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Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: 16 फरवरी को रखा जाएगा द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत, इस दिन पूजा के समय भगवान गणेश के इन मंत्रों का जरूर करें जाप

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025 Date: फरवरी में इस दिन द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। तो आइए जानते हैं कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि और मंत्र।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Feb 14, 2025 17:29 IST, Updated : Feb 14, 2025 17:29 IST
संकष्टी चतुर्थी 2025
Image Source : INDIA TV संकष्टी चतुर्थी 2025

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025 Vrat Date: आज फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस साल यह पावन तिथि 16 फरवरी को पड़ रहा है। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रख भगवान गणेश कि विधिपूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही जातक को सभी दुख और संकट से मुक्ति मिलती है। बता दें कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी का व्रत करने का विधान है। तो आइए अब जानते हैं कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश के किन मंत्रों का जाप करना फलदायी होता है।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नान आदि कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। 
  • अब मंदिर या पूजा घर को साफ कर गंगाजल से शुद्ध कर लें। 
  • इसके बाद लकडी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। 
  • फिर बप्पा के सामने दीया, धूप जलाएं और गणपति जी को फूल, अक्षत, दूर्वा, रोली, मोदक आदि पूजा सामग्री अर्पित करें।
  • संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें। फिर गणेश चालीसा का पाठ कर आरती कर पूजा संपन्न करें। 
  • संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन रात्रि में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के इन मंत्रों का करें जाप

  1. ॐ गं गणपतये नमः॥

  2. श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

  3. ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥

  4. ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

  5. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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