Sunday, December 15, 2024
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तो क्या खतरे में है BRS की साख? तमाम कोशिशों के बाद भी पार्टी छोड़ रहे बड़े नेता; चुनाव में भी मिली हार

तेलंगाना में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में बीआरएस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। वहीं अब विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से बीआरएस के तमाम नेता पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में बीआरसी की साख पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

Edited By: Amar Deep
Published : Jul 07, 2024 11:51 IST, Updated : Jul 07, 2024 11:51 IST
बीआरएस छोड़ रहे बड़े नेता।- India TV Hindi
Image Source : PTI/FILE बीआरएस छोड़ रहे बड़े नेता।

हैदराबाद: तेलंगाना विधानसभा चुनावों में पिछले साल हार मिलने के बाद से केसीआर की बीआरएस को एकजुट रखने की कोशिशों के बावजूद इसके सात विधायक और छह विधान परिषद सदस्य पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इनके अलावा बीआरएस के राज्यसभा सदस्य के. केशव राव, उनकी बेटी और हैदराबाद की महापौर विजया लक्ष्मी आर गडवाल सहित कई अन्य नेता भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। केशव राव ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। 

कठिन चुनौती का सामना कर रही बीआरएस

बता दें कि कांग्रेस और भाजपा विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों में अपनी बढ़त को मजबूत करने की कोशिश में हैं, वहीं बीआरएस को अपने नेताओं के पार्टी छोड़ने के कारण खुद को फिर से मजबूत करने की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। बीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं और उन्हें आश्वासन दे रहे हैं कि पार्टी वापसी करेगी, क्योंकि कांग्रेस ‘‘अपनी लोकप्रियता तेजी से खो रही है।’’ 

खैरताबाद से शुरू हुआ सिलसिला

नेताओं के बीआरएस छोड़ने का सिलसिला खैरताबाद से पार्टी विधायक दानम नागेंद्र के मार्च में कांग्रेस में शामिल होने से शुरू हुआ था। बीआरएस को झटका देते हुए पार्टी के विधायक बी कृष्ण मोहन रेड्डी शनिवार को सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हो गए। विधायकों के अलावा बीआरएस के छह विधान पार्षद भी बृहस्पतिवार देर रात सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गए। कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया कि आने वाले दिनों में बीआरएस के और विधायक सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो सकते हैं। 

विधानसभा उपचुनाव में भी मिली हार

बता दें कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में बीआरएस ने कुल 119 विधानसभा क्षेत्रों में से 39 पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस 64 सीट जीतकर सत्ता में आई थी। सिकंदराबाद छावनी से बीआरएस विधायक जी लस्या नंदिता की इस साल की शुरुआत में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके बाद सिकंदराबाद छावनी विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की, जिससे उसके विधायकों की संख्या बढ़कर 65 हो गई। बीआरएस के सात विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस विधायकों की संख्या 71 हो गई है। बीआरएस के एमएलसी के कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही 40 सदस्यीय विधान परिषद में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। 

बीआरएस ने कांग्रेस पर लगाया आरोप

बीआरएस ने आरोप लगाया है कि साजिश के तहत विधायकों का दलबदल कराया गया और विधानसभा अध्यक्ष से उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की है। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामाराव ने विधायकों के दलबदल को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर हमला किया और उनसे सवाल किया कि क्या यही संविधान की रक्षा करने का तरीका है। रामा राव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘बीआरएस सांसद केशव राव ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद इस्तीफा दे दिया। उनके फैसले का स्वागत है। उस बीआरएस विधायक का क्या हुआ, जिसने दलबदल कर कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा? बीआरएस के आधा दर्जन अन्य विधायकों का क्या हुआ, जो कांग्रेस में शामिल हो गए?’’ उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी, क्या आप संविधान की रक्षा इसी तरह करेंगे? यदि आप बीआरएस विधायकों का इस्तीफा नहीं दिला सकते, तो राष्ट्र कैसे विश्वास करेगा कि आप कांग्रेस घोषणापत्र के अनुसार 10 संशोधनों के लिए प्रतिबद्ध हैं? यह कैसा न्याय पत्र है?’’ 

कांग्रेस ने आरोपों पर किया पलटवार

इस पर कांग्रेस के विधान पार्षद और पार्टी की