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Rupee Fall Impact: भूल जाइए सस्ते मोबाइल और सैर सपाटा, 80 पर जा टंगा रुपया लाएगा बड़ी आफत

Rupee Fall Impact: भूल जाइए सस्ते मोबाइल और सैर सपाटा, 80 पर जा टंगा रुपया लाएगा बड़ी आफत

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: July 16, 2022 18:47 IST
Rupee- India TV Paisa
Photo:FILE Rupee

Highlights

  • रुपये की गिरावट ने चीजों के सस्ता होने की कल्पना करना ही बेमानी कर दिया है
  • भारतीय रुपये की कीमत 80 रुपये के एकदम करीब पहुंच गई है
  • देश अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेश से मंगवाता है

Rupee Fall Impact: भारतीय रुपये (Indian Rupee) की कमजोरी बोलें या फिर डॉलर (US Dollar) की मजबूत, दोनों ही मामलों में आफत हम और आप जैसे आम लोगों की ही है। महंगाई डायन हर दिन हमारी कमाई को निगल रही है। वहीं रुपये की गिरावट ने चीजों के सस्ता होने की कल्पना करना ही बेमानी कर दिया है। देश अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेश से मंगवाता है। वहीं इंजीनियरिंग, इले​क्ट्रॉनिक्स से लेकर दवाओं के आयात पर भी हमारी पूरी तरह निर्भरता है। 

इस हफ्ते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 80 रुपये के एकदम करीब पहुंच गई है। कच्चे तेल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों तक का आयात, विदेशी शिक्षा और विदेश यात्रा महंगी होने के साथ ही महंगाई की स्थिति और खराब होने की आशंका है। ऐसे में यदि आप सस्ते मोबाइल फोन, लैपटॉप, स्मार्टटीवी और दूसरे गैजेट्स खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए बुरी खबर है। विदेश से भारत आने वाली सभी चीजों पर अब महंगाई की मार पड़ना तय माना जा रहा है। 

पेट्रोल डीजल सहित दूसरे आयातित प्रोडक्ट होंगे महंगे

डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। भारत द्वारा आयात किए जाने वाले सामानों में कोयला, प्लास्टिक सामग्री, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, वनस्पति तेल, उर्वरक, मशीनरी, सोना, मोती, कीमती और लोहा व इस्पात शामिल हैं। रुपये की कीमत में बड़ी गिरावट आने से इन वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ सकता है। 

Rupee historic Data

Image Source : FILE
Rupee historic Data

क्यों आ रही है रुपये में गिरावट 

रुपये में गिरावट में अर्थशास्त्र का मांग और आपूर्ति का नियम लागू होता है। हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महंगाई बढ़ने से जब किसी देश को अपनी तिजोरी से ज्यादा डॉलर खर्च करने होते हैं, तो डॉलर की मांग आ​पूर्ति से अधिक हो जाती है। ऐसे में रुपया गिरने लगता है। मौजूदा दौर में भारत कच्चे तेल की डेढ़ गुनी कीमत चुका रहा है। उस पर जिन विदेशी संस्थागत निवेशक जिन्हें FII कहते हैं वे भारी मात्रा में पैसा भारतीय शेयर बाजार से निकाल रहे हैं। इससे एक ओर जहां शेयर बाजार ढह रहे हें वहीं रुपया भी धराशाई हो रहा है। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

रेलिगेयर ब्रोकिंग के जिंस एवं करेंसी विभाग के उपाध्यक्ष, सुगंधा सचदेवा ने कहा, ‘‘घरेलू शेयरों से बेरोकटोक धन निकासी और डॉलर के मजबूत होने के बीच, कुछ समय के लिए 78 अंक के आसपास मंडराने के बाद, भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले एक नए रिकॉर्ड निचले स्तर तक चला गया। एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट डिपार्टमेंट के वाइस प्रेसिडेंट जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘फेडरज रिजर्व के आक्रामक रुख और भारतीय बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की आक्रामक बिक्री के कारण रुपया कमजोर होकर 78.30 से नीचे चला गया।’’ 

आपकी जेब में एक और महंगाई का छेद 

रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा। 

पेट्रोल डीजल सहित दूसरे आयातित प्रोडक्ट होंगे महंगे

डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। ऐसे में रुपये में गिरावट का असर यहां पर भी देखने को मिल सकता है। 

मोबाइल लैपटॉप की कीमतों पर असर 

भारत अधिकतर मोबाइल और अन्य गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता है। विदेश से आयात के लिए अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण अब इनकी कीमतें बढ़नी तय मानी जा रही है। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है। ऐसे में मेड इन इंडिया का दावा करने वाले गैजेट पर भी महंगे आयात की मार पड़ेगी। 

विदेश में पढ़ना महंगा  

इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। इसके चलते उनका खर्च बढ़ जाएगा। वे अपने साथ जो रुपये लेकर जाएंगे उसके बदले उन्हें कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा

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