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Sugarcane FRP: किसानों को फायदा उपभोक्‍ताओं का नुकसान, उठी चीनी का न्‍यूनतम बिक्री मूल्‍य बढ़ाने की मांग

चीनी मिलों की नकदी स्थिति में सुधार के लिए चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य मौजूदा 31 रुपये से बढ़ाकर 34.5-35 रुपये प्रति किलोग्राम किया जाना चाहिए।

Abhishek Shrivastava Written by: Abhishek Shrivastava
Updated on: August 26, 2021 13:24 IST
Sugarcane FRP Isma Demands for hike in minimum selling price of sugar- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

Sugarcane FRP Isma Demands for hike in minimum selling price of sugar

नई दिल्‍ली। केंद्र की मोदी सरकार ने 2022 में होने वाले पंजाब और उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले गन्‍ना किसानों को खुश करने के लिए बुधवार को एक बड़ी घोषणा की। चीनी विपणन वर्ष 2021-22 (अक्‍टूबर से सितंबर) के लिए गन्‍ने का उचित और लाभकारी मूल्‍य (एफआरपी) 5 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि देश के करोड़ों गन्ना किसानों के हित में आज सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य को बढ़ाकर 290 रु प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इससे किसानों के साथ ही चीनी मिल से जुड़े श्रमिक भी लाभान्वित होंगे।

गन्‍ने का एफआरपी बढ़ने से इसका उपभोक्‍ताओं पर क्‍या असर होगा। इस पर किसी ने कोई बात नहीं की। हालांकि सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में तत्काल कोई बढ़ोतरी करने से इनकार किया है। लेकिन यह भी सुनिश्चित नहीं किया है कि आगे भी बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। चीनी उद्योग के शीर्ष निकाय इस्‍मा ने तो एफआरपी की घोषणा के तुरंत बाद चीनी का न्‍यूनतम बिक्री मूल्‍य बढ़ाने की मांग कर डाली। इस्‍मा ने कहा कि चीनी मिलों की नकदी स्थिति में सुधार के लिए चीनी का न्‍यूनतम बिक्री मूल्‍य मौजूदा 31 रुपये से बढ़ाकर 34.5-35 रुपये प्रति किलोग्राम किया जाना चाहिए।

50 रुपये किलो बिकेगी चीनी?

वर्तमान में जब चीनी का न्‍यूनतम बिक्री मूल्‍य 31 रुपये किलो है, तब खुले बाजार में चीनी का खुदरा भाव 40 से 42 रुपये प्रति किलो के बीच है। यदि इसके न्‍यूनतम बिक्री मूल्‍य को बढ़ाकर 35 रुपये प्रति किलो कर दिया जाता है, तब चीनी का खुदरा मूल्‍य 50 रुपये के आसपास पहुंच जाएगा। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि चीनी उद्योग, विपणन वर्ष 2021-22 के लिए गन्ना एफआरपी को पांच रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल करने के सरकार के फैसले से अधिक बोझ महसूस नहीं करेगा। एफआरपी में वृद्धि के साथ, चीनी उद्योग उम्मीद करेगा कि सरकार चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में भी वृद्धि करेगी ताकि चीनी मिल मालिकों को मौजूदा और अगले सत्र में भी किसानों को अधिक गन्ना मूल्य भुगतान को समायोजित करने में मदद मिल सके।  

गन्‍ना खरीदने के लिए कहां से आएगा पैसा  

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि पिछले चीनी सत्र 2019-20 में गन्ने का बकाया 75,845 करोड़ रुपये था। इसमें से 75,703 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। सिर्फ 142 करोड़ रुपये का बकाया रह गया है। चालू चीनी विपणन सत्र 2020-21 में लगभग 2,967 लाख टन गन्‍ने की खरीद की गई है, जिसका कुल मूल्‍य 90,959 करोड़ रुपये है। इसमें से अबतक 86,238 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया जा चुका है। 2021-22 में चीनी मिलों द्वारा 3088 लाख टन गन्‍ने की खरीद करने का अनुमान है, जिसमे लिए किसानों को 1,00,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। इसके लिए पैसा चीनी की कीमत बढ़ाए बिना जुटाना संभव नहीं होगा।  

सरकार का तर्क

क्या सरकार एफआरपी में बढ़ोतरी के मद्देनजर चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाएगी, इस सवाल पर गोयल ने कहा कि ऐसा जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार चीनी का निर्यात बढ़ाने तथा एथेनॉल के उत्पादन के लिए काफी समर्थन दे रही है। इन सब कारणों के मद्देनजर हमें नहीं लगता कि फिलहाल चीनी का बिक्री मूल्य बढ़ाने की जरूरत है। गोयल ने कहा कि घरेलू बाजार में चीनी कीमतें स्थिर हैं। गोयल ने कहा कि चीनी मिलों ने 2020-21 के विपणन सत्र में 70 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए अनुबंध किया है। इसमें से 55 लाख टन का निर्यात हो चुका है। शेष 15 लाख टन भी पाइपलाइन में है। मंत्री ने कहा कि सरकार निर्यात बढ़ाने के लिए मिलों को वित्तीय मदद उपलब्ध करा रही है। इससे किसानों को उनके गन्ना बकाये का समय पर भुगतान करने में मदद मिली है।

एथेनॉल से हो रही है अतिरिक्‍त कमाई

गोयल ने बताया कि हाल के वर्षों में पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण की सीमा और मात्रा दोनों को बढ़ाया गया है। पिछले तीन चीनी सत्रों में चीनी मिलों/डिस्टिलरीज ने पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को एथेनॉल की बिक्री से करीब 22,000 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया है। गोयल ने कहा कि एथेनॉल से राजस्व 15,000 करोड़ रुपये वार्षिक से बढ़कर 40,000 करोड़ रुपये हो जाएगा। इससे चीनी मिलें किसानों को समय पर भुगतान कर सकेंगी।

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