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दुनिया में दो महीनों में चीनी का दाम 55 प्रतिशत बढ़ा, जानें क्या भारत में भी बढ़ेगी कीमत?

कृषि डेटा और विश्लेषण फर्म ग्रो इंटेलिजेंस की वरिष्ठ शोध विश्लेषक केली गौगरी ने कहा कि चीनी की वैश्विक आपूर्ति मार्च तक राहत नहीं मिल पाएगी। यानी दाम मार्च के बाद ही कम होंगे।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 19, 2023 16:49 IST
Sugar- India TV Paisa
Photo:FILE चीनी

चीनी की आसमान छूती कीमतों के कारण विकासशील देशों में लोगों को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले दो महीनों में चीनी के दाम 55 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। दुनिया भर में चीनी के भाव 2011 के बाद से सबसे ऊंचे स्तर पर हैं। दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े निर्यातक देश भारत और थाईलैंड में असामान्य रूप से शुष्क मौसम के कारण गन्ने की फसल को नुकसान होने से चीनी की वैश्विक आपूर्ति कम हुई है। यह उन विकासशील देशों के लिए एक नया झटका है, जो पहले ही चावल जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों की कमी से जूझ रहे हैं। इस वजह से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ गई है। ऐसे में क्या भारत में भी दाम बढ़ेंगे? चीनी मार्केट के जानकारों का कहना है कि अभी ऐसी स्थिति नहीं है। भारत के पास चीनी स्टॉक की कोई कमी नहीं है। इसके चलते यहां दाम में बड़ी बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। 

चीनी का उत्पादन कम रहने का अनुमान 

प्राकृतिक रूप से हो रही जलवायु परिघटना अल नीनो, यूक्रेन में युद्ध और कमजोर मुद्राओं के कारण खाद्य असुरक्षा बढ़ी है। पश्चिमी दुनिया के अमीर देश ऊंची लागत को वहन कर सकते हैं, लेकिन गरीब देशों में लोगों को आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) का अनुमान है कि 2023-24 सत्र में चीनी का वैश्विक उत्पादन दो प्रतिशत तक कम रह सकता है। एफएओ के वैश्विक कमोडिटी बाजार शोधकर्ता फैबियो पाल्मेरी ने कहा कि ऐसा होने पर वैश्विक चीनी उत्पादन में करीब लगभग 35 लाख टन की गिरावट आ जाएगी। 

एथनॉल में इस्तेमाल बढ़ने का भी असर 

एथनॉल जैसे जैव ईंधन के लिए भी चीनी का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है, इसलिए चीनी का वैश्विक भंडार 2009 के बाद से सबसे कम है। ब्राजील चीनी का सबसे बड़ा निर्यातक है, लेकिन इसकी पैदावार 2024 के अंत में ही कमियों को दूर करने में मदद करेगी। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) का मानना है कि इस साल भारत के चीनी उत्पादन में आठ प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। भारत चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और अब वहां चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। थाईलैंड शुगर प्लांटर्स एसोसिएशन के नेता नाराधिप अनंतसुक ने कहा कि उनके देश में अल नीनो प्रभाव से न केवल गन्ने की मात्रा में कमी आई है, बल्कि फसल की गुणवत्ता में भी बदलाव हुआ है। अमेरिकी कृषि विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर में थाईलैंड में उत्पादन में 15 प्रतिशत घट सकता है। 

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