Friday, April 19, 2024
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सिंधू तोक्यो में दबाव में रहेंगी, पदक जीतना आसान नहीं होगा: ज्वाला गुट्टा

पांच साल पहले ओलंपिक में जब सब की नजरें लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल पर थी तब सिंधू ने रजत पदक जीत कर सबको चौका दिया था। 

Bhasha Edited by: Bhasha
Published on: June 20, 2021 20:54 IST
Sports, Badminton, Tokyo Olympic  - India TV Hindi
Image Source : GETTY Sania Nehwal 

बैडमिंटन की पूर्व युगल खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा का मानना है कि रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता पीवी सिंधू के लिए मैच अभ्यास की कमी के कारण तोक्यो ओलंपिक में उस सफलता को दोहराना मुश्किल होगा। पांच साल पहले ओलंपिक में जब सब की नजरें लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल पर थी तब सिंधू ने रजत पदक जीत कर सबको चौका दिया था। साइना इस बार ओलंपिक टिकट हासिल करने में नाकाम रही ऐसे में 23 जुलाई से शुरू होने वाले खेलों में सिंधू से देश को पदक की उम्मीदें है। 

ज्वाला ने ‘बैकस्टेज ऐप’ पर ‘भारतीय बैडमिंटन की संभावना’ पर चर्चा के दौरान कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि वह पदक जीतेगी। सिंधू पर इस बार जाहिर तौर पर पिछले बार से ज्यादा दबाव होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ रियो में सिंधू के लिए हालात बिल्कुल अलग थे, अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। इस बार उन पर ज्यादा ध्यान है और यह सिंधू पर ही निर्भर करता है कि वह इस दबाव को कैसे लेती हैं।’’ 

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उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि वह इसे सकारात्मक रूप से लेंगी। रियो भी आसान नहीं था लेकिन तोक्यो निश्चित रूप से आसान नहीं होगा। हर कोई उसका खेल जानता है, सबने उसे देखा है।’’ ज्वाला ने कहा कि चिंता की बात यह भी है कि कोविड-19 के कारण खिलाड़ियों को बहुत सारे टूर्नामेंटों में खेलने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘‘ कोरोना वायरस की दूसरी लहर से पहले भी भारतीयों के लिए स्थिति अनुकूल नहीं थी, जबकि यूरोप में कुछ टूर्नामेंट हुए। भारतीय प्रणाली के साथ समस्या यह है कि सिंधू अपनी तरह की इकलौती खिलाड़ी है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘ वह जब किसी खिलाड़ी के साथ अभ्यास करती है तो हमारे यहां उनके स्तर का कोई खिलाड़ी नहीं है। जबकि चीन और कोरियाई टीम में 20-30 खिलाड़ी है। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 के कारण भारत से यात्रा को कालीसूची में डाल दिया गया था इसलिए भारतीय खिलाड़ियों को मैच अभ्यास भी नहीं मिला।’’ सिंधू के अलावा, विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता बी साई प्रणीत और दुनिया की 10 वें नंबर की पुरुष युगल जोड़ी चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी ने भी ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। 

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे हमेशा साईं का खेल पसंद रहा है और मैं हमेशा उन पर विश्वास करती हूं। समस्या यह है कि उसने कभी खुद पर भरोसा नहीं किया। अब विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक के बाद उन्हें खुद पर विश्वास होने लगा है। उनके प्रदर्शन में निरंतरता नहीं है लेकिन मुझे उम्मीद है कि वह अच्छा प्रदर्शन करेगा।’’ ज्वाला ने कहा, ‘‘ चिराग और सात्विक अभी जूनियर हैं और उन्हें लंबा रास्ता तय करना है। उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है इसलिए वे बिना किसी डर के सब दांव पर लगा सकते हैं। वे इस मौके का फायदा उठा सकते हैं, क्योंकि शायद कोई उनके बारे में बात कर रहा है।’’ 

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ज्वाला ने एक बार फिर मुख्य राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद की देश के बैडमिंटन प्रणाली में कई भूमिकाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब तक यह ‘हितों का टकराव’ नहीं रुकता, भारत कभी बेहतर खिलाड़ी नहीं पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ सिंधू के बाद भारतीय बैडमिंटन में काफी खालीपन आने वाला है। हम बैडमिंटन के लिए एक उचित प्रणाली बनाने में विफल रहे हैं, हमारे पास पर्याप्त गुणवत्ता वाले कोच नहीं हैं। एक निश्चित समय के बाद, खिलाड़ियों को अनुभव की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल एक अकादमी को ही सारी सुविधाएं मिल रही है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘ मुख्य कोच अपनी निजी अकादमी नहीं चला सकते। उसे राष्ट्रीय शिविर का जिम्मा नहीं दिया जा सकता। लेकिन 2006 से अब तक ऐसा होता आ रहा है। उस व्यक्ति को सारे पैसे, संसाधन दिए गए हैं और उसने एक भी युगल खिलाड़ी तैयार नहीं किया। इसलिए इस व्यक्ति को उस स्थिति में नहीं होना चाहिए। हितों के टकराव को रोका जाना चाहिये।’’ 

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