Friday, April 26, 2024
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IND vs ENG : इंग्लैंड के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट मैच में हर किसी की नजरें एसजी की पिंक बॉल पर होगी

अहमदाबाद का मोटेरा स्टेडियम भारत में दूसरे डे-नाइट टेस्ट मैच की मेजबानी करने को तैयार है, जोकि बुधवार से इंग्लैंड के खिलाफ खेला जाना है।

IANS Reported by: IANS
Published on: February 23, 2021 15:29 IST
Everyone's eyes will be on SG pink ball in the day-night Test match against England- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGES Everyone's eyes will be on SG pink ball in the day-night Test match against England

अहमदाबाद। अहमदाबाद का मोटेरा स्टेडियम भारत में दूसरे डे-नाइट टेस्ट मैच की मेजबानी करने को तैयार है, जोकि बुधवार से इंग्लैंड के खिलाफ खेला जाना है। इस मैच से पहले सभी की नजरें एसजी पिंक बॉल पर लगी हुई है, जिसका इस्तेमाल केवल दूसरी बार ही टेस्ट क्रिकेट में किया जाएगा। भारत का यह तीसरा डे-नाइट टेस्ट मैच होगा। इससे पहले वह एससी पिंक बॉल के साथ भारत में एक टेस्ट और पिछले साल दिसंबर में आस्ट्रेलिया में कूकाबुरा गेंद के साथ डे-नाइट टेस्ट मैच खेल चुका है।

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गुलाबी गेंद से भारत में पिछला और एकमात्र टेस्ट मैच नवंबर 2019 में भारत और बांग्लादेश के बीच ईडन गार्डन्स स्टेडियम में खेला गया था और एससी बॉल के व्यवहार के कारण यह टेस्ट केवल दो ही दिन में खत्म हो गया था।

टेस्ट क्रिकेट में तीन तरह की गेंदों का इस्तेमाल होता है। इनमें ड्यूक गेंदें इंग्लैंड में बनाई जाती है जबकि भारत में एसजी पिंक बॉल टेस्ट और कभी कभी बांग्लादेश में भी इसका इस्तेमाल होता है।

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तीसरा और सबसे प्रसिद्ध कूकाबुरा गेंद होती है, जोकि सात देशों-आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे और बांग्लादेश में इस्तेमाल होती है।

चूंकि कूकाबुरा का बाहरी सीम मशीन से सिला हुआ है, इसलिए स्पिनरों के लिए इस गेंद को पकड़ना मुश्किल हो जाता है। कूकाबुरा के विपरीत, एसजी गेंद के बाहरी सीम, जैसे कि अपने आंतरिक सीम, हाथ से सिले हुए हैं और यह स्पिनरों के लिए इस गेंद को पकड़ने में आसानी होती है। इसका सीम लंबे समय तक रहता है।

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ड्यूक बॉल भी एसजी के समान ही सुंदर है क्योंकि इसका सीम भी स्पष्ट है। हालांकि, यह केवल इंग्लैंड, वेस्ट इंडीज और आयरलैंड में ही उपयोग किया जाता है।

भारतीय कप्तान विराट कोहली पहले भी यह कह चूके हैं कि भारत में ड्यूक गेंदों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

दिलचस्प बात यह है कि एक भारतीय उद्दोगपति, दिलीप जाजोदिया, ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड कंपनी के मालिक हैं, जो ड्यूक्स गेंदें बनाती है। उन्होंने 1987 में कंपनी खरीदी थी। हालांकि, क्रिकेट की गेंद का स्थायित्व सतह पर भी निर्भर करता है। भारत की सतहें, जिनमें कोई घास नहीं है, आमतौर पर क्रिकेट गेंदों के लिए कठोर होती हैं।

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