Friday, May 03, 2024
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Akshay Navami 2022: क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी, जानिए क्या है इसका महत्व

Akshay Navami 2022: 2 नवंबर यानि आने वाले बुधवार को अक्षय नवमी व्रत है। शास्त्रों में अक्षय नवमी का बहुत महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं कि इस दिन का क्या महत्व है और किस तरह इस दिन व्रत करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है।

Ritu Tripathi Written By: Ritu Tripathi @ritu_vishwanath
Published on: October 30, 2022 12:40 IST
Akshay Navami 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Akshay Navami 2022

Akshay Navami 2022: दिवाली का त्योहार मनाया जा चुका है, इन दिनों लोग छठ पूजा में व्यस्त हैं और अब जल्द ही आंवला नवमी आने वाली है। 2 नवंबर यानि आने वाले बुधवार को अक्षय नवमी व्रत है। आंवला नवमी का दिन कई तरह से महत्वपूर्ण है। अक्षय का अर्थ होता है- जिसका क्षरण न हो। इस दिन किए गए कार्यों का अक्षय फल प्राप्त होता है। इसे इच्छा नवमी, आंवला नवमी, कूष्मांड नवमी, आरोग्य नवमी और धातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने से पुण्य से सुख-शांति, सद्भाव और वंश वृद्धि का फल प्राप्त होता है। 

जरूर करें गंगाजल से स्नान 

इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही तर्पण और स्नान-दान का भी बहुत महत्व है। संभव हो तो किसी तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान करना चाहिए, लेकिन अगर आप कहीं दूर नहीं जा सकते, तो घर पर ही अपने नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल डालकर स्नान जरूर कीजिये। इससे आपको अक्षय फलों की प्राप्ति होगी। 

क्या है इस व्रत की कथा 

मान्यताओं के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन श्री विष्णु द्वारा कूष्माण्ड नामक दैत्य का वध किया गया था और वध के बाद उस दैत्य के रोम से कूष्माण्ड की बेल निकली थी। इसलिए इसे कूष्माण्ड नवमी भी कहते हैं। कूष्माण्ड को आम भाषा में पेठा या कद्दू कहते हैं, जिसकी सब्जी बनाई जाती है। आज के दिन कुष्माण्ड, यानी पेठे का दान करना चाहिए। इससे उत्तम फलों की प्राप्ति होती है।  कूष्माण्ड नवमी के अलावा उड़ीसा में इस दिन जगतधात्री माता की पूजा भी की जाती है। बता दूं कि जगतधात्री, मां दुर्गा ही एक स्वरूप हैं। इसके साथ ही आज अक्षय नवमी के दिन मथुरा प्रदक्षिणा, यानी मथुरा की परिक्रमा भी शुरू हो जाती है।

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आंवले के पेड़ की पूजा का है महत्व

इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। वहीं कुछ कथाओं के अनुसार आंवले के फल को अक्षय फल कहते हैं और इसकी पूजा से हमारे धन, सुख और स्वास्थ्य को अक्षय (कभी नाश ना होना) का वरादान मिलता है। इसलिए इस दिन लोग आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं साथ ही इस वृक्ष के नीचे बैठकर परिवार के साथ भोजन करते हैं और गरीबों को भी भोजन कराते हैं। 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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