
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड (बीआईएल) के लिए तीन दशक से ज्यादा समय तक बिस्कुट बनाने वाली कंपनी को बंद करने की मंजूरी बुधवार को मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला खारिज करते हुए मंजूरी के आदेश दिए। भाषा की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने हाई कोर्ट के 17 फरवरी, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (एचएसएमएल) की अपील पर यह फैसला सुनाया।
सद्भावना राशि कोर्ट ने इतनी बढ़ा दी
खबर के मुताबिक, हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड ने पहले अपने कर्मचारियों को सद्भावना के तौर पर 10 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी। लेकिन अदालत ने इस राशि को बढ़ाकर 15 करोड़ रुपये कर दिया और आठ सप्ताह के भीतर इसका भुगतान करने को भी कहा। कोर्ट ने कहा कि यह देखते हुए कि इस कंपनी के बंद होने से कुछ कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है और कुछ अन्य बिना किसी गलती के बेरोजगार हो सकते हैं, हम हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड के इस कदम की सराहना करते हैं। इस तरह के बयान को रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है।
आठ सप्ताह में राशि जारी हो जानी चाहिए
हरिनगर शुगर मिल्स की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सद्भावना राशि बढ़ाने पर फैसला लेने का काम अदालत पर छोड़ दिया था। कोर्ट ने कहा कि हम अपीलकर्ताओं की पेशकश में पांच करोड़ रुपये की बढ़ोतरी करना उचित और न्यायपूर्ण समझते हैं। इस तरह यह राशि हमारे आदेश में उल्लिखित 10 करोड़ रुपये के बजाय 15 करोड़ रुपये हो जाती है। राशि जारी करने में आठ सप्ताह से अधिक समय नहीं लगना चाहिए।
नए समझौते को ब्रिटानिया ने 20 नवंबर, 2019 से खत्म कर दिया था। इसके बाद हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड ने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25-ओ के तहत अपना परिचालन बंद करने के लिए 28 अगस्त, 2019 को आवेदन किया था। हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड की स्थापना वर्ष 1933 में की गई थी। हरिनगर शुगर मिल्स क्रिस्टल शुगर, गुणवत्ता वाले अल्कोहल/स्पिरिट और इथेनॉल (फ्यूल ग्रेड पावर अल्कोहल) और बिजली का उत्पादन करती है जिसे बिहार राज्य बिजली बोर्ड के साथ-साथ बायो-कम्पोस्ट (जैविक शक्ति) और बायो-उर्वरक को निर्यात किया जाता है।