Sunday, June 15, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. ब्रिटेन से आने वाली सस्ती स्कॉच व्हिस्की क्या बिगाड़ेगी भारत का बााजार? एक्सपर्ट्स से समझिए

ब्रिटेन से आने वाली सस्ती स्कॉच व्हिस्की क्या बिगाड़ेगी भारत का बााजार? एक्सपर्ट्स से समझिए

स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए) के आंकड़ों के अनुसार, भारत मात्रा के हिसाब से फ्रांस को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा स्कॉच व्हिस्की निर्यातक बाजार बन गया है।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : May 07, 2025 13:56 IST, Updated : May 07, 2025 13:56 IST
स्कॉच व्हिस्की
Photo:PIXABAY स्कॉच व्हिस्की

भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत स्कॉच व्हिस्की पर आयात शुल्क में कमी से भारतीय घरेलू बाजार पर तत्काल कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। सरकारी सूत्रों के अनुसार, शुल्क में यह कटौती अगले 10 वर्षों में धीरे-धीरे लागू की जाएगी। समझौते के तहत, भारत स्कॉच व्हिस्की और जिन पर लगने वाले 150% टैरिफ को घटाकर 75% करेगा और फिर 10वें वर्ष तक इसे और कम करके 40% कर देगा। अधिकारी का मानना है कि इतनी लंबी अवधि में और फिर भी 40% टैरिफ बने रहने के कारण स्कॉच व्हिस्की के आयात में संभावित वृद्धि से घरेलू बाजार पर कोई खास असर नहीं होगा।

दुनिया का सबसे बड़ा स्कॉच व्हिस्की एक्सपोर्ट मार्केट

स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए) के आंकड़ों के अनुसार, भारत मात्रा के हिसाब से फ्रांस को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा स्कॉच व्हिस्की निर्यातक बाजार बन गया है। 2024 में भारत ने 19.2 करोड़ बोतलें निर्यात कीं, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 16.7 करोड़ बोतलें था। भारत का मादक पेय बाजार एक बड़ा और तेजी से विकसित हो रहा क्षेत्र है, जो वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा और स्पिरिट्स के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। अनुमान है कि यह बाजार 52.4 अरब अमेरिकी डॉलर का है और 2025 से 2032 तक इसकी वार्षिक वृद्धि दर 7.7% रहने की संभावना है। भारतीय व्हिस्की बाजार में मुख्य रूप से देसी शराब (88%) और भारत में बनी विदेशी शराब (9.5%) का दबदबा है, जबकि स्कॉच व्हिस्की का हिस्सा केवल 2.5% है।

घरेलू बाजार पर नहीं होगा असर

अधिकारी ने दोहराया कि ब्रिटेन से स्कॉच व्हिस्की के आयात पर शुल्क में कमी एक लंबी प्रक्रिया है और उसके बाद भी पर्याप्त शुल्क लगेगा, इसलिए घरेलू बाजार पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि आयातित शराब पर उच्च शुल्क के कारण शराब उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रभावित हुआ है।

टैरिफ में रियायत की हो समीक्षा

इस सौदे पर टिप्पणी करते हुए, भारतीय अल्कोहल पेय कंपनियों के परिसंघ (सीआईएबीसी) के महानिदेशक अनंत एस. अय्यर ने चिंता व्यक्त की कि यदि यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य स्पिरिट और वाइन उत्पादक देशों के साथ व्यापार समझौतों में भी इसी तरह शुल्क कटौती की गई, तो भारतीय अल्कोबेव उद्योग, खासकर वाइन क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह महाराष्ट्र, केरल, ओडिशा, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को आयातित शराब पर दी जा रही उत्पाद शुल्क रियायतों की समीक्षा करने की सलाह दे। अय्यर ने कहा कि सरकार 2030 तक भारतीय मादक पेय पदार्थों से 1 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य रखती है, लेकिन उचित बाजार पहुंच (विशेषकर ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया में) सुनिश्चित किए बिना इस लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल होगा।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement