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नए साल में विदेश घूमना हुआ सस्ता, रुपया 5 महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंचा

2017 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये में करीब 6 प्रतिशत का उछाल आया है और अब 2018 की शुरुआत भी रुपए की मजबूती के साथ हुई है

Reported by: Manoj Kumar @kumarman145
Published : January 01, 2018 11:59 IST
Rupee- India TV Paisa
Touring Abroad in New Year to cost less as Rupee rose to 5 month High

नई दिल्ली। नए साल के पहले दिन आज भारतीय करेंसी रुपए ने अपना दम दिखाना शुरू कर दिया है, डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 5 महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया है, डॉलर का भाव घटकर 63.72 रुपए पर आ गया है जो 5 अगस्त के बाद सबसे कम भाव है। फिलहाल रुपए में करीब 15 पैसे की तेजी देखी जा रही है। 2017 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये में करीब 6 प्रतिशत का उछाल आया है और अब 2018 की शुरुआत भी रुपए की मजबूती के साथ हुई है।

दरअसल साल 2017 के दौरान अमेरिकी करेंसी डॉलर में एकतरफा गिरावट हावी रही है, डॉलर इंडेक्स करीब 10 प्रतिशत घटा है, 2017 की शुरुआत में डॉलर इंडेकेस् 102 के ऊपर होता था और 2017 के अंत में यह घटकर 92 के स्तर पर आ गया। कमजोर डॉलर की वजह से 2017 में रुपए में उछाल देखा गया है।

मजबूत रुपए का फायदा

रुपए में तेजी के फायदों की बात करें तो आयातित सामान सस्ता हो जाएगा, विदेशों से कोई भी सामान आयात करने पर डॉलर में उसकी पेमेंट चुकानी पड़ती है, अब रुपए के मुकाबले डॉलर का भाव कुछ कम हुआ है ऐसे में आयातित सामान की पेमेंट चुकाने के लिए कम रुपए खर्च करके ज्यादा डॉलर लिए जा सकते हैं। भारत में सबसे ज्यादा पेट्रोल उत्पाद, इलेक्ट्रोनिक्स का सामान, सोना, इलेक्ट्रिकल मशीनें, ट्रांसपोर्ट का सामान, महंगे रत्न, कैमिकल, कोयला और खाने के तेलों का आयात होता है, ऐसे में रुपये की तेजी की वजह से इस तरह की तमाव वस्तुओं के आयात पर पहले के मुकाबले कम खर्च आएगा।

विदेश घूमना हुआ सस्ता

रुपए अगर लंबे समय तक मजबूत रहता है तो इस तरह की वस्तुओं की कीमत कम होने की उम्मीद बढ़ जाएगी। इसके अलावा विदेशों में पढ़ाई करने और नए साल की छुट्टियों को विदेश में बिताने के लिए भी पहले के मुकाबले कम कीमत चुकानी पड़ेगी।

रुपए की मजबूती से घाटा

दूसरी तरफ अगर रुपए की मजबूती और डॉलर की कमजोरी से होने वाले घाटे की बात करें तो निर्यात आधारित उद्योग और सेवाओं पर मार पड़ेगी। भारत से जो सामान या सेवा निर्यात होती है उसकी पेमेंट भी डॉलर में ही आती है, डॉलर अब क्योंकि सस्ता हो गया है, ऐसे में पहले के मुकाबले डॉलर को रुपए में बदलने पर अब कम रुपए मिलेंगे। भारत से ज्यादतर इंजिनीयरिंग गुड्स, पेट्रोलियम उत्पाद, जेम्स एंड ज्वैलरी, समुद्री उत्पाद, चावल, टैक्सटाइल और कॉटन तथा चमड़ा और मांस का ज्यादा निर्यात होता है। डॉलर कमजोर होने की वजह से इस तरह के निर्यात पर अब पहले के मुकाबले कम कीमत मिलेगी जिस वजह से इस तरह की वस्तुओं पर आधारित उद्योग को घाटे का सामना करना पड़ सकता है। 

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