित्त वर्ष 2018-19 में भी निर्यात में बढ़ोतरी देखी जा रही है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 के पहले 2 महीने यानि अप्रैल और मई के दौरान देश से चावल निर्यात में 17 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, हालांकि इस दौरान सिर्फ गैर बासमती चावल का निर्यात बढ़ा है जबकि बासमती चावल के निर्यात में कमी देखने को मिली है
मार्च में खत्म हुए वित्त वर्ष 2017-18 में रिकॉर्ड चावल निर्यात के बाद अब नए वित्त वर्ष 2018-19 की शुरुआत भी बढ़े हुए चावल निर्यात से हुई है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 के पहले महीने अप्रैल के दौरान देश से चावल निर्यात में करीब 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
दुनिया में चावल के सबसे बड़े उपभोक्ता देश चीन ने भारतीय से चावल आयात की तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही भारत सरकार और चीन के कस्टम विभाग (General Administration of Customs of People Republic of China) के बीच इसको लेकर प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर होंगे। वाणिज्य मंत्रालय की संस्था एपीडा की तरफ से यह जानकारी दी गई है
देश से चावल निर्यात का नया रिकॉर्ड बना है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मार्च में खत्म हुए वित्तवर्ष 2017-18 के दौरान देश से कुल 126.85 लाख टन चावल का निर्यात हुआ है जो इतिहास में अबतक का सबसे अधिक निर्यात है और पूरी दुनिया में किसी देश की तरफ से एक साल में किया गया सबसे अधिक एक्सपोर्ट भी है
ऐसी संभावना जताई जा रही है कि मार्च के आंकड़ों के आने के बाद कुल चावल निर्यात 120 लाख टन के पार पहुंचेगा जो नया रिकॉर्ड होगा। दुनियाभर में भारत लगातार 3 साल से सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश बना हुआ है
इससे पहले कभी भी इतनी कम अवधि में इतने ज्यादा चावल का निर्यात नहीं हुआ था, भारत के पड़ौसी देशों के साथ खाड़ी देशों और अफ्रीकी देशों ने यह चावल खरीदा है
अप्रैल से दिसंबर 2017 के दौरान भारत से 16803 करोड़ रुपए के मूल्य के 63.39 लाख टन गैर बासमती चावल का और 2951 करोड़ रुपए मूल्य के 3.65 लाख टन ग्वारगम का निर्यात हुआ है
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