Thursday, April 18, 2024
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जानिए मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व, इस दिन किन चीजों का करना चाहिए दान?

Makar Sankranti 2023 Daan: सूर्य के किसी भी संक्रांति के पुण्यकाल के दौरान दान और स्नान का विशेष महत्व होता है। ऐसे में मकर संक्रांति के दिन दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही किसी पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Updated on: January 12, 2023 23:17 IST
Makar Sankranti 2023 Daan- India TV Hindi
Image Source : FILE IMAGE Makar Sankranti 2023 Daan

Makar Sankranti 2023: वर्ष में कुल बारह संक्रांतियां होती हैं, जिनमें से सूर्य की मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति बेहद खास हैं। इन दोनों ही संक्रांति पर सूर्य की गति में बदलाव होता है। जब सूर्य की कर्क संक्रांति होती है तो सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन और जब सूर्य की मकर संक्रांति होती है, तो सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है।  सूर्य के उत्तरायण होने का उत्सव ही मकर संक्रांति कहलाता है इसलिए कहीं-कहीं पर मकर संक्रान्ति को उत्तरायणी भी कहते हैं। उत्तरायण काल में दिन बड़े हो जाते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। वहीं दक्षिणायन काल में ठीक इसके विपरीत-रातें बड़ी और दिन छोटा होने लगता है।

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शास्त्रों में वर्षभर की 12 संक्रांतियां को चार भागों में बांटा गया है- अयन, विषुव, षडशीति – मुख और विष्णुपदी या विष्णुपद संक्रांति। जब सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन और दक्षिणायन से उत्तरायण होता है, यानी सूर्य की मकर और कर्क संक्रांति 'अयन संक्रांति' कहलाती हैं। जब रात– दिन बराबर होते हैं, यानी मेष और तुला संक्रांति को 'विषुव संक्रांति' कहते हैं। इसके अलावा मिथुन, कन्या, धनु और मीन संक्रांति को 'षडशीति–मुख' जबकि वृष, सिंह, वृश्चिक और कुंभ संक्रांति को 'विष्णुपदी' या 'विष्णुपद' कहते हैं।

 मकर संक्रांति में स्नान दान का है खास महत्व

- सभी संक्रांति पर तीर्थस्थलों पर स्नान और दान का बड़ा ही महत्व है। मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है। लेकिन अगर आप वहां जाने में असमर्थ हैं तो इस दिन घर पर ही सामान्य पानी से स्नान करना चाहिए । संभव हो तो उस जल में थोड़ा सा पवित्र नदियों का जल मिलाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है और उसे धन की कोई कमी नहीं होती।

- कहते हैं संक्रांति से एक दिन पूर्व व्यक्ति को केवल एक बार मध्याहन में भोजन करना चाहिए। वहीं संक्रांति के दिन दांतों को साफ करके जल में तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए या स्नान से पहले तिल का तेल या तिल का उबटन लगाना चाहिए। 

- संक्रांति के दिन दान दक्षिणा या धार्मिक कार्य का सौ गुना फल मिलता है। कहा भी गया है- 'माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम। स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥'

इस दिन व्यक्ति को किसी गृहस्थ ब्राह्मण को भोजन या भोजन सामग्रियों से युक्त तीन पात्र देने चाहिए और संभव हो तो यम, रुद्र और धर्म के नाम पर गाय का दान करना चाहिए। यदि किसी के बस में ये सब दान करना नहीं है, तो वह केवल फल का दान करें, लेकिन कुछ न कुछ दान जरूर करें। साथ ही यह श्लोक

पढ़ना चाहिए- 'यथा भेदं न पश्यामि शिवविष्णवर्कपद्मजान्। ममास्तु विश्वात्मा शंकरः शंकरः सदा।।' इसका अर्थ है- मैं शिव एवं विष्णु और सूर्य एवं ब्रह्मा में अन्तर नहीं करता। वह शंकर, जो विश्वात्मा है, सदा कल्याण करने वाला हो। 

मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उड़द की दाल और चावल का दान किया जाता है।

मकर संक्रांति के दिन तिल, चिड़वा, सोना, ऊनी वस्त्र, कंबल आदि दान करने का भी महत्व है। दान के बाद बिना तेल वाला भोजन करना चाहिए और यथाशक्ति अन्य लोगों को भी भोजन देना चाहिए।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव हैइंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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