बीते गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के ऐलान ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में नई हलचल पैदा कर दी है। इस फैसले से पहले ही ट्रम्प 25 प्रतिशत टैरिफ लगा चुके थे जो 7 अगस्त से लागू हो चुका है। यानी ट्रम्प ने भारत पर अब कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस फैसले के बाद भारत सरकार ने इसे 'अनुचित और अन्यायपूर्ण' करार दिया है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है।
अतिरिक्त टैरिफ के ऐलान के बाद तुरंत भारत ने दिया जवाब
अमेरिका की तरफ से बीते गुरुवार को भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ के ऐलान के कुछ ही देर बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया। इसमें मंत्रालय ने कहा कि हम पहले ही इन विषयों पर अपना स्पष्ट रुख जाहिर कर चुके हैं- जिसमें यह शामिल है कि भारत का तेल आयात पूरी तरह बाजार आधारित है, और इसका मकसद भारत की 1.4 अरब की आबादी की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है। ऐसे में यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त शुल्क (टैरिफ़) लगाने का रास्ता चुना है, जबकि इसी प्रकार की नीतियां कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए अपना रहे हैं। हम दोहराते हैं कि अमेरिका द्वारा उठाया गया यह कदम अनुचित, अन्यायपूर्ण और तर्कहीन है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
पीएम मोदी ने कहा- किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा भारत
अतिरिक्त टैरिफ के ऐलान के बाद गुरुवार को एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। भारत कभी भी किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा। पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपने कृषि हितों की रक्षा के लिए किसी भी कीमत को चुकाने को तैयार है, भले ही अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव और गहराए। इस बयान को अमेरिका की तरफ से लगाए गए नए टैरिफ के खिलाफ भारत की सख्त प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है। पीएम मोदी का यह रुख यह दर्शाता है कि सरकार कृषि क्षेत्र के हितों की रक्षा के लिए किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है।
विदेश मंत्रालय ने की ये खरी बात
विदेश मंत्रालय में आर्थिक संबंधों के सचिव डम्मु रवि ने गुरुवार को कहा कि यह निर्णय न तो तर्कसंगत है और न ही इसका कोई स्पष्ट कारण है। उन्होंने इस कदम को "एकतरफा और अव्यवस्थित" करार दिया। डम्मु रवि ने कहा कि यह एकतरफा निर्णय है। मुझे नहीं लगता कि इसे जिस तरीके से लागू किया गया है, उसमें कोई तर्क या कारण है। संभावना है कि यह एक अस्थायी चरण है, जिसे हमें पार करना होगा। बातचीत अब भी चल रही है, और हमें भरोसा है कि समय के साथ आपसी हितों पर आधारित समाधान निकलेगा। रवि ने कहा कि हम समाधान के काफी करीब थे, लेकिन ट्रंप के कार्यकारी आदेश ने उस प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोक दिया। फिर भी, वार्ता जारी रहेगी।
शशि थरूर ने कहा-हमें भी जवाब देना चाहिए
गुरुवार को कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर ने कहा कि अगर अमेरिका हमें धमकाता है, तो हमें भी जवाब देना चाहिए। थरूर ने कहा कि हमारा अमेरिका के साथ 90 अरब डॉलर का व्यापार है। अगर हर चीज 50% महंगी हो जाएगी, तो खरीदार सोचेंगे कि उन्हें भारतीय चीजें क्यों खरीदनी चाहिए? उन्होंने आगे कहा कि अगर अमेरिका ऐसा करता है, तो भारत को भी जवाब में अमेरिकी निर्यात पर 50% टैरिफ लगाना चाहिए। ऐसा नहीं है कि कोई भी देश हमें धमका सकता है। हमारे द्वारा अमेरिकी सामान पर औसतन 17% टैरिफ लगाया जाता है। हमें 17% पर क्यों रुकना चाहिए? हमें भी इसे 50% तक बढ़ा देना चाहिए। थरूर ने अमेरिका से सवाल किया कि क्या उन्हें हमारे रिश्तों की कद्र नहीं है? अगर भारत उनके लिए मायने नहीं रखता, तो उन्हें भी हमारे लिए कोई मायने नहीं रखना चाहिए।
अर्थशास्त्री ने कहा-हमारे लिए घबराने का कोई कारण नहीं
ANI के मुताबिक, इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा कहते हैं कि भारत पर 25% तक अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा के बाद अब कुल टैरिफ का स्तर 50% हो गया है। इससे दवा और फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों पर गंभीर असर पड़ेगा। इसलिए यह निश्चित रूप से भारत में हमारे लिए चिंतित होने का एक कारण है, लेकिन हमारे लिए घबराने का कोई कारण नहीं है। यह याद रखना आवश्यक है कि चीन के विपरीत, भारत काफी हद तक घरेलू अर्थव्यवस्था है, हमने अतीत में कई तूफानों का सामना किया है, जैसे अक्टूबर 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट या यहां तक कि कोविड-19 महामारी। इसलिए हमें विश्वास है कि इससे कुछ नुकसान होगा, लेकिन हम इस झटके को आत्मविश्वास से झेलने में सक्षम होंगे।






































