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Budget 2023: कैसा हो अगले साल का बजट? सरकार ने इन तीन बिंदुओं पर मांगे सुझाव

वित्त मंत्रालय के मुताबिक, सरकार कर प्रोत्साहनों, कर कटौतियों औऱ रियायतों को चरणबद्ध ढंग से खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। इसके साथ ही प्रत्यक्ष कर दरों को तर्कसंगत बनाने पर भी सरकार का ध्यान है। ऐसी स्थिति में उद्योग संगठनों को सुझावों से संबंधित विभिन्न पहलुओं का उल्लेख करना चाहिए।

Sachin Chaturvedi Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: December 29, 2022 16:31 IST
Nirmala Sitharaman- India TV Paisa
Photo:PTI Nirmala Sitharaman

Highlights

  • सरकार ने विभिन्न उद्योग एवं व्यापारी संगठनों से सुझाव मांगे
  • वित्त मंत्रालय ने प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के बारे में सुझाव मांगे हैं
  • वित्त वर्ष 2023-24 का बजट अगले साल एक फरवरी को पेश किया जाएगा

दुनिया इस समय गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। भारत के सामने भी इस समय कई आर्थिक चुनौतियां हैं। इस मुश्किल दौर के बीच सरकार एक बार फिर अगले साल का बजट तैयार करने में जुट गई है। इस बीच वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की तैयारी के क्रम में सरकार ने विभिन्न उद्योग एवं व्यापारी संगठनों से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के बारे में सुझाव मांगे हैं। 

सरकार कर रही है विभिन्न पक्षों से बातचीत

विभिन्न पक्षों के साथ परामर्श का सिलसिला शुरू करते हुए वित्त मंत्रालय ने उद्योग एवं व्यापारी संगठनों से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के बारे में सुझाव मांगे हैं। उद्योग संगठनों को अपने सुझावों के साथ ही उनके औचित्य का भी ब्योरा देना होगा। अगर इस औचित्य को गुणवत्तापरक पाया जाता है तो उसे अगले वित्त वर्ष के बजट में जगह दी जा सकती है। वित्त वर्ष 2023-24 का बजट अगले साल एक फरवरी को पेश किया जाएगा। 

इन तीन बिंदुओं पर मांगे सुझाव 

वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि कर संरचना, कर की दरों और कर-आधार बढ़ाने से संबंधित सुझावों को पांच नवंबर तक उसके पास भेजा जा सकता है। मंत्रालय ने उद्योग संगठनों के लिए प्रेषित संदेश में कहा, "वर्ष 2023-24 के बजट के लिए प्रस्ताव तैयार करने के क्रम में वित्त मंत्रालय आपके संगठन के विचारों एवं सुझावों से लाभान्वित होना चाहेगा।" 

खर्च घटाने की कोशिश में सरकार?

वित्त मंत्रालय के मुताबिक, सरकार कर प्रोत्साहनों, कर कटौतियों औऱ रियायतों को चरणबद्ध ढंग से खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। इसके साथ ही प्रत्यक्ष कर दरों को तर्कसंगत बनाने पर भी सरकार का ध्यान है। ऐसी स्थिति में उद्योग संगठनों को सुझावों से संबंधित विभिन्न पहलुओं का उल्लेख करना चाहिए। इसके साथ ही मंत्रालय ने उद्योग संगठनों से अनुपालन बोझ घटाने, कर निश्चितता प्रदान करने और कानूनी प्रक्रिया घटाने से संबंधित सुझाव भी मांगे हैं। वहीं अप्रत्यक्ष करों के संदर्भ में किसी उत्पाद के लिए उलटी शुल्क संरचना दुरूस्त करने से संबंधित सुझावों में विनिर्माण के हरेक चरण में होने वाले मूल्य वर्द्धन की जानकारी देने को भी कहा गया है।

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