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बढ़ती महंगाई के बावजूद सरकार को पूरा भरोसा, राजकोषीय घाटे के लक्ष्य कर पाएगी हासिल

नरेंद्र मोदी सरकार एक फरवरी को बजट पेश करेगी। अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले यह सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : Jan 10, 2023 19:39 IST, Updated : Jan 10, 2023 19:39 IST
NIrmala Sitharaman- India TV Paisa
Photo:PTI NIrmala Sitharaman

सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत के स्तर पर रखने के लक्ष्य को हासिल कर लेगी और अगले वित्त वर्ष में इसमें 0.50 प्रतिशत की कमी आ सकती है। बजट में राजकोषीय मजबूती पर जोर दिये जाने की उम्मीद है। एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। नरेंद्र मोदी सरकार एक फरवरी को बजट पेश करेगी। अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले यह सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है। राजकोषीय घाटा कुल आय और व्यय का अंतर है। यह घाटा बताता है कि सरकार को व्यय लक्ष्य को पूरा करने के लिये बाजार से कितना उधार लेना होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में कहा था कि वह बजट के अनुसार राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल करेंगी। इसका कारण बजट में तय लक्ष्यों के मुकाबले कर संग्रह अधिक होना है।

अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैक्स ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि जिंसों के दाम में तेजी के कारण खाद्यान्न और उर्वरक सब्सिडी पर खर्च बढ़ाना पड़ा है। इससे अधिक कर राजस्व के रूप में सरकार के लिये राजकोष के स्तर पर जो गुंजाइश बनी थी, वह कायम नहीं रह पायी। इसके अलावा सरकार ने मुख्य रूप से पूंजीगत व्यय, ग्रामीण विकास और रक्षा क्षेत्र में अतिरिक्त खर्च को लेकर मांग भी संसद में रखी। रिपोर्ट में उम्मीद जतायी गयी है कि सरकार बजट में तय लक्ष्य के अनुसार राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 प्रतिशत पर बरकरार रख पाएगी। जिंसों के दाम में तेजी से जो अतिरिक्त सब्सिडी है, उसकी भरपाई बजट से होने की संभावना है।

ब्रोकरेज कंपनी ने यह भी उम्मीद जतायी कि वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे में 0.5 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है। इसका कारण खाद्य और उर्वरक सब्सिडी में कमी तथा कर राजस्व का अधिक होना है। यानी इसका मतलब है कि देश राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर आगे बढ़ने वाला है। यह उम्मीद प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर से बंधी है। दोनों मदों में कर संग्रह बजट अनुमान को पार कर जाने की उम्मीद है। हालांकि, सरकार विनिवेश लक्ष्य से चूक सकती है।

ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि बजट में मध्यम अवधि में राजकोषीय मजबूती के रास्ते को चुने जाने के साथ पूंजी व्यय, विनिर्माण प्रोत्साहन पर जोर दिये जाने की उम्मीद है जबकि बाजार से कर्ज को इस हद तक सीमित किया जा सकता है, जिससे बाजार पर प्रतिकूल असर नहीं पड़े। यह बजट चुनाव से पहले पेश किया जा रहा है। ऐसे में सरकार बुनियादी ढांचे के लिये मुख्य रूप से सड़कों और रेलवे में पूंजी व्यय आवंटन में वृद्धि करेगी। दूसरी तरफ रक्षा खर्च में कमी की जा सकती है और ग्रामीण क्षेत्र और शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसे कल्याणकारी उपायों को लेकर आवंटन में वृद्धि होगी।

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