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Hydrogen से चलने वाली ट्रेनों का विकास कर रहा भारत, जानिए क्या है उसकी 5 खासियत

Hydrogen Train: भारत हाइड्रोजन (Hydrogen) से चलने वाली ट्रेनों का विकास कर रहा है और वे 2023 तक बनकर तैयार हो जाएंगी। बिजली और ईंधन बचाने के उद्देश्य से हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन पर प्रमुखता से सरकार फोकस कर रही है।

Vikash Tiwary Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: September 16, 2022 15:56 IST
Hydrogen train- India TV Paisa
Photo:INDIA TV Hydrogen से चलने वाली ट्रेनों का विकास कर रहा भारत

Highlights

  • अब तक केवल जर्मनी के पास है हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें
  • भारत हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का विकास कर रहा है
  • 2023 तक बनकर हो जाएंगी तैयार

Hydrogen Train: भारत हाइड्रोजन (Hydrogen) से चलने वाली ट्रेनों का विकास कर रहा है और वे 2023 तक बनकर तैयार हो जाएंगी। बिजली और ईंधन बचाने के उद्देश्य से हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन पर प्रमुखता से सरकार फोकस कर रही है। आने वाले समय में ईंधन पर से निर्भरता हटाने के लिए सरकार प्रयासरत है। रेल ईंधन के रूप में हरे हाइड्रोजन का उपयोग शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों का समर्थन करने सहित दूसरी कई लाभ प्रदान करता है।

किन देशों ने की है हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें विकसित

अब तक केवल जर्मनी ने ही हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें विकसित की हैं। इस साल जर्मनी ने हाइड्रोजन से चलने वाली यात्री ट्रेनों का दुनिया का पहला बेड़ा लॉन्च किया था। फ्रांसीसी कंपनी एल्सटॉम (Alstom) ने लगभग 92 मिलियन डॉलर की लागत से हाइड्रोजन ईंधन सेल ड्राइव वाली 14 ट्रेनें विकसित की हैं। भारत को पिछले महीने पुणे में KPIT-CSIR द्वारा विकसित की गई पहली स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाली बस मिली थी।

क्या होगी इस ट्रेन की खासियत?

  1. हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों में आवश्यक बिजली की आपूर्ति एक ईंधन सेल के माध्यम से की जाती है, जो हवा में ऑक्सीजन के साथ ट्रेन की छत पर स्टोर की गई हाइड्रोजन को मिलाकर ऊर्जा उत्पन्न करती है। इस प्रक्रिया में कार्बन-डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता है। 
  2. हाइड्रोजन ट्रेनों को कहीं भी तैनात किया जा सकता है। मौजूदा ट्रेनों और लाइनों में भी लगाया जा सकता है। इसके लिए अलग से कोई व्यवस्था करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
  3. हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रेनों से 140 किमी/घंटा की अधिकतम स्पीड पर 1000 किलोमीटर तक की लंबी दूरी तय की जा सकती है। इलेक्ट्रिक ट्रेनों की तुलना में यह दस गुना अधिक दूरी तय करती है और इसमें ईंधन भरने में भी अधिक समय नहीं लगता है। 20 मिनट में 18 घंटे की दूरी तय करने जितना ईंधन भरा जा सकता है। 
  4. ईंधन सेल की लागत और रखरखाव में कम खर्च आते हैं। कंसल्टिंग फर्म रोलैंड बर्जर की एक रिपोर्ट के अनुसार, डीजल या इलेक्ट्रिक से चलने वाली ट्रेनो की तुलना में इसकी लागत बेहद कम आती है।
  5. हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें आरामदायक होती हैं। इसके चलने पर अधिक आवाज नहीं निकलता है। हाइड्रोजन एक बेहतरीन ड्राइविंग एक्सपीरिएंस प्रदान करता है। यह उन क्षेत्रों के लिए अधिक जरूरी है जहां प्रदूषण एक बड़ी समस्या बना हुआ है। 

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