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दूध से A1-A2 की लेबलिंग हटाने के पीछे क्या है FSSAI का तर्क, क्या कंपनियां कर रहीं गुमराह?

FSSAI ने फूड बिजनेस ऑपरेटर्स को मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट्स से ए1, ए2 की लेबलिंग हटाने का आदेश दिया है।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Aug 23, 2024 15:42 IST, Updated : Aug 23, 2024 15:42 IST
A2 दूध- India TV Paisa
Photo:FILE A2 दूध

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी FSSAI ने ई-कॉमर्स कंपनियों समेत सभी फूड बिजनेस ऑपरेटर्स को दूध और इससे बने प्रोडक्ट्स पर 'A1' और 'A2' लेबलिंग को हटाने का आदेश दिया है। एफएसएसएआई ने कहा, 'FSSAI के संज्ञान में आया है कि कई फूड बिजनेस ऑपरेटर्स घी, बटर, दही आदि दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स को FSSAI लाइसेंस नंबर के तहत 'A1' और 'A2' के नाम से बेच रहे हैं।' फूड रेगुलेटर ने कहा कि ए1 और ए2 मिल्क में फर्क प्रोटीन के स्ट्रक्चर (beta casein). में अंतर के कारण होता है। मौजूदा नियम A1 और A2 प्रकार के आधार पर दूध के ऐसे किसी भी भेदभाव को मान्यता नहीं देते हैं।

FSSAI ने क्या दिया आदेश?

FSSAI के एक आदेश में कहा गया, 'अतः, मिल्क फैट प्रोडक्ट्स पर किसी भी A2 दावे का उपयोग भ्रामक है और खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम, 2006 और इसके नियमों के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।' आदेश में आगे कहा गया, 'संबंधित FBOs को इस निर्देश के जारी होने की तिथि से इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना होगा। हालांकि, FBOs को इस निर्देश के जारी होने की तिथि से छह महीने के भीतर उपलब्ध पूर्व-मुद्रित लेबल समाप्त करने की अनुमति है, किसी भी FBO को कोई और विस्तार या समय सीमा नहीं दी जाएगी।'

ग्राहकों को गुमराह करती है यह लेबलिंग

डेयरी इंडस्ट्री ने इस आदेश को सपोर्ट किया है। इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि इससे डेयरी प्रोडक्ट लेबलिंग के बारे में बेहतर पारदर्शिता और शुद्धता आ सकेगी। पराग मिल्क फूड्स के चेयरमैन देवेंद्र शाह ने इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, 'भ्रामक दावों को हटाना जरूरी है। A1 और A2 का वर्गीकरण सिर्फ मार्केटिंग से प्रेरित था, ना कि इस वर्गीकरण के पीछे कोई वैज्ञानिक तर्क या जांच थी।' शाह ने बताया, 'A1 और A2 मिल्क के आसपास काफी चर्चा रही है। लेकिन यह समझना जरूरी है कि दूध की असली वैल्यू इसकी न्यूट्रीशनल प्रोफाइल में होती है। FSSAI का हालिया आदेश इसी लाइन पर है।'रेगुलेटर का कहना है कि ये ए1 और ए2 लेबलिंग दूध की गुणवत्ता से संबंधित भ्रम पैदा करती है और भारतीय कानून में इस तरह का वर्गीकरण नहीं है। आजकल दूध, घी, मक्खन, दही जैसे दूध के उत्पादों पर कई कंपनियां A1 और A2 लेबलिंग करती हैं। इन दोनों में कीमतों का काफी फर्क होता है।

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