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न्यू रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट में घर की बुकिंग बढ़ी, होम बायर्स के बीच रेडी टू मूव नहीं रही पहली पसंद, जानें क्यों?

प्रॉपर्टी कंसल्‍टेंट कंपनी एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में बेचे जाने वाले 4.60 लाख घरों में से 42% से अधिक नए लॉन्च किए गए प्रोजेक्ट में थे।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Mar 24, 2025 21:32 IST, Updated : Mar 24, 2025 21:32 IST
Under construction Project
Photo:FILE अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट

प्रॉपर्टी की कीमत में पिछले 3 सालों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। दिल्ली-एनसअीर में अधिकांश लोकेशन पर 2बीएचके फ्लैट की कीमत 1 करोड़ के पार पहुंच गई है। इसके चलते बहुत सारे होम बायर्स के बजट के बाहर प्रॉपर्टी की कीमत निकल गई है। वो चाह कर भी अपने सपने का आशियाना नहीं खरीद पा रहे हैं। इसके चलते अब उनकी पहली पसंद रेडी टू मूव यानी बनकर तैयार घर नहीं रह गए हैं। होम बायर्स सस्ती प्रॉपर्टी के लिए न्यू लॉन्च प्राजेक्ट की ओर रुख कर रहे हैं। इस बदलाव की एक और बड़ी वजह RERA यानी रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण का मुसतैदी से काम करना है। क्रेडाई पश्चिमी यूपी के सचिव दिनेश गुप्ता ने बताया कि रेरा से पहले रियल एस्टेट सेक्टर में फैली अनियमितता के कारण एनसीआर के बायर रेडी टू मूव प्रॉपर्टी ही लेना ही पसंद करते थे। लेकिन समय के साथ परिस्थिति बदली है, रेरा ने इस सेक्टर में पारदर्शिता लाने का काम किया। इससे होम बायर्स में विश्वास बढ़ा। अब वो अंडर कंस्ट्रक्शन या न्यू लॉन्च प्रोजेक्ट में भी घर बुक कराने से नहीं हिचक रहे हैं। इसके चलते अब निर्माणाधीन परियोजनाओं में नई यूनिटस की मांग बढ़ रही है।

नए प्रोजेक्ट में प्रॉपर्टी की मांग बढ़ी

प्रॉपर्टी कंसल्‍टेंट कंपनी एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में बेचे जाने वाले 4.60 लाख घरों में से 42% से अधिक नए लॉन्च किए गए प्रोजेक्ट में थे। यह स्थिति कोविड महामारी से पहले 2019 के बाद सबसे बेहतर है। उस समय न्यू लॉन्च हुए प्रोजेक्ट में करीब 2.61 लाख घरों की बिक्री हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, देश के टॉप 7 शहरों में 2020 में बेचे गए 1.38 लाख फ्लैट में से 28% न्यू लॉन्च प्रोजेक्ट में थे। वहीं, 2021 में बेची गई 2.37 लाख इकाइयों में से यह आंकड़ा बढ़कर 34% हो गया था। वर्ष 2022 में, 3.65 लाख घरों में से 36% तथा 2023 में बेचे गए लगभग 4.77 लाख घरों का 40% न्यू प्रोजेक्ट में थे। यानी एक बार फिर नए प्रोजेक्ट की मांग बढ़ी है। 

मनचाहा फ्लैट चुनने की आजादी

नए प्रोजेक्ट में घर की मांग बढ़ने की एक दूसरी वजह मनचाहा फ्लैट चुनने की आजादी भी है। आरजी ग्रुप के निदेशक हिमांशु गर्ग के अनुसार, कोविड महामारी के बाद रियल एस्टेट कंपनियों ने मार्केट की जरूरतों के अनुसार अपने निर्माण की तकनीक और डिजाइन में बदलाव करते हुए नए टावर लॉन्च किए। न्यू प्रोजेक्ट में होम बायर्स की जरूरतों का खासा ध्यान रखा गया। समय के साथ बड़े साइज के फ्लैट की मांग को देखते बड़े यूनिट्स/3 बीएचके साइज के फ्लैट लॉन्च किए गए। इसके बाद होम बायर्स ने इसको हाथोंहाथ लिया। 

होम बायर्स को भी राहत 

न्यू प्रोजेक्ट में फ्लैट की बुकिंग कराने वाले होम बायर्स को कई तरह की राहत भी मिल जाती है। केडब्लू ग्रुप के निदेशक पंकज कुमार जैन के अनुसार, नए प्रोजेक्ट में रियल एस्टेट डेवलपर्स  लचीले पेमेंट प्लान लेकर आते हैं। इससे होम बायर्स को राहत मिलती है। साथ ही कई तरह की छूट भी दी जाती है। ये सारे प्रायस होम बायर्स को बड़ी बचत कराते हैं। वैसे भी एक घर खरीदार के लिए परियोजना लॉन्च होने के साथ निवेश करना ही सबसे अच्छा समय होता है। निराला वर्ल्ड के सीएमडी, सुरेश गर्ग के अनुसार बदलते दौर के साथ डेवलपर्स भी अपनी रणनीति में बदलाव ला रहे है। वे ऐसे प्रोजेक्ट लॉन्च कर रहे हैं, जो वास्तव में बाजार की मांग के अनुरूप हो। इस बात का भी खासा ध्यान रखा जा रहा है कि प्रोजेक्ट को लॉन्च करने के बाद समय से पूरा किया जाएग। क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं हो। मॉर्डन जरूरत के हिसाब से निर्माण और सुविधाएं प्रोजेक्ट में दी जाएं। 

नए कान्सेप्ट, डिजाइन ने बदली सोच

 

रेनॉक्स ग्रुप के एमडी शैलेन्द्र शर्मा ने बताया कि बदलते समय के साथ न्यू एज के घर खरीदारों की च्वाइस बदली है। अब वे लक्जरी के साथ-साथ नए कान्सेप्ट, डिजाइन और पूर्णतः वास्तु फीचर से लैस घरों की मांग कर रहे है। मांग और मौके के अनुसार नए प्रोजेक्ट को डिजाइन कर लाया जा रहा है। इसके चलते होम बायर्स रेडी टू मूव प्रोजेक्ट से हटकर नए कान्सेप्ट के प्रोजेक्ट का ऑप्शन को पसंद कर रहे हैं। ले. कर्नल अश्वनी नागपाल (रिटायर्ड), सीईओ, डिलिजेन्ट बिल्डर्स के अनुसार जो फ्लेक्सिबिलिटी नई परियोजनाओं में मिल सकता है, उसकी संभावना पुरानी परियोजनाओं में नहीं रहती है। परियोजनाओं में लगातार देरी से परेशान उपभोक्ताओं के लिए रेडी-टू-मूव-इन घर शीर्ष पसंद थे लेकिन बदलते समय ने एक बार फिर नई परियोजना की मांग बढ़ाई है। 

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