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FPI की अंधाधुंध बिकवाली जारी, जून में अबतक 31,430 करोड़ की निकासी, Stock Market निवेशक समझें इसके मायने

फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं। इसके चलते एफपीआई शेयरों से बांड की ओर रुख कर रहे हैं।

Edited by: Alok Kumar @alocksone
Published : June 19, 2022 13:36 IST
FPI- India TV Paisa
Photo:FILE

FPI

Highlights

  • अक्टूबर, 2021 से एफपीआई की बिकवाली का सिलसिला जारी
  • 2022 में एफपीआई अबतक 1.98 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके
  • आगे भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा बिकवाली जारी रखने की आशंका

FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) की बिकवाली जून में भी जारी है। इस महीने अबतक एफपीआई भारतीय शेयरों से 31,430 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इस तरह चालू साल यानी 2022 में एफपीआई अबतक 1.98 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारतीय बाजार के लिए शुभ संकेत नहीं है। अगर यह ट्रेंड रहा तो भारतीय बाजार में और बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, आगे चलकर भी एफपीआई का रुख उतार-चढ़ाव वाला रहेगा। भू-राजनीतिक तनाव, बढ़ती मुद्रास्फीति, केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक रुख को कड़ा किए जाने की वजह से एफपीआई उभरते बाजारों में बिकवाल बने हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने 17 जून तक भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 31,430 करोड़ रुपये की निकासी की है।

अक्टूबर, 2021 से बिकवाली जारी 

अक्टूबर, 2021 से एफपीआई की बिकवाली का सिलसिला जारी है। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, वैश्विक निवेशक दुनियाभर में मंदी के बढ़ते जोखिम को लेकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि की है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने आगे भी सख्त रुख अपनाने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि डॉलर के मजबूत होने और अमेरिका में बांड पर प्रतिफल बढ़ने की वजह से एफपीआई मुख्य रूप से बिकवाली कर रहे हैं। फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं। इसके चलते एफपीआई शेयरों से बांड की ओर रुख कर रहे हैं। 

अनिश्चितता बढ़ने से बिकवाली बढ़ी 

ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा, अनिश्चितता के ऐसे परिदृश्य जबकि बांड पूंजी की सुरक्षा और बेहतर प्रतिफल की पेशकश कर रहे हैं, निवेशकों की बिकवाली तय है। मार्च, 2020 के बाद अमेरिका के बाजारों में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर मुद्रास्फीति चिंता का विषय है और इसपर अंकुश के लिए रिजर्व बैंक नीतिगत दरें बढ़ा रहा है। वहीं मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव का मानना है कि फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि के बाद रिजर्व बैंक भी अगले दो-तिमाहियों में नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करेगा। 

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