Saturday, May 11, 2024
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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि 18 या 19 फरवरी? जानिए सही डेट, मुहूर्त और महत्व

Mahashivratri 2023 Vrat Date: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन शिव-गौरी की विधिवत पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। तो आइए जानिए इस साल शिवरात्रि किस दिन मनाई जाएगी।

Vineeta Mandal Written By: Vineeta Mandal
Updated on: February 15, 2023 9:53 IST
Mahashivratri 2023- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Mahashivratri 2023

Mahashivratri 2023: शिवभक्तों के लिए सावन के बाद महाशिवरात्रि का व्रत ही सबसे बड़ा पर्व होता है। भोले के भक्त सालभर इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यही वो दिन था जब भगवान भोलेनाथ वैरागी जीवन को त्याग कर गृहस्थ जीवन के बंधन में बंधे थे। महाशिवरात्रि के दिन ही महादेव शिवशंकर और माता गौरी का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन शिवजी के साथ माता पार्वती जी की अराधना करने से मन की हर मनोकामना पूरी हो जाती है।  महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की उपासना से कई गुण शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

हर त्योहार की तरह ही महाशिवरात्रि की तारीख को लेकर भी लोगों में असंजस की स्थिति है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि शिवरात्रि का व्रत 18 फरवरी को रखा जाएगा या 19 फरवरी को? तो यहां जानिए महाशिवरात्रि का सही तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व।

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Shivratri Vrat Shubh Muhurat)

  • महाशिवरात्रि व्रत तारीख- 18 फरवरी 2023
  • चतुर्दशी तिथि आरंभ- रात 8 बजकर 2 मिनट पर (18 फरवरी 2023)
  • चतुर्दशी समाप्त- शाम 4 बजकर 18 मिनट तक (19 फरवरी 2023)
  • प्रथम प्रहर रात्रि पूजा- शाम 06 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 31 मिनट तक
  • द्वितीया प्रहर रात्रि पूजा - रात 09 बजकर 31 मिनट से  प्रात: 12 बजकर 41 तक (19 फरवरी 2023)
  • तृतीया प्रहर रात्रि पूजा - सुबह 12 बजकर 41 मिनट से सुबह 03 बजकर 51  मिनट तक (19 फरवरी 2023)
  • चतुर्थ प्रहर रात्रि पूजा - सुबह 03 बजकर 51 मिनट से सुबह 07:00 बजे तक (19 फरवरी 2023)

महाशिवरात्रि व्रत महत्व  (Mahashivratri Vrat Signigficane)

महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण माह की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह पावन दिन 18 फरवरी 2023 को है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन मां गौरी को शिवजी पति के रूप में प्राप्त हुए थे। माता पार्वती ने महादेव को पति के रूप में पाने के लिए सालों घोर तप किया था तब जाकर उन्हें शिवजी का साथ मिला था। कहते हैं कि जो भी कुंवारी युवतियां शिवरात्रि का व्रत और पूजा करती हैं उन्हें मनचाहा वर मिलता है। वहीं सुहागिन स्त्रियों को अंखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

(डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।)

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