Karwa Chauth 2025 Ganesh Ji Ki Kahani: करवा चौथ के दिन महिलाएं शाम की पूजा के समय करवा चौथ की कथा सुनती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन गणेश जी की कहानी पढ़ना भी बेहद शुभ फलदायी माना जाता है क्योंकि इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार गणेश जी की कथा हर व्रत-त्योहार में जरूर पढ़नी चाहिए क्योंकि इससे पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। चलिए जानते हैं गणेश जी की कहानी के लिरिक्स।
गणेश जी की कहानी (Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Katha)
प्राचीन काल में एक अन्धी बुढ़िया रहती थी जिसका एक पुत्र और बहू थी। बुढ़िया का परिवार बहुत गरीब था। वह अंधी बुढ़िया रोजाना गणेश जी की विधि विधान पूजा किया करती थी। बुढ़िया की भक्ति देखकर गणेश जी प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे दर्शन दिए। भगवान ने कहा कि मैं आपकी पूजा से प्रसन्न हूं, जो वर मांगना है वो मांग लें। बुढिया कहती है, मुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगू। तब गणेश जी बोले बहू- बेटे से पूछकर मांग लो। तब बुढिया ने अपने पुत्र और वधु से पूछा तो बेटा ने धन मांगने के लिए कहा और बहू ने पोता मांगने के लिए कहा। तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे हैं। फिर बुढ़िया ने अपने पड़ोसियों से पूछा तो पड़ोसियों ने कहा कि बुढ़िया तेरी थोड़ी सी जिंदगी बची है। क्यूं मांगे धन और पोता, तू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी बाकी की जिंदगी सुख से व्यतीत हो।
उस बुढ़िया ने बेटे और बहू तथा पडौसियों की बातें सुनकर घर में जाकर सोचा, कि क्यों न ऐसी चीज मांग लूं जिससे सभी का भल हो जाए। जब दूसरे दिन श्री गणेश जी आये तो बुढ़िया बोली, हे गणराज! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों में प्रकाश दें, नाती पोते दें, और समस्त परिवार को सुख दें। फिर अंत में मोक्ष दें।
बुढ़िया की बात सुनकर गणेश जी बोले बुढ़िया माई तूने तो मुझे ठग लिया। खैर जो कुछ तूने मांगा है वह सभी तुझे मिलेगा। ऐसा कहकर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गये और बुढ़िया का जीवन सुख से भर गया। हे गणेश जी! जैसे बुढिया माई को आपने सब कुछ दिया वैसे ही सबको देना।
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