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भारत में मुफ्त अनाज योजना की वजह से महामारी काल में भी नहीं बढ़ी गरीबों की संख्या: IMF

‘महामारी, गरीबी और असमानता : भारत से मिले साक्ष्य’ शीर्षक से जारी दस्तावेज में देश में गरीबी का अनुमान और उपभोग में असामनता पर अनुमान प्रस्तुत किये गये हैं।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 07, 2022 12:34 IST
poor- India TV Paisa
Photo:FILE

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Highlights

  • देश में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत मार्च, 2020 में की गई थी
  • केंद्र सरकार हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज मुफ्त उपलब्ध कराती है
  • महामारी से प्रभावित 2020-21 में बेहद गरीबी आबादी 0.8% के निचले स्तर पर रहा

नई दिल्ली। गरीबों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने वाली प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित वर्ष 2020 में भारत में बेहद गरीबों की संख्या को 0.8 प्रतिशत के निचले स्तर पर बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के एक दस्तावेज में यह कहा गया है। ‘महामारी, गरीबी और असमानता : भारत से मिले साक्ष्य’ शीर्षक से जारी दस्तावेज में देश में गरीबी का अनुमान और उपभोग में असामनता पर अनुमान प्रस्तुत किये गये हैं। ये अनुमान 2004-05 से महामारी वर्ष 2020-21 तक के दिये गये हैं। इसमें कहा गया है, बेहद गरीबी महामारी-पूर्व वर्ष 2019 में 0.8 प्रतिशत के निचले स्तर पर थी। 

सरकार पांच किलो मुफ्त अनाज दे रही 

गरीबों को मुफ्त अनाज देने की योजना ने महामारी से प्रभावित वर्ष 2020 में भी इसे निचले स्तर पर बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिक निभाई। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेएवाई) की शुरुआत मार्च, 2020 में की गयी। इसके तहत केंद्र सरकार हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज मुफ्त उपलब्ध कराती है। यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत काफी सस्ती दर दो रुपये और तीन रुपये किलो पर उपलब्ध कराये जा रहे अनाज के अतिरिक्त है। पीएमजीकेएवाई को सितंबर, 2022 तक बढ़ा दिया गया है। सुरजीत एस भल्ला, करण भसीन और अरविंद विरमानी द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से प्रभावित 2020-21 में अत्यधिक गरीबी का स्तर आबादी के 0.8 प्रतिशत के निचले स्तर पर रहा। 

दुनिया में बढ़ी गरीबों की संख्या 

इसमें कहा गया है कि वर्ष 2016-17 में अत्यधिक गरीबी दो प्रतिशत के निचले स्तर पर पहुंची थी। क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर 68 प्रतिशत उच्चतम निम्न मध्यम आय (एलएमआई) गरीबी रेखा के अनुसार 3.2 डॉलर प्रतिदिन के हिसाब से महामारी-पूर्व वर्ष 2019-20 में गरीबी 14.8 प्रतिशत रही। इसके अनुसार, ‘‘इसे इस नजरिये से देखा जा सकता है कि 2011-12 में निम्न पीपीपी के तहत 1.9 डॉलर की गरीबी रेखा के आधार पर गरीबी का स्तर 12.2 प्रतिशत था। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि कई दशकों में पहली बार अत्यधिक गरीबी क्रय शक्ति समता के संदर्भ में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 1.9 डॉलर से कम पर गुजर-बसर करने वाले दुनिया में महामारी वर्ष, 2020 में बढ़ी।

सरकार के प्रयास से गरीबी कम हुई 

इसके अनुसार, महामारी के प्रभाव से निपटने के सरकार के उपाय गरीबी को बढ़ने से रोकने को लेकर महत्वपूर्ण थे। खाद्य सुरक्षा कानून के 2013 में अमल में आने के बाद से सस्ती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने की व्यवस्था तथा आधार के जरिये इसके और बेहतर तरीके से क्रियान्वयन से गरीबी कम हुई है। इसके अलावा इसमें कहा गया है कि गरीबी पर सब्सिडी समायोजन का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। दस्तावेज के अनुसार, ‘‘गिनी गुणांक या सूचकांक के आधार पर मापी जाने वाली वास्तविक असमानता पिछले 40 साल में अपने निचले स्तर पर पहुंच गयी है। वर्ष 1993-94 में यह 0.284 थी जो 2020-21 में 0.292 पर पहुंच गई।

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