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जीएसटी काउंसिल इस मुद्दे पर 9 सितंबर को करेगी मीटिंग, जानें वित्त मंत्री ने और क्या कहा

केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 54वीं बैठक 9 सितंबर को होगी, जिसमें राज्य के मंत्री शामिल होंगे।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Aug 27, 2024 21:47 IST, Updated : Aug 27, 2024 21:47 IST
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।- India TV Paisa
Photo:FILE वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।

जीएसटी परिषद अगले महीने यानी सितंबर में टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाने पर चर्चा करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को यह जानकारी दी। वित्त मंत्री ने हालांकि यह भी कहा कि लेकिन टैक्स और स्लैब में बदलाव पर आखिरी फैसला बाद में लिया जाएगा। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि लग्जरी वस्तुओं सहित अन्य मुद्दों पर मुआवजा उपकर पर भी चर्चा की जाएगी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के नेतृत्व में टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाने पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) की पिछले सप्ताह बैठक हुई थी। इसमें मोटे तौर पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत स्लैब को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने पर सहमति बनी।

आखिरी फैसला अगली बैठक में होगा

खबर के मुताबिक, पैनल ने फिटमेंट कमेटी-टैक्स अधिकारियों के एक समूह-को कुछ वस्तुओं पर दरों में बदलाव के निहितार्थ का विश्लेषण करने और उन्हें जीएसटी परिषद के समक्ष प्रस्तुत करने का काम भी सौंपा। सीतारमण ने कहा कि आगामी जीएसटी परिषद की बैठक में अधिकारियों की समिति दरों को तर्कसंगत बनाने पर एक प्रस्तुति देगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि दरों को तर्कसंगत बनाने पर आखिरी फैसला अगली बैठक में लिया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 54वीं बैठक 9 सितंबर को होगी, जिसमें राज्य के मंत्री शामिल होंगे।

कर्नाटक को लेकर आई ये बात सामने

बीते शनिवार को जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक में पता चला कि कर्नाटक ने मुआवजा उपकर लगाने, ऋण राशि के पुनर्भुगतान और इसके आगे के कदमों का मुद्दा उठाया था। अधिकारियों ने पहले कहा था कि सरकार राज्यों को जीएसटी राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए वित्त वर्ष 2021 और 2022 में लिए गए 2.69 लाख करोड़ रुपये के उधार को निर्धारित मार्च 2026 से चार महीने पहले नवंबर 2025 तक चुकाने में सक्षम हो सकती है। इसलिए, नवंबर 2025 से आगे उपकर राशि को कैसे विभाजित किया जाएगा, इस पर परिषद की बैठक में चर्चा की जा सकती है। जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद राज्यों की राजस्व कमी को पूरा करने के लिए शुरू में 5 साल के लिए मुआवजा उपकर लाया गया था।

लेवी के जरिये जमा की गई राशि का इस्तेमाल

मुआवजा उपकर जून 2022 में समाप्त हो गया, लेकिन लेवी के जरिये जमा की गई राशि का इस्तेमाल कोविड-19 के दौरान केंद्र द्वारा उधार लिए गए 2.69 लाख करोड़ रुपये के ब्याज और मूलधन को चुकाने के लिए किया जा रहा है। जीएसटी परिषद को अब अपने नाम के संबंध में मौजूदा जीएसटी मुआवजा उपकर के भविष्य और ऋण चुकाने के बाद राज्यों के बीच इसके वितरण के तौर-तरीकों पर फैसला करना होगा। क्षतिपूर्ति की कम राशि जारी करने के कारण राज्यों के संसाधन अंतर को पूरा करने के लिए, केंद्र ने उपकर संग्रह में कमी के एक हिस्से को पूरा करने के लिए 2020-21 में 1.1 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.59 लाख करोड़ रुपये बैक-टू-बैक ऋण के रूप में उधार लिए और जारी किए। जून 2022 में, केंद्र ने क्षतिपूर्ति उपकर की वसूली को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया।

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