Friday, December 26, 2025
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Navratri Aarti Lyrics PDF LIVE: जय अंबे गौरी मैया जय श्यामा गौरी...नवरात्रि के हर दिन जरूर करें दुर्गा जी की ये आरती

Navratri Aarti Lyrics PDF (अम्बे तू है जगदम्बे काली) Live: नवरात्रि के नौ दिन मां अंबे की आरती जरूर करनी चाहिए। नवरात्रि में विशेष रूप से अंबे तू है जगदम्बे काली और जय अंबे गौरी मैया जय श्यामा गौरी ये दो आरतियां की जाती हैं।

Written By: Laveena Sharma @laveena1693
Published : Sep 22, 2025 07:09 am IST, Updated : Sep 24, 2025 10:56 am IST
navratri aarti- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV नवरात्रि की आरती

Navratri Aarti Lyrics PDF (अम्बे तू है जगदम्बे काली) Live: शारदीय नवरात्रि पर्व शुरू हो गया है और अब 2 अक्तूबर 2025 तक घर-घर में मां अंबे की विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी। सुबह-शाम माता के मंत्रों और आरती का गान किया जाएगा। माता के भजन सुने जाएंगे। कुल मिलाकर माहौल पूरा भक्तिमय रहेगा। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में भक्त घर में कलश स्थापित करेंगे और फिर नौ दिनों तक माता रानी की पूजा करने का संकल्प लेंगे। लेकिन सुबह-शाम की पूजा में माता रानी की आरती करना बिल्कुल भी न भूलें। यहां हम आपको बताएंगे नवरात्रि में कौन-कौन सी आरती जरूर करनी चाहिए।

अम्बे तू है जगदम्बे काली (Maa Durga Maa Kali Aarti)

  • अम्बे तू है जगदम्बे काली,
  • जय दुर्गे खप्पर वाली ।
  • तेरे ही गुण गाये भारती,
  • ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
  • तेरे भक्त जनो पर,
  • भीर पडी है भारी माँ ।
  • दानव दल पर टूट पडो,
  • माँ करके सिंह सवारी ।
  • सौ-सौ सिंहो से बलशाली,
  • अष्ट भुजाओ वाली,
  • दुष्टो को पलमे संहारती ।
  • ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
  • अम्बे तू है जगदम्बे काली,
  • जय दुर्गे खप्पर वाली ।
  • तेरे ही गुण गाये भारती,
  • ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
  • माँ बेटे का है इस जग मे,
  • बडा ही निर्मल नाता ।
  • पूत - कपूत सुने है पर न,
  • माता सुनी कुमाता ॥
  • सब पे करूणा दरसाने वाली,
  • अमृत बरसाने वाली,
  • दुखियो के दुखडे निवारती ।
  • ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
  • अम्बे तू है जगदम्बे काली,
  • जय दुर्गे खप्पर वाली ।
  • तेरे ही गुण गाये भारती,
  • ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
  • नही मांगते धन और दौलत,
  • न चांदी न सोना माँ ।
  • हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,
  • इक छोटा सा कोना ॥
  • सबकी बिगडी बनाने वाली,
  • लाज बचाने वाली,
  • सतियो के सत को सवांरती ।
  • ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
  • अम्बे तू है जगदम्बे काली,
  • जय दुर्गे खप्पर वाली ।
  • तेरे ही गुण गाये भारती,
  • ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
  • चरण शरण मे खडे तुम्हारी,
  • ले पूजा की थाली ।
  • वरद हस्त सर पर रख दो,
  • मॉ सकंट हरने वाली ।
  • मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,
  • अष्ट भुजाओ वाली,
  • भक्तो के कारज तू ही सारती ।
  • ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
  • अम्बे तू है जगदम्बे काली,
  • जय दुर्गे खप्पर वाली ।
  • तेरे ही गुण गाये भारती,
  • ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी (Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri)

  • जय अम्बे गौरी,
  • मैया जय श्यामा गौरी ।
  • तुमको निशदिन ध्यावत,
  • हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • मांग सिंदूर विराजत,
  • टीको मृगमद को ।
  • उज्ज्वल से दोउ नैना,
  • चंद्रवदन नीको ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • कनक समान कलेवर,
  • रक्ताम्बर राजै ।
  • रक्तपुष्प गल माला,
  • कंठन पर साजै ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • केहरि वाहन राजत,
  • खड्ग खप्पर धारी ।
  • सुर-नर-मुनिजन सेवत,
  • तिनके दुखहारी ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • कानन कुण्डल शोभित,
  • नासाग्रे मोती ।
  • कोटिक चंद्र दिवाकर,
  • सम राजत ज्योती ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • शुंभ-निशुंभ बिदारे,
  • महिषासुर घाती ।
  • धूम्र विलोचन नैना,
  • निशदिन मदमाती ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • चण्ड-मुण्ड संहारे,
  • शोणित बीज हरे ।
  • मधु-कैटभ दोउ मारे,
  • सुर भयहीन करे ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • ब्रह्माणी, रूद्राणी,
  • तुम कमला रानी ।
  • आगम निगम बखानी,
  • तुम शिव पटरानी ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
  • नृत्य करत भैरों ।
  • बाजत ताल मृदंगा,
  • अरू बाजत डमरू ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • तुम ही जग की माता,
  • तुम ही हो भरता,
  • भक्तन की दुख हरता ।
  • सुख संपति करता ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • भुजा चार अति शोभित,
  • वर मुद्रा धारी । 
  • मनवांछित फल पावत,
  • सेवत नर नारी ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • कंचन थाल विराजत,
  • अगर कपूर बाती ।
  • श्रीमालकेतु में राजत,
  • कोटि रतन ज्योती ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • श्री अंबेजी की आरति,
  • जो कोइ नर गावे ।
  • कहत शिवानंद स्वामी,
  • सुख-संपति पावे ॥
  • ॐ जय अम्बे गौरी..॥
  • जय अम्बे गौरी,
  • मैया जय श्यामा गौरी ।

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Navratri Aarti 2025 Live

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  • 9:58 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    देवी महागौरी आरती (Devi Mahagauri Aarti)

    जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
    हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवास॥

    चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
    भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥

    हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
    सती (सत) हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥

    भक्ति भारत आरती बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
    तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥

    शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
    भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥

  • 9:17 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा

    मां चंद्रघंटा को फूल, अक्षत, चंदन, सिंदूर अर्पित करें। फिर मां की कथा का पाठ करें। उन्हें खीर का भोग लगाएं और अंत में माता चंद्रघंटा की आरती करें।

  • 8:31 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    मां दुर्गा ध्यान मंत्र है | Dhyan mantras of Devi Durga

    ॐ जटा जूट समायुक्तमर्धेंन्दु कृत लक्षणाम|

    लोचनत्रय संयुक्तां पद्मेन्दुसद्यशाननाम॥

  • 7:41 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    मां काली की आरती

    अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, 
     तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

     तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी |
     दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी |
     सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,
     दुशटन को तू ही ललकारती |
     हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
    माँ बेटी का है इस जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता |
     पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता |
     सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,
     दुखीं के दुक्खदे निवर्तती |
     हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

     नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना |
     हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना |
     सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,
     सतियो के सत को संवरती |
     हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

     चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली |
     वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली |
     माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,
     भक्तो के करेज तू ही सरती |
     हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

     अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
     तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |

  • 6:35 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Navratri Bhajan 2025: भेजा है बुलावा...

