
घरेलू एयरलाइंस इंडिगो की एक कर्मचारी ने अपने सीनियर्स (वरिष्ठ सहकर्मियों) पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इसमें कंपनी की मीटिंग के दौरान उसके खिलाफ जातिवादी गाली-गलौज करने का आरोप है। इस मामले में कर्मचारी की तरफ से एफआईआर भी करा दी गई है। हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, हालांकि इंडिगो ने कर्मचारी के आरोप का खंडन किया है। एयरलाइंस ने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ जांच में सहयोग करेगी।
एफआईआर कहां हुआ है दर्ज
खबर के मुताबिक, बेंगलुरू के 35 वर्षीय इंडिगो कर्मचारी शरण ए ने शिकायत दर्ज कराई। यह घटना गुरुग्राम में हुई। डीएलएफ फेज 1 पुलिस स्टेशन ने कर्नाटक की राजधानी में दर्ज शून्य शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की। डीएलएफ फेज 1 के स्टेशन हाउस ऑफिसर राजेश कुमार का कहना है कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच चल रही है। हम तथ्यों की पुष्टि कर रहे हैं और कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
इंडिगो ने आरोपों को निराधार बताया
इंडिगो ने कर्मचारी की तरफर से की गई शिकायत को बिल्कुल निराधार बताया है। आरोप को खारिज करते हुए दावा किया कि कार्यस्थलों पर किसी भी तरह के उत्पीड़न के प्रति उसकी नीति शून्य-सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) की है। इंडिगो के प्रवक्ता ने कहा कि इंडिगो किसी भी तरह के भेदभाव, उत्पीड़न या पक्षपात के प्रति जीरो टॉलरेंस (बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करना) नीति पर कायम है और एक समावेशी और सम्मानजनक कार्यस्थल होने के लिए मजबूती से प्रतिबद्ध है। इंडिगो इन आरोपों का खंडन करता है और निष्पक्षता, अखंडता और जवाबदेही के अपने मूल्यों पर कायम है।
एफआईआर में क्या कहा गया
इंडिगो कर्मचारी की तरफ से की गई शिकायत में लिखा गया है कि वह अनुसूचित जाति आदि द्रविड़ समुदाय से ताल्लुक रखता है। उसका कहना है कि कार्यस्थल पर उसे कई बार जाति-आधारित कमेंट्स का सामना करना पड़ा। 28 अप्रैल को एक मीटिंग के दौरान, इंडिगो के कर्मचारी तपस डे, मनीष साहनी और कैप्टन राहुल पाटिल ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। शरण ए ने एफआईआर में लिखवाया है कि जाति-आधारित मौखिक दुर्व्यवहार, भेदभाव और धमकियां दी गईं। मुझे सबके सामने अपमानित किया गया। इससे पहले भी, मुझे लगातार और लक्षित उत्पीड़न और भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ा।
उन्होंने आगे लिखा है कि बिना किसी दोष या सबूत के मुझे कई चेतावनी पत्र जारी किए गए। सैलरी काटी गई। बिना किसी वैलिड कारण के सिक लीव में कटौती की गई। यहां तक कि आरोपियों ने मुझ पर इस्तीफा देने का भी दबाव बनाया। कर्मचारी ने दावा किया कि उन्होंने कथित उत्पीड़न के बारे में सीईओ और आचार समिति को सूचित किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।