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ऋणों की वसूली व्यवस्था और कारगर करने वाला विधेयक लोकसभा में पारित

लोकसभा ने वह प्रस्तावित विधेयक पारित कर दिया जिसमें बैंकों को ऋण अदायगी नहीं किए जाने पर रेहन रखी गई संपत्ति को कब्जे में लेने के अधिकार दिया गया है।

Sachin Chaturvedi Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: August 01, 2016 22:18 IST
ऋणों की वसूली के लिए बैंक अब जब्‍त कर सकेंगे संपत्ति, लोकसभा ने दी कानून को मंजूरी- India TV Paisa
ऋणों की वसूली के लिए बैंक अब जब्‍त कर सकेंगे संपत्ति, लोकसभा ने दी कानून को मंजूरी

नई दिल्ली। लोकसभा ने वह प्रस्तावित विधेयक पारित कर दिया जिसमें बैंकों को ऋण अदायगी नहीं किए जाने पर रखी गई संपत्ति को कब्जे में लेने के अधिकार दिया गया है। खेती की जमीन को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सदन को आश्वासन दिया कि शिक्षा ऋण की वसूली के मामले में सहानुभूति का दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।

जेटली ने शिक्षा ऋण की अदायगी में चूक को माफ करने की संभावना से इंकार करते हुए कहा कि यदि कोई बेरोजगार है और जब तक उसे रोजगार नहीं मिलता उसके मामले में कुछ सहानुभूति रखी जा सकती है लेकिन ऐसे ऋणण को बट्टे खाते में नहीं डाला जा सकता। प्रतिभूति हित प्रवर्तन एवं ऋणों की वसूली के कानून एवं विविध प्रावधान (संशोधन) विधेयक 2016 पर लोकसभा में चर्चा पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के जवाब के बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया।

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प्रतिभूति हित प्रवर्तन एवं ऋणों की वसूली के कानून एवं विविध प्रावधान (संशोधन) विधेयक 2016 के जरिए चार मौजूदा कानूनों प्रतिभूतिकरण एवं वित्तीय संपत्तियों के पुनर्गठन एवं प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम 2002 (सरफेसी कानून), ऋण वसूली न्यायाधिकरण अधिनियम 1993, भारतीय स्टांप शुल्क अधिनियम 1899 और डिपॉजिटरी अधिनियम 1996 के कुछ प्रावधानों में संशोधन किए जा रहे हैं ताकि ऋण वसूली की व्यवस्था और कारगर हो सके। सरफेसी कानून में बदलाव से सिक्योर (गारंटी के आधार पर) ऋण देने वाली संस्था को ऋण की अदायगी नहीं किए जाने पर उसके लिए रेहन के रूप में रखी गई संपत्ति को कब्जे में लेने का अधिकार होगा। इसके तहत जिलाधिकारी को यह प्रक्रिया 30 दिन के अंदर संपन्न करानी होगी।

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जेटली ने कहा कि बैंकौं को ऋण अदा नहीं करने वालों के खिलाफ कारगर कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार जरूर होना चाहिए। उन्हौंने दिवाला कानून, प्रतिभूतिकरण कानून और डीआरटी कानून को इसी विषय में उठाया गया कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस कानून से वसूली की प्रक्रिया आसान होगी और ऋण वसूली न्यायाधिकरण के समक्ष लंबित मामलों का तत्परता से निस्तारण हो सकेगा। जेटली ने कहा कि कृषि भूमि को इस नए अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है।

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