Thursday, June 19, 2025
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Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ पर 7 बार क्यों लपेटा जाता है कच्चा सूत? जानें इसके पीछे का प्रमुख कारण

Vat Savitri Vrat: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन बरगद पेड़ की पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। वट सावित्री का व्रत करने और बरगद पेड़ की पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Written By: Vineeta Mandal
Published : May 24, 2025 12:14 IST, Updated : May 24, 2025 12:14 IST
वट सावित्री 2025
Image Source : INDIA TV वट सावित्री 2025

Vat Savitri Vrat 2025: 26 मई को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर निर्जला उपवास रखती हैं और विधिपूर्वक वट वृक्ष की पूजा करती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री के दिन बरगद पेड़ की पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन भी खुशहाल रहता है। इसके साथ ही योग्य संतान की भी प्राप्ति होती है। वट सावित्री व्रत में बरगद पेड़ की परिक्रमा की जाती है और उसपर 7 बार कच्चा सूत भी बांधा जाता है। तो आइए जानते हैं कि इसके पीछे की धार्मिक मान्यता क्या है।  

वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ पर कच्चा सूत क्यों बांधा जाता है? 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन बरगद पेड़ की पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही व्रती महिलाएं बरगद पेड़ की  सात बार परिक्रमा करती हैं।। इसके अलावा बरगद के पेड़ पर सात बार कच्चा सूत भी लपेटती हैं। धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष में सात बार कच्चा सूत लपेटने से पति-पत्नी का संबंध सात जन्मों तक बना रहता है। बरगद पेड़ पर कच्चा सूत बांधने से पति पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं और दांपत्य जीवन में सुख-शांति और मधुरता बनी रहती है।

वट सावित्री व्रत में बरगद पेड़ की पूजा का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार,  यमराज ने माता सावित्री के पति सत्यवान के प्राणों को वट वृक्ष के नीचे ही लौटाया था और उन्हें 100 पुत्रों का वरदान दिया था। कहा जाता है कि उसके बाद से ही वट सावित्री व्रत और वट वृक्ष की पूजा की परंपरा शुरू हुई। मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दिन दिन बरगद पेड़ की पूजा करने से यमराज देवता के साथ त्रिदेवों की भी कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि बरगद के पेड़ में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का वास होता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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