    ये माता रानी का सबसे लोकप्रिय भजन है। नवरात्रि के पावन पर्व पर ये भजन जरूर सुना जाता है।

  • 6:48 PM (IST) Posted by Arti Azad

    मां चंद्रघंटा की आरती

    जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
    पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
    चंद्र समान तुम शीतल दाती।
    चंद्र तेज किरणों में समाती।
    क्रोध को शांत करने वाली।
    मीठे बोल सिखाने वाली।
    मन की मालक मन भाती हो।
    चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
    सुंदर भाव को लाने वाली।
    हर संकट मे बचाने वाली।
    हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
    श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
    मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
    सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।
    शीश झुका कहे मन की बाता।
    पूर्ण आस करो जगदाता।
    कांची पुर स्थान तुम्हारा।
    करनाटिका में मान तुम्हारा।
    नाम तेरा रटू महारानी।
    भक्त की रक्षा करो भवानी।

  • 5:37 PM (IST) Posted by Arti Azad

    मां चामुण्डा देवी आरती

    जय चामुंडा माता मैया जय चामुंडा माता।
    शरण आए जो तेरे सब कुछ पा जाता।।

    चंड मुंड दो राक्षस हुए हैं बलशाली।
    उनको तूने मारा क्रोध द्रष्टि डाली।।

    चौंसठ योगिनी आकर तांडव नृत्य करें।
    बावन भैरो झूमे विपदा आन हरे।।

    शक्ति धाम कहातीं पीछे शिव मंदर।
    ब्रह्मा विष्णु मंत्र जपे अंदर।।

    सिंहराज यहां रहते घंटा ध्वनि बाजे।
    निर्मल धारा जल की वंडेर नदी साजे।।

    क्रोध रूप में खप्पर खाली नहीं रहता।
    शांत रूप जो ध्यावे आनंद भर देता।।

    हनुमत बाला योगी ठाढ़े बलशाली।
    कारज पूरण करती दुर्गा महाकाली।।

    रिद्धि सिद्धि देकर जन के पाप हरे।
    शरणागत जो होता आनंद राज करे।।

    शुभ गुण मंदिर वाली ‘ओम’ कृपा कीजे।
    दुख जीवन के संकट आकर हर लीजे।।

  • 4:32 PM (IST) Posted by Arti Azad

    देवी शारदा प्रार्थना

    शारदे माँ, हे शारदे माँ
    हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
    अज्ञानता से हमें तारदे माँ, हे शारदे माँ॥

    हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
    हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
    अज्ञानता से हमें तार दे माँ हे शारदे माँ॥

    तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे
    हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे
    हम है अकेले, हम है अधूरे
    तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ
    हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
    अज्ञानता से हमें तार दे माँ॥

    मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी
    वेदों की भाषा, पुराणों की बानी
    हम भी तो समझे, हम भी तो जाने
    विद्या का हमको अधिकार दे माँ
    हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
    अज्ञानता से हमें तार दे माँ॥

    तू श्वेतवर्णी, कमल पर विराजे
    हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे
    मन से हमारे मिटाके अँधेरे
    हमको उजालों का संसार दे माँ
    हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
    अज्ञानता से हमें तार दे माँ॥

    शारदे माँ, हे शारदे माँ
    अज्ञानता से हमें तार दे माँ
    हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
    हे शारदे माँ, हे शारदे माँ॥

  • 3:51 PM (IST) Posted by Arti Azad

    शारदा माता की आरती

    भुवन विराजी शारदा महिमा अपरम्पार।
    भक्तों के कल्याण को धरो मात अवतार॥

    मैया शारदा तोरे दरबार
    आरती नित गाऊँ। x3

    नित गाऊँ मैयानित गाऊँ। x2
    मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ। x2
    श्रद्धा को दीया प्रीत की बाती असुअन तेल चढ़ाऊँ। x2
    दर्श तोरे पाऊँ।

    मैया शारदा तोरे दरबार
    आरती नित गाऊँ। x3

    मन की माला आँख के मोती भाव के फूल चढ़ाऊँ। x2
    दर्श तोरे पाऊँ।

    मैया शारदा तोरे दरबार
    आरती नित गाऊँ। x3

    बल को भोग स्वांस दिन राती कंधे से विनय सुनाऊँ। x2
    दर्श तोरे पाऊँ।

    मैया शारदा तोरे दरबार
    आरती नित गाऊँ। x3

    तप को हार कर्ण को टीका ध्यान की ध्वजा चढ़ाऊँ। x2
    दर्श तोरे पाऊँ।

    मैया शारदा तोरे दरबार
    आरती नित गाऊँ। x3

    माँ के भजन साधु सन्तन को आरती रोज सुनाऊ। x2
    दर्श तोरे पाऊँ।

    मैया शारदा तोरे दरबार
    आरती नित गाऊँ। x3

    सुमर-सुमर माँ के जस गावे चरनन शीश नवाऊँ। x2
    दर्श तोरे पाऊँ।

    मैया शारदा तोरे दरबार
    आरती नित गाऊँ। x3

    मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ। x2

    मैया शारदा तोरे दरबार
    आरती नित गाऊँ। x3

  • 2:33 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    नवरात्रि की आरती का समय

    नवरात्रि में सुबह-शाम दोनों समय माता की आरती करनी चाहिए। इससे माता रानी की विशेष कृपा बनी रहती है।

  • 1:46 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    नवरात्रि के तीसरे दिन की कथा

    कहा जाता है कि माता दुर्गा ने ये स्वरूप दैत्यों के आंतक को खत्म करने के लिए धारण किया था। जब महिषासुर के आंतक से देवता लोग परेशान हो गए थे तो वे परेशान होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शरण में गए। तब त्रिदेव के क्रोध से जो ऊर्जा निकली उसी से मां चंद्रघंटा का रूप प्रकट हुआ। 

  • 1:13 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    मां चंद्रघंटा की आरती

    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • मैया जय चंद्रघंटा माँ
    • सर्वजगत की स्वामिनी
    • सर्वजगत की स्वामिनी
    • कृपा सदा करना
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • अर्ध-चंद्रमा माथे पर
    • रूप अति सुन्दर
    • मैया रूप अति सुन्दर
    • गृह गृह तुम्हारी पूजा
    • गृह गृह तुम्हारी पूजा
    • पूजत नारी नर
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • तृतीय नव रातों में
    • माँ का ध्यान करो
    • मैया माँ का ध्यान करो
    • माँ से ममता पाओ
    • माँ से ममता पाओ
    • जय जयकारा करो
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • दस भुज धारिणी मैया
    • असुरों का नाश करे
    • मैया असुरों का नाश करे
    • मोक्ष भक्त को दे माँ
    • मोक्ष भक्त को दे माँ
    • विपदा नित माँ हरे
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • खड्ग खप्पर धारिणी
    • जगजननी है माँ
    • जगजननी है माँ
    • दिव्य करे साधक को
    • दिव्य करे साधक को
    • देती माँ करुणा
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • कल्याणकारिणी मैया
    • दुखों का नाश करे
    • मैया दुखों का नाश करे
    • मंगल मंगल नित हो
    • मंगल मंगल नित हो
    • माँ की जो पूजा करे
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • अनुपम रूप माँ
    • धर्म सदा ही बढे
    • मैया धर्म सदा ही बढे
    • काज सफल करो माता
    • काज सफल करो माता
    • द्वारे तेरे खड़े
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • श्रद्धा पुष्प माता को
    • नित अर्पण करो
    • मैया नित अर्पण करो
    • माँ के ध्यान में रमकर
    • माँ के ध्यान में रमकर
    • जीवन सफल करो
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • चंद्रघंटा माता की
    • आरती नित गाओ
    • आरती नित गाओ
    • कामना पूरी होगी
    • कामना पूरी होगी
    • माँ की शरण आओ
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • मैया जय चंद्रघंटा माँ
    • सर्वजगत की स्वामिनी
    • सर्वजगत की स्वामिनी
    • कृपा सदा करना
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
    • मैया जय चंद्रघंटा माँ
    • सर्वजगत की स्वामिनी
    • सर्वजगत की स्वामिनी
    • कृपा सदा करना
    • ॐ जय चंद्रघंटा माँ
  • 12:32 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Om Jai Saraswati Mata aarti in hindi, सरस्वती माता की आरती ल‍िर‍िक्‍स हिंदी में।

    जय सरस्वती माता,
    मैया जय सरस्वती माता ।
    सदगुण वैभव शालिनी,
    त्रिभुवन विख्याता ॥
    जय जय सरस्वती माता...॥
    चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
    द्युति मंगलकारी ।
    सोहे शुभ हंस सवारी,
    अतुल तेजधारी ॥
    जय जय सरस्वती माता...॥

    बाएं कर में वीणा,
    दाएं कर माला ।
    शीश मुकुट मणि सोहे,
    गल मोतियन माला ॥
    जय जय सरस्वती माता...॥

    देवी शरण जो आए,
    उनका उद्धार किया ।
    पैठी मंथरा दासी,
    रावण संहार किया ॥
    जय जय सरस्वती माता...॥

    विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
    ज्ञान प्रकाश भरो ।
    मोह अज्ञान और तिमिर का,
    जग से नाश करो ॥
    जय जय सरस्वती माता...॥

    धूप दीप फल मेवा,
    माँ स्वीकार करो ।
    ज्ञानचक्षु दे माता,
    जग निस्तार करो ॥
    ॥ जय सरस्वती माता...॥

    माँ सरस्वती की आरती,
    जो कोई जन गावे ।
    हितकारी सुखकारी,
    ज्ञान भक्ति पावे ॥
    जय जय सरस्वती माता...॥

    जय सरस्वती माता,
    जय जय सरस्वती माता ।
    सदगुण वैभव शालिनी,
    त्रिभुवन विख्याता ॥

  • 11:26 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    माता के लोकप्रिय भजन का लिरिक्स

    मन तेरा मंदिर आँखे दिया बाती,
    होंठो की हैं थालियां बोल फूल पाती,
    रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती,
    आरती ओ मैया आरती,
    ज्योतावालिये माँ तेरी आरती ॥
    हे महालक्ष माँ गौरी,
    तुम अपनी आप है जौहरी,
    तेरी कीमत तू ही जाने,
    तू बुरा भला पहचाने,
    यह कहती दिन और राते,
    तेरी लिखी ना जाए बाते,
    कोई माने या ना माने,
    हम भक्त तेरे दीवाने,
    तेरे पाँव सारी दुनिया पखारती ।

    मन तेरा मंदिर आँखे दिया बाती,
    होंठो की हैं थालियां बोल फूल पाती,
    रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती,
    आरती ओ मैया आरती,
    ज्योतावालिये माँ तेरी आरती ॥

    हे गुणवंती सतवंती,
    हे पतवंती रसवंती,
    मेरी सुनना यह विनंती,
    मेरा चोला रंग बसंती,
    हे दुःख भंजन सुखदाती,
    हमें सुख देना दिन राती,
    जो तेरी महिमा गाये,
    मुह मांगी मुरादे पाए,
    हर आँख तेरी और निहारती ।

    मन तेरा मंदिर आँखे दिया बाती,
    होंठो की हैं थालियां बोल फूल पाती,
    रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती,
    आरती ओ मैया आरती,
    ज्योतावालिये माँ तेरी आरती ॥

    हे महाकाली महाशक्ति,
    हमें दे दे ऐसी भक्ति,
    हे जगजननी महामाया,
    है तू ही धुप और छाया,
    तू अमर अजर अविनाशी,
    तू अनमिट पूरणमाशी,
    सब करके दूर अंधेरे,
    हमें बक्शो नए सवेरे।
    तू तो भक्तों की बिगड़ी संवारती ।

    मन तेरा मंदिर आँखे दिया बाती,
    होंठो की हैं थालियां बोल फूल पाती,
    रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती,
    आरती ओ मैया आरती,
    ज्योतावालिये माँ तेरी आरती ॥

    मन तेरा मंदिर आँखे दिया बाती,
    होंठो की हैं थालियां बोल फूल पाती,
    रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती,
    आरती ओ मैया आरती,
    ज्योतावालिये माँ तेरी आरती ॥

  • 10:48 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं (Maa Durga Kshama Prarthna Stotram)

    श्री देव्यापराध क्षमापन स्तोत्रं ॥
    न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
    न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथा: ।
    न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
    परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ 1 ॥

    विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
    विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
    तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
    कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 2 ॥

    पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहव: सन्ति सरला:
    परं तेषां मध्ये विरलतरलोSहं तव सुत: ।
    मदीयोSयं त्याग: समुचितमिदं नो तव शिवे
    कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 3 ॥

    जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
    न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
    तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
    कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 4 ॥

    परित्यक्ता देवा विविधविधिसेवाकुलतया
    मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।
    इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
    निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥ 5 ॥

    श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
    निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकै: ।
    तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
    जन: को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥ 6 ॥

    चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
    जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपति: ।
    कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
    भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥ 7 ॥

    न मोक्षस्याकाड़्क्षा भवविभववाण्छापि च न मे
    न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुन: ।
    अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
    मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपत: ॥ 8 ॥

    नाराधितासि विधिना विविधोपचारै:
    किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभि: ।
    श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे
    धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥ 9 ॥

    आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं
    करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
    नैतच्छठत्वं मम भावयेथा:
    क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥ 10 ॥

    जगदम्ब विचित्रमत्र किं
    परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि ।
    अपराधपरम्परावृतं
    न हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥ 11 ॥

    मत्सम: पातकी नास्ति
    पापघ्नी त्वत्समा न हि ।
    एवं ज्ञात्वा महादेवि
    यथा योग्यं तथा कुरु ॥ 12 ॥

    इति श्रीमच्छंकराचार्यकृतं देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्।

  • 10:25 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Navratri Day 2 Bhog (मां ब्रह्मचारिणी का भोग)

    माता ब्रह्मचारिणी को शक्कर, मिश्री, खीर, दूध से बने मिष्ठान्न काफी प्रिय हैं। 

  • 9:32 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Maa Brahmacharini Mantra (मां ब्रह्मचारिणी मंत्र)

    • ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
    • या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
  • 9:00 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Maa Brahmacharini Ki Aarti (मां ब्रह्मचारिणी की आरती)

    • जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
    • ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
    • ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।
    • जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
    • कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए।
    • उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने।
    • रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
    • आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
    • ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।
    • भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।
  • 8:25 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    नवरात्रि हवन साम्रगी (Navratri Havan Samagri)

    एक सूखा नारियल, लाल रंग का कपड़ा या कलावा, मुलैठी की जड़, चंदन की लकड़ी, बेल, नीम, पीपल का तना और छाल, गूलर की छाल, आम की सूखी लकड़ियां, अश्वगंधा, ब्राह्मी, काला तिल, कर्पूर, चावल, गाय का घी, लौंग, शक्कर, रौली, मौली, अक्षत, पुष्प, इलायची, गुग्गल, जौ, हवन कुंड (Havan Kund), हवन सामग्री (Havan Samagri)।

  • 7:14 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Navratri Day 2 Katha (मां ब्रह्मचारिणी की कथा)

    पौराणिक कथाओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। माता अपनी तपस्या के दौरान केवल फल-फूल खाकर जीवित रहीं और कभी-कभी पत्तों का भोजन करती थीं। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि उन्हें "ब्रह्मचारिणी" नाम से जाना गया। माता पार्वती ने अपनी निष्ठा और तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और अंततः उन्हें पति रूप में प्राप्त किया। 

  • 6:25 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Navratri Day 2 Aarti (माता ब्रह्मचारिणी की आरती)

    • जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
    • ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
    • ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।
    • जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
    • कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए।
    • उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने।
    • रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
    • आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
    • ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।
    • भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।
  • 7:01 PM (IST) Posted by Arti Azad

    वैष्णवी माता की आरती

    जय वैष्णवी माता,
    मैया जय वैष्णवी माता ।
    हाथ जोड़ तेरे आगे,
    आरती मैं गाता ॥
    ॥ जय वैष्णवी माता..॥
    शीश पे छत्र विराजे,
    मूरतिया प्यारी ।
    गंगा बहती चरनन,
    ज्योति जगे न्यारी ॥
    ॥ जय वैष्णवी माता..॥

    ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे,
    शंकर ध्यान धरे ।
    सेवक चंवर डुलावत,
    नारद नृत्य करे ॥
    ॥ जय वैष्णवी माता..॥

    सुन्दर गुफा तुम्हारी,
    मन को अति भावे ।
    बार-बार देखन को,
    ऐ माँ मन चावे ॥
    ॥ जय वैष्णवी माता..॥

    भवन पे झण्डे झूलें,
    घंटा ध्वनि बाजे ।
    ऊँचा पर्वत तेरा,
    माता प्रिय लागे ॥
    ॥ जय वैष्णवी माता..॥

    पान सुपारी ध्वजा नारियल,
    भेंट पुष्प मेवा ।
    दास खड़े चरणों में,
    दर्शन दो देवा ॥
    ॥ जय वैष्णवी माता..॥

    जो जन निश्चय करके,
    द्वार तेरे आवे ।
    उसकी इच्छा पूरण,
    माता हो जावे ॥
    ॥ जय वैष्णवी माता..॥

    इतनी स्तुति निश-दिन,
    जो नर भी गावे ।
    कहते सेवक ध्यानू,
    सुख सम्पत्ति पावे ॥

    जय वैष्णवी माता,
    मैया जय वैष्णवी माता ।
    हाथ जोड़ तेरे आगे,
    आरती मैं गाता ॥

  • 6:11 PM (IST) Posted by Arti Azad

    काली की जी आरती

    मंगल की सेवा सुन मेरी देवा, हाथ जोड तेरे द्वार खडे।
    पान सुपारी ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेट धरे
    सुन जगदम्बे न कर विलम्बे, संतन के भडांर भरे।
    सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।
    बुद्धि विधाता तू जग माता, मेरा कारज सिद्व करे।
    चरण कमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन पडे
    जब जब भीड पडी भक्तन पर, तब तब आप सहाय करे ।
    गुरु के वार सकल जग मोहयो, तरुणी रूप अनूप धरे
    माता होकर पुत्र खिलावे, कही भार्या भोग करे
    शुक्र सुखदाई सदा सहाई संत खडे जयकार करे ।
    ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये भेट तेरे द्वार खडे
    अटल सिहांसन बैठी मेरी माता, सिर सोने का छत्र फिरे
    वार शनिचर कुकम बरणो, जब लकड पर हुकुम करे ।
    खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये, रक्त बीज को भस्म करे
    शुम्भ निशुम्भ को क्षण में मारे, महिषासुर को पकड दले ।।
    आदित वारी आदि भवानी, जन अपने को कष्ट हरे ।
    कुपित होकर दानव मारे, चण्डमुण्ड सब चूर करे
    जब तुम देखी दया रूप हो, पल में सकंट दूर करे
    सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे ।
    सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे
    सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भवन में राज्य करे
    दर्शन पावे मंगल गावे, सिद्ध साधक तेरी भेट धरे ।
    ब्रह्मा वेद पढे तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे
    इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चॅवर कुबेर डुलाय रहे
    जय जननी जय मातु भवानी, अटल भवन में राज्य करे ।
    सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जै काली कल्याण करे ।।

  • 5:29 PM (IST) Posted by Arti Azad

    जय हो अम्बे मैया, तेरी आरती उतारू माँ

    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ,
    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ,
    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ,
    आरती उतारू माँ,
    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ...

    अदभुद तेज बदन पर सोहे,
    तीनो लोक उजाला माँ,
    मेरी मैया बनो खिवैया,
    तेरी आरती उतारू माँ,
    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ...

    एक भरोसा तेरो मैया,
    दूजा नहीं सहारा माँ,
    भक्तो के कल्याण करेआ,
    आरती उतारू माँ,
    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ...

    रोग हरो माँ कष्ट हरो माँ,
    दुःख से हमें बचाओ माँ,
    विजय करो माँ बाँध बधेया,
    आरती उतारू माँ,
    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ...

    जो जन माँ की करे आरती,
    कष्ट कभी ना पाता माँ,
    दूध पूत भंडार भरइया,
    आरती उतारू माँ,
    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ,
    आरती उतारू माँ,
    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ...

    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ,
    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ,
    आरती उतारू माँ,
    जय हो अम्बे मैया,
    तेरी आरती उतारू माँ...

  • 2:43 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    नवरात्रि के भजन

     

  • 1:50 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    श्री देवीची आरती/दुर्गे दुर्घट भारी

    दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी ।

    अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी ॥

    वारी वारीं जन्ममरणाते वारी ।

    हारी पडलो आता संकट नीवारी ॥ १ ॥

    जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी ।

    सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी ॥ धृ. ॥

    त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही ।

    चारी श्रमले परंतु न बोलावे काहीं ॥

    साही विवाद करितां पडिले प्रवाही ।

    ते तूं भक्तालागी पावसि लवलाही ॥ २ ॥

    प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां ।

    क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा ॥

    अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा ।

    नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा ॥ ३ ॥

  • 1:23 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    मां दुर्गा की स्तुति

    त्वमेवसर्वजननी मूलप्रकृतिरीश्वरी। त्वमेवाद्या सृष्टिविधौ स्वेच्छया त्रिगुणात्मिका॥

    कार्यार्थे सगुणा त्वं च वस्तुतो निर्गुणा स्वयम्। परब्रह्मस्वरूपा त्वं सत्या नित्या सनातनी॥

    तेज:स्वरूपा परमा भक्त अनुग्रहविग्रहा। सर्वस्वरूपा सर्वेशा सर्वाधारा परात्परा॥

    सर्वबीजस्वरूपा च सर्वपूज्या निराश्रया। सर्वज्ञा सर्वतोभद्रा सर्वमङ्गलमङ्गला॥

    सर्वबुद्धिस्वरूपा च सर्वशक्ति स्वरूपिणी। सर्वज्ञानप्रदा देवी सर्वज्ञा सर्वभाविनी।

    त्वं स्वाहा देवदाने च पितृदाने स्वधा स्वयम्। दक्षिणा सर्वदाने च सर्वशक्ति स्वरूपिणी।

    निद्रा त्वं च दया त्वं च तृष्णा त्वं चात्मन: प्रिया। क्षुत्क्षान्ति: शान्तिरीशा च कान्ति: सृष्टिश्च शाश्वती॥

    श्रद्धा पुष्टिश्च तन्द्रा च लज्जा शोभा दया तथा। सतां सम्पत्स्वरूपा श्रीर्विपत्तिरसतामिह॥

    प्रीतिरूपा पुण्यवतां पापिनां कलहाङ्कुरा। शश्वत्कर्ममयी शक्ति : सर्वदा सर्वजीविनाम्॥

    देवेभ्य: स्वपदो दात्री धातुर्धात्री कृपामयी। हिताय सर्वदेवानां सर्वासुरविनाशिनी॥

    योगनिद्रा योगरूपा योगदात्री च योगिनाम्। सिद्धिस्वरूपा सिद्धानां सिद्धिदाता सिद्धियोगिनी॥

    माहेश्वरी च ब्रह्माणी विष्णुमाया च वैष्णवी। भद्रदा भद्रकाली च सर्वलोकभयंकरी॥

    ग्रामे ग्रामे ग्रामदेवी गृहदेवी गृहे गृहे। सतां कीर्ति: प्रतिष्ठा च निन्दा त्वमसतां सदा॥

    महायुद्धे महामारी दुष्टसंहाररूपिणी। रक्षास्वरूपा शिष्टानां मातेव हितकारिणी॥

    वन्द्या पूज्या स्तुता त्वं च ब्रह्मादीनां च सर्वदा। ब्राह्मण्यरूपा विप्राणां तपस्या च तपस्विनाम्॥

    विद्या विद्यावतां त्वं च बुद्धिर्बुद्धिमतां सताम्। मेधास्मृतिस्वरूपा च प्रतिभा प्रतिभावताम्॥

    राज्ञां प्रतापरूपा च विशां वाणिज्यरूपिणी। सृष्टौ सृष्टिस्वरूपा त्वं रक्षारूपा च पालने॥

    तथान्ते त्वं महामारी विश्वस्य विश्वपूजिते। कालरात्रिर्महारात्रिर्मोहरात्रिश्च मोहिनी॥

    दुरत्यया मे माया त्वंयया सम्मोहितं जगत्। ययामुग्धो हि विद्वांश्च मोक्षमार्ग न पश्यति॥

    इत्यात्मना कृतं स्तोत्रं दुर्गाया दुर्गनाशनम्। पूजाकाले पठेद् यो हि सिद्धिर्भवति वांछिता॥

    वन्ध्या च काकवन्ध्या च मृतवत्सा च दुर्भगा। श्रुत्वा स्तोत्रं वर्षमेकं सुपुत्रं लभते ध्रुवम्॥

    कारागारे महाघोरे यो बद्धो दृढबन्धने। श्रुत्वा स्तोत्रं मासमेकं बन्धनान्मुच्यते ध्रुवम्॥

    यक्ष्मग्रस्तो गलत्कुष्ठी महाशूली महाज्वरी। श्रुत्वा स्तोत्रं वर्षमेकं सद्यो रोगात् प्रमुच्यते॥

    पुत्रभेदे प्रजाभेदे पत्‍‌नीभेदे च दुर्गत:। श्रुत्वा स्तोत्रं मासमेकं लभते नात्र संशय:॥

    राजद्वारे श्मशाने च महारण्ये रणस्थले। हिंस्त्रजन्तुसमीपे च श्रुत्वा स्तोत्रं प्रमुच्यते॥

    गृहदाहे च दावागनै दस्युसैन्यसमन्विते। स्तोत्रश्रवणमात्रेण लभते नात्र संशय:॥

    महादरिद्रो मूर्खश्च वर्ष स्तोत्रं पठेत्तु य:। विद्यावान धनवांश्चैव स भवेन्नात्र संशय:॥

  • 12:48 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Mata Ke Bhajan: मेरी अखियों के सामने ही रहना, मां जगदम्बे

    • मेरी अखियों के सामने ही रहना,

    • माँ शेरों वाली जगदम्बे।
    • ॥ मेरी अखियों के सामने...॥
    • हम तो चाकर मैया तेरे दरबार के,
    • भूखे हैं हम तो मैया बस तेरे प्यार के॥
    • ॥ मेरी अखियों के सामने...॥
    • विनती हमारी भी अब करो मंज़ूर माँ,
    • चरणों से हमको कभी करना ना दूर माँ॥
    • ॥ मेरी अखियों के सामने...॥
    • मुझे जान के अपना बालक सब भूल तू मेरी भुला देना,
    • शेरों वाली जगदम्बे आँचल में मुझे छिपा लेना॥
    • ॥ मेरी अखियों के सामने...॥
    • तुम हो शिव जी की शक्ति मैया शेरों वाली,
    • तुम हो दुर्गा हो अम्बे मैया तुम हो काली॥
    • बन के अमृत की धार सदा बहना,
    • ओ शेरों वाली जगदम्बे॥
    • ॥ मेरी अखियों के सामने...॥
    • तेरे बालक को कभी माँ सबर आए,
    • जहाँ देखूं माँ तू ही तू नज़र आये॥
    • मुझे इसके सीवे कुछ ना कहना,
    • ओ शेरों वाली जगदम्बे॥
    • ॥ मेरी अखियों के सामने...॥
    • देदो शर्मा को भक्ति का दान मैया जी,
    • लक्खा गाता रहे तेरा गुणगान मैया जी॥
    • है भजन तेरा भक्तो का गहना,
    • ओ शेरों वाली जगदम्बे॥
    • मेरी अखियों के सामने ही रहना,
    • माँ शेरों वाली जगदम्बे।
    • ॥ मेरी अखियों के सामने...॥
  • 12:21 PM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Ganpati Ji Ki Aarti: आरती श्री गणपति जी की

    गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न टरैं।

    तीन लोक के सकल देवता,द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥

    गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

    रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें,अरु आनन्द सों चमर करैं।

    धूप-दीप अरू लिए आरतीभक्त खड़े जयकार करैं॥

    गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

    गुड़ के मोदक भोग लगत हैंमूषक वाहन चढ्या सरैं।

    सौम्य रूप को देख गणपति केविघ्न भाग जा दूर परैं॥

    गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

    भादो मास अरु शुक्ल चतुर्थीदिन दोपारा दूर परैं।

    लियो जन्म गणपति प्रभु जीदुर्गा मन आनन्द भरैं॥

    गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

    अद्भुत बाजा बजा इन्द्र कादेव बंधु सब गान करैं।

    श्री शंकर के आनन्द उपज्यानाम सुन्यो सब विघ्न टरैं॥

    गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

    आनि विधाता बैठे आसन,इन्द्र अप्सरा नृत्य करैं।

    देख वेद ब्रह्मा जी जाकोविघ्न विनाशक नाम धरैं॥

    गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

    एकदन्त गजवदन विनायकत्रिनयन रूप अनूप धरैं।

    पगथंभा सा उदर पुष्ट हैदेव चन्द्रमा हास्य करैं॥

    गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

    दे शराप श्री चन्द्रदेव कोकलाहीन तत्काल करैं।

    चौदह लोक में फिरें गणपतितीन लोक में राज्य करैं॥

    गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

    उठि प्रभात जप करैंध्यान कोई ताके कारज सर्व सरैं

    पूजा काल आरती गावैं।ताके शिर यश छत्र फिरैं॥

    गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

    गणपति की पूजा पहले करने सेकाम सभी निर्विघ्न सरैं।

    सभी भक्त गणपति जी केहाथ जोड़कर स्तुति करैं॥

    गणपति की सेवा मंगल मेवा...॥

  • 11:48 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    दुर्गा चालीसा लिरिक्स (Durga Chalisa PDF)

    नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।

    नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥

    निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।

    तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥

    शशि ललाट मुख महाविशाला ।

    नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥

    रूप मातु को अधिक सुहावे ।

    दरश करत जन अति सुख पावे ॥

    तुम संसार शक्ति लै कीना ।

    पालन हेतु अन्न धन दीना ॥

    अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।

    तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

    प्रलयकाल सब नाशन हारी ।

    तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥

    शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।

    ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥

    रूप सरस्वती को तुम धारा ।

    दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥

    धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।

    परगट भई फाड़कर खम्बा ॥10॥

    रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।

    हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥

    लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।

    श्री नारायण अंग समाहीं ॥

    क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।

    दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥

    हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।

    महिमा अमित न जात बखानी ॥

    मातंगी अरु धूमावति माता ।

    भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥

    श्री भैरव तारा जग तारिणी ।

    छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥

    केहरि वाहन सोह भवानी ।

    लांगुर वीर चलत अगवानी ॥

    कर में खप्पर खड्ग विराजै ।

    जाको देख काल डर भाजै ॥

    सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।

    जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥

    नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।

    तिहुँलोक में डंका बाजत ॥20॥

    शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।

    रक्तबीज शंखन संहारे ॥

    महिषासुर नृप अति अभिमानी ।

    जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥

    रूप कराल कालिका धारा ।

    सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥

    परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।

    भई सहाय मातु तुम तब तब ॥

    अमरपुरी अरु बासव लोका ।

    तब महिमा सब रहें अशोका ॥

    ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।

    तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥

    प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।

    दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥

    ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।

    जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥

    जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।

    योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥

    शंकर आचारज तप कीनो ।

    काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥30

    निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।

    काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥

    शक्ति रूप का मरम न पायो ।

    शक्ति गई तब मन पछितायो ॥

    शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।

    जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥

    भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।

    दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥

    मोको मातु कष्ट अति घेरो ।

    तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥

    आशा तृष्णा निपट सतावें ।

    मोह मदादिक सब बिनशावें ॥

    शत्रु नाश कीजै महारानी ।

    सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥

    करो कृपा हे मातु दयाला ।

    ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥

    जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।

    तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥

    श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।

    सब सुख भोग परमपद पावै ॥40

    देवीदास शरण निज जानी ।

    कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

    ॥दोहा॥

    शरणागत रक्षा करे,

    भक्त रहे नि:शंक ।

    मैं आया तेरी शरण में,

    मातु लिजिये अंक ॥

    ॥ इति श्री दुर्गा चालीसा संपूर्ण ॥

  • 11:12 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    देवी कवच के श्लोक (Durga Kavach Lyrics in Sanskrit)

    ॐ अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः,

    चामुण्डा देवता, अङ्गन्यासोक्तमातरो बीजम्, दिग्बन्धदेवतास्तत्त्वम्,

    श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः।

    ॐ नमश्‍चण्डिकायै॥

    मार्कण्डेय उवाच

    यद्‌गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम् ।

    यन्न कस्यचिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह ॥ १ ॥

    ब्रह्मोवाच

    अस्ति गुह्यतमं विप्र सर्वभूतोपकारकम् ।

    देव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्व महामुने ॥ २ ॥

    प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी ।

    तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥ ३ ॥

    पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।

    सप्तमं कालरात्री च महागौरीति चाष्टमम् ॥ ४ ॥

    नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।

    उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ॥ ५ ॥

    अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे ।

    विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः ॥ ६ ॥

    न तेषां जायते किंचिदशुभं रणसंकटे ।

    नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं न हि ॥ ७ ॥

    यैस्तु भक्त्या स्मृता नूनं तेषां सिद्धि प्रजायते ।

    ये त्वां स्मरन्ति देवेशि रक्षसे तान्न संशयः ॥ ८ ॥

    प्रेतसंस्था तु चामुण्डा वाराही महिषासना ।

    ऐन्द्री गजसमारुढ़ा वैष्णवी गरुड़ासना ॥ ९ ॥

    माहेश्‍वरी वृषारुढ़ा कौमारी शिखिवाहना ।

    लक्ष्मीः पद्मासना देवी पद्महस्ता हरिप्रिया ॥ १०॥

    श्वेतरूपधरा देवी ईश्वरी वृषवाहना ।

    ब्राह्मी हंससमारुढ़ा सर्वाभरणभूषिता ॥ ११ ॥

    नानाभरणशोभाढ्या ।

    नानारत्नोपशोभिताः॥ १२ ॥

    दृश्यन्ते रथमारुढ़ा देव्यः क्रोधसमाकुलाः ।

    शङ्खं चक्रं गदां शक्तिं हलं च मुसलायुधम् ॥ १३ ॥

    खेटकं तोमरं चैव परशुं पाशमेव च ।

    कुन्तायुधं त्रिशूलं च शार्ङ्गमायुधमुत्तमम् ॥ १४ ॥

    दैत्यानां देहनाशाय भक्तानाम अभ्याय च ।

    धारयन्त्यायुधानीत्थं देवानां च हिताय वै ॥ १५ ॥

    महाबले महोत्साहे ।

    महाभयविनाशिनि ॥ १६ ॥

    त्राहि मां देवि दुष्प्रेक्ष्ये शत्रूणां भयवर्धिनि ।

    प्राच्यां रक्षतु मामैन्द्री आग्नेय्यामग्निदेवता ॥ १७ ॥

    दक्षिणेऽवतु वाराही नैर्ऋत्यां खड्गधारिणी ।

    प्रतीच्यां वारुणी रक्षेद् वायव्यां मृगवाहिनी ॥ १८ ॥

    उदीच्यां रक्ष कौबेरी ऐशान्यां शूलधारिणी ।

    ऊर्ध्वं ब्रह्माणि मे रक्षेदधस्ताद् वैष्णवी तथा ॥ १९ ॥

    एवं दश दिशो रक्षेच्चामुण्डा शववाहना ।

    जया मे चाग्रतः स्तातु विजयाः स्तातु पृष्ठतः ॥ २० ॥

    अजिता वामपार्श्वे तु दक्षिणे चापराजिता ।

    शिखामेद्योतिनि रक्षेद उमा मूर्ध्नि व्यवस्थिता ॥ २१ ॥

    मालाधरी ललाटे च भ्रुवौ रक्षेद् यशस्विनी ।

    त्रिनेत्रा च भ्रुवोर्मध्ये यमघण्टा च नासिके ॥ २२ ॥

    शङ्खिनी चक्षुषोर्मध्ये श्रोत्रयोर्द्वारवासिनी ।

    कपोलौ कालिका रक्षेत्कर्णमूले तु शांकरी ॥ २३ ॥

    नासिकायां सुगन्धा च उत्तरोष्ठे च चर्चिका ।

    अधरे चामृतकला जिह्वायां च सरस्वती ॥ २४ ॥

    दन्तान् रक्षतु कौमारी कण्ठ मध्येतु चण्डिका ।

    घण्टिकां चित्रघण्टा च महामाया च तालुके ॥ २५ ॥

    कामाक्षी चिबुकं रक्षेद् वाचं मे सर्वमङ्गला ।

    ग्रीवायां भद्रकाली च पृष्ठवंशे धनुर्धरी ॥ २६ ॥

    नीलग्रीवा बहिःकण्ठे नलिकां नलकूबरी ।

    खड्ग्धारिन्यु भौ स्कन्धो बाहो मे वज्रधारिणी ॥ २७ ॥

    हस्तयोर्दण्डिनी रक्षेदम्बिका चाङ्गुली स्त्था ।

    नखाञ्छूलेश्‍वरी रक्षेत्कुक्षौ रक्षे नलेश्‍वरी ॥ २८ ॥

    स्तनौ रक्षेन्महालक्ष्मी मनः शोकविनाशिनी ।

    हृदय्म् ललिता देवी उदरम शूलधारिणी ॥ २९ ॥

    नाभौ च कामिनी रक्षेद् ।

    गुह्यं गुह्येश्‍वरी तथा ॥ ३० ॥

    कट्यां भगवती रक्षेज्जानुनी विन्ध्यवासिनी ।

    जङ्घे महाबला रक्षेत्सर्वकामप्रदायिनी ॥ ३१॥

    गुल्फयोर्नारसिंही च पादौ च नित तेजसी ।

    पादाङ्गुलीषु श्री रक्षेत्पादाधस्तलवासिनी ॥ ३२ ॥

    नखान् दंष्ट्राकराली च केशांश्‍चैवोर्ध्वकेशिनी ।

    रोमकूपेषु कौबेरी त्वचं वागीश्‍वरी तथा ॥ ३३ ॥

    रक्तमज्जावसामांसान्यस्थिमेदांसि पार्वती ।

    अन्त्राणि कालरात्रिश्‍च पित्तं च मुकुटेश्‍वरी ॥ ३४ ॥

    पद्मावती पद्मकोशे कफे चूड़ामणिस्तथा ।

    ज्वालामुखी नखज्वाला अभेद्या सर्वसंधिषु ॥ ३५ ॥

    शुक्रं ब्रह्माणि मे रक्षेच्छायां छत्रेश्‍वरी तथा ।

    अहंकारं मनो बुद्धिं रक्षमे धर्मचारिणी ॥ ३६ ॥

    प्राणापानौ तथा व्यानमुदानं च समानकम् ।

    वज्रहस्ता च मे रक्षेत्प्राणं कल्याणशोभना ॥ ३७॥

    रसे रूपे च गन्धे च शब्दे स्पर्शे च योगिनी ।

    सत्त्वं रजस्तमश्चैव रक्षेन्नारायणी सदा ॥ ३८॥

    आयू रक्षतु वाराही धर्मं रक्षतु वैष्णवी ।

    यशः कीर्तिं च लक्ष्मीं च धनं विद्यां च चक्रिणी ॥ ३९॥

    गोत्रमिन्द्राणि मे रक्षेत्पशून्मे रक्ष चण्डिके ।

    पुत्रान् रक्षेन्महालक्ष्मीर्भार्यां रक्षतु भैरवी ॥ ४० ॥

    पन्थानं सुपथा रक्षेन्मार्गं क्षेमकरी तथा ।

    राजद्वारे महालक्ष्मीर्विजया सर्वतः स्थिता ॥ ४१॥

    रक्षाहीनं तु यत्स्थानं वर्जितं कवचेन तु ।

    तत्सर्वं रक्ष मे देवि जयन्ती पापनाशिनी ॥ ४२ ॥

    पदमेकं न गच्छेत्तु यदीच्छेच्छुभमात्मनः ।

    कवचेनावृतो नित्यं यत्र यत्रार्थी गच्छति ॥ ४३ ॥

    तत्र तत्रार्थलाभश्‍च विजयः सार्वकामिकः ।

    यं यं कामयते कामं तं तं प्राप्नोति निश्‍चितम् ।

    परमैश्‍वर्यमतुलं प्राप्स्यते भूतले पुमान् ॥ ४४ ॥

    निर्भयो जायते मर्त्यः संग्रामेष्वपराजितः ।

    त्रैलोक्ये तु भवेत्पूज्यः कवचेनावृतः पुमान् ॥ ४५ ॥

    इदं तु देव्याः कवचं देवानामपि दुर्लभम् ।

    यः पठेत्प्रयतो नित्यं त्रिसन्ध्यं श्रद्धयान्वितः ॥ ४६ ॥

    दैवी कला भवेत्तस्य त्रैलोक्येपपराजितः ।

    जीवेद् वर्षशतं साग्रमपमृत्युविवर्जितः। ४७ ॥

    नश्यन्ति व्याधयः सर्वे लूताविस्फोटकादयः ।

    स्थावरं जङ्गमं वापि कृत्रिमं चापि यद्विषम् ॥ ४८ ॥

    आभिचाराणि सर्वाणि मन्त्रयन्त्राणि भूतले ।

    भूचराः खेचराश्‍चैव जलजाश्‍चोपदेशिकाः ॥ ४९ ॥

    सहजाः कुलजा मालाः शाकिनी डाकिनी तथा ।

    अन्तरिक्षचरा घोरा डाकिन्यश्‍च महाबलाः ॥ ५० ॥

    ग्रहभूतपिशाचाश्‍च यक्षगन्धर्वराक्षसाः ।

    ब्रह्मराक्षसवेतालाः कूष्माण्डा भैरवादयः ॥ ५१ ॥

    नश्यन्ति दर्शनात्तस्य कवचे हृदि संस्थिते ।

    मानोन्नतिर्भवेद् राज्ञस्तेजोवृद्धिकरं परम् ॥ ५२ ॥

    यशसा वर्धते सोऽपि कीर्तिमण्डितभूतले ।

    जपेत्सप्तशतीं चण्डीं कृत्वा तु कवचं पुरा ॥ ५३ ॥

    यावद्भूमण्डलं धत्ते सशैलवनकाननम् ।

    तावत्तिष्ठति मेदिन्यां संततिः पुत्रपौत्रिकी ॥ ५४ ॥

    देहान्ते परमं स्थानं यत्सुरैरपि दुर्लभम् ।

    प्राप्नोति पुरुषो नित्यं महामायाप्रसादतः ॥ ५५ ॥

    लभते परमं रुपं शिवेन सह मोदते॥ॐ ॥ ५६ ॥

    इति देव्याः कवचं सम्पूर्णम्।

  • 10:39 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    माता रानी की आरती

  • 10:14 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की (Main Toh Aarti Utaru Re Santoshi Mata Ki)

    • मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
    • मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
    • जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
    • जय जय संतोषी माता जय जय माँ
    • जय जय संतोषी माता जय जय माँ
    • बड़ी ममता है बड़ा प्यार माँ की आँखों मे।
    • माँ की आँखों मे।
    • बड़ी करुणा माया दुलार माँ की आँखों मे।
    • माँ की आँखों मे।
    • क्यूँ ना देखूँ मैं बारम्बार माँ की आँखों मे।
    • माँ की आँखों मे।
    • दिखे हर घड़ी नया चमत्कार आँखों मे।
    • माँ की आँखों मे।
    • नृत्य करो झूम झूम, छम छमा छम झूम झूम,
    • झांकी निहारो रे॥
    • मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
    • मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
    • जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
    • जय जय संतोषी माता जय जय माँ
    • जय जय संतोषी माता जय जय माँ
    • सदा होती है जय जय कार माँ के मंदिर मे।
    • माँ के मंदिर मे।
    • नित्त झांझर की होवे झंकार माँ के मंदिर मे।
    • माँ के मंदिर मे।
    • सदा मंजीरे करते पुकार माँ के मंदिर मे।
    • माँ के मंदिर मे।
    • वरदान के भरे हैं भंडार, माँ के मंदिर मे।
    • माँ के मंदिर मे।
    • दीप धरो धूप करूँ, प्रेम सहित भक्ति करूँ,
    • जीवन सुधारो रे॥
    • मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
    • मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
    • जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
    • जय जय संतोषी माता जय जय माँ
    • जय जय संतोषी माता जय जय माँ
  • 9:38 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं (Maa Durga Kshama Prarthna Stotram)

    श्री देव्यापराध क्षमापन स्तोत्रं ॥
    न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
    न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथा: ।
    न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
    परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ 1 ॥

    विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
    विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
    तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
    कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 2 ॥

    पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहव: सन्ति सरला:
    परं तेषां मध्ये विरलतरलोSहं तव सुत: ।
    मदीयोSयं त्याग: समुचितमिदं नो तव शिवे
    कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 3 ॥

    जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
    न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
    तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
    कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 4 ॥

    परित्यक्ता देवा विविधविधिसेवाकुलतया
    मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।
    इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
    निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥ 5 ॥

    श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
    निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकै: ।
    तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
    जन: को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥ 6 ॥

    चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
    जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपति: ।
    कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
    भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥ 7 ॥

    न मोक्षस्याकाड़्क्षा भवविभववाण्छापि च न मे
    न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुन: ।
    अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
    मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपत: ॥ 8 ॥

    नाराधितासि विधिना विविधोपचारै:
    किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभि: ।
    श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे
    धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥ 9 ॥

    आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं
    करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
    नैतच्छठत्वं मम भावयेथा:
    क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥ 10 ॥

    जगदम्ब विचित्रमत्र किं
    परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि ।
    अपराधपरम्परावृतं
    न हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥ 11 ॥

    मत्सम: पातकी नास्ति
    पापघ्नी त्वत्समा न हि ।
    एवं ज्ञात्वा महादेवि
    यथा योग्यं तथा कुरु ॥ 12 ॥

    इति श्रीमच्छंकराचार्यकृतं देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्।

  • 8:56 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है लिरिक्स

    ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है, नीचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है

    मैया जी के द्वारे पे एक अंधा पुकार रहा, मैया अंधे को आंखे दो उसे तेरा ही सहारा है

    ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है, नीचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है

    मैया जी के द्वारे पे कोढ़ी पुकार रहा, मैया कोढ़ी को काया दो उसे तेरा ही सहारा है

    ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है, नीचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है

    मैया जी के द्वारे पे निर्धन पुकार रहा, मैया निर्धन को माया दो उसे तेरा ही सहरा है

    ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है, निचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है

    मैया जी के द्वारे पे बांझन पुकार रही, मैया बांझन को बेटा दो उसे तेरा ही सहारा है

    ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है, निचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है

    मैयाजी के द्वारे पे एक कन्या पुकारी रही, मैया कन्या को वर घर दो उसे तेरा ही सहारा है

    ऊंचे ऊंचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है, निचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है

    मैया जी के द्वारे पे तेरे भगत पुकार रहे, मैया भगतो को दर्शन दो उन्हें तेरा ही सहारा है

    ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है, निचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है

  • 8:23 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    Sherawali Mata Ki Aarti: शेरावाली की आरती

    • जय शेरावाली गौरी मैया जय मंगल मूर्ति मैया जय श्यामा गौरी।
    • तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥ टेक॥
    • मांग सिन्दूर बिराजत टीको मृगमद को।
    • उज्ज्वल से दोऊ नैना चन्द्र बदन नीको॥ जय॥
    • कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
    • रक्त पुष्प गल माला कंठन पर साजै॥ जय॥
    • केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी।
    • सुर-नर-मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी॥ जय॥
    • कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती।
    • कोटिक चन्द्र दिवाकर राजत सम ज्योति॥ जय॥
    • शुम्भ निशुम्भ विदारे महिषासुर घाती।
    • धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती॥ जय॥
    • चण्ड-मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे।
    • मधु कैटभ दोऊ मारे, सुर भयहीन करे॥ जय॥
    • ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
    • आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी॥ जय॥
    • चौंसठ योगिनि मंगल गावत नृत्य करत भैरू।
    • बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू॥ जय॥
    • तुम ही जगत की माता तुम ही हो भर्ता।
    • भक्तन की दुःख हरता सुख सम्पत्ति कर्ता॥ जय॥
    • भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
    • मनवांछित फल पावत सेवत नर-नारी॥ जय॥
    • कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती।
    • श्रीमालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति॥ जय॥
    • शेरावाली जी की आरती जो कोई नर गावै।
    • कहत शिवानंद स्वामी सुख सम्पत्ति पावै॥ जय॥
  • 7:57 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

    गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    एक दंत दयावंत,

    चार भुजा धारी ।

    माथे सिंदूर सोहे,

    मूसे की सवारी ॥

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    पान चढ़े फल चढ़े,

    और चढ़े मेवा ।

    लड्डुअन का भोग लगे,

    संत करें सेवा ॥

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    अंधन को आंख देत,

    कोढ़िन को काया ।

    बांझन को पुत्र देत,

    निर्धन को माया ॥

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    'सूर' श्याम शरण आए,

    सफल कीजे सेवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

    दीनन की लाज रखो,

    शंभु सुतकारी ।

    कामना को पूर्ण करो,

    जाऊं बलिहारी ॥

    जय गणेश जय गणेश,

    जय गणेश देवा ।

    माता जाकी पार्वती,

    पिता महादेवा ॥

  • 7:13 AM (IST) Posted by Laveena Sharma

    महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् (Mahishasura Mardini Stotram - Aigiri Nandini)

    • अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
    • गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।
    • भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥
    • सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
    • त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते
    • दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥
    • अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते
    • शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।
    • मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥
    • अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते
    • रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।
    • निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥
    • अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते
    • चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।
    • दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥
    • अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे
    • त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।
    • दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥
    • अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते
    • समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ।
    • शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥
    • धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके
    • कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।
    • कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥
    • सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते
    • कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।
    • धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥
    • जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते
    • झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।
    • नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥
    • अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते
    • श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।
    • सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥
    • सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते
    • विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।
    • शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥
    • अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते
    • त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।
    • अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥
    • कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते
    • सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।
    • अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥
    • करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते
    • मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।
    • निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥
    • कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे
    • प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे
    • जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥
    • विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते
    • कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।
    • सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते ।
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥
    • पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे
    • अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।
    • तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥
    • कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्
    • भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।
    • तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥
    • तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते
    • किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।
    • मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥
    • अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे
    • अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।
    • यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते
    • जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१ ॥
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