घरेलू शेयर बाजार शुक्रवार को लगाचार चौथे सत्र में बढ़त हासिल करने के साथ बंद हुआ। बीएसई सेंसेक्स 303.03 अंक या 0.36 प्रतिशत चढ़कर 84,000 के स्तर पर पहुंच गया और 84,058.90 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार के दौरान यह 333.48 अंक या 0.39 प्रतिशत बढ़कर 84,089.35 पर पहुंच गया। इसी तरह 50 शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 88.80 अंक या 0.35 प्रतिशत बढ़कर 25,637.80 पर पहुंच गया। बाजार को विदेशी फंड प्रवाह के बीच ब्लू-चिप्स आईसीआईसीआई बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज में खरीदारी का समर्थन मिला। इधर, वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0. 72 प्रतिशत बढ़कर 68. 20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
टॉप गेनर और टॉप लूजर स्टॉक्स
सेंसेक्स पैक में एशियन पेंट्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, पावर ग्रिड, आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान यूनिलीवर, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और सन फार्मा प्रमुख लाभ में रहे। इसके विपरीत, ट्रेंट, इटरनल, एक्सिस बैंक और टाइटन पिछड़ गए। एक्सचेंज डेटा के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने गुरुवार को 12,594. 38 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। गुरुवार को सेंसेक्स 1,000. 36 अंक या 1. 21 प्रतिशत बढ़कर 83,755 पर बंद हुआ था। निफ्टी 304. 25 अंक या 1. 21 प्रतिशत बढ़कर 25,549 पर पहुंच गया।
इन कारकों से बाजार को मिला सपोर्ट
मध्य पूर्व में युद्ध विराम और समय सीमा से पहले व्यापार तनाव कम होने की आशा जैसे प्रमुख उत्प्रेरकों ने निवेशकों के मन में छाए बादलों को साफ कर दिया है। लगातार कई दिनों की बिकवाली के बाद, एफआईआई घरेलू बाजार में शुद्ध खरीदार बन गए हैं, जिससे निकट भविष्य में बाजार की स्थिरता में सुधार हुआ है। जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि इसके अलावा, बिनाइन ऑयल की कीमतों और मजबूत होते रुपये ने निवेशकों को घरेलू विकास विषयों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रभावित किया।
ग्लोबल मार्केट में कैसा रहा रुझान
एशियाई बाजारों में, जापान का निक्केई 225 सूचकांक ऊपर बंद हुआ, जबकि दक्षिण कोरिया का कोस्पी, शंघाई का एसएसई कंपोजिट सूचकांक और हांगकांग का हैंग सेंग नीचे बंद हुआ। दोपहर के कारोबार में यूरोपीय बाजार हरे निशान में कारोबार करते दिखे। गुरुवार को अमेरिकी बाजार सकारात्मक क्षेत्र में बंद हुए थे। इस बीच, आरबीआई की एक रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि सभी बैंकों को नीति दर का फायदा सभी बैंकों को अपने ग्राहकों को देना चाहिए। रिजर्व बैंक की जून में प्रकाशित एक लेख बुलेटिन ने जोर देकर कहा कि ब्याज दरों में कटौती का प्रभावी ढंग से लाभ उठाने के लिए वित्तीय स्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं।






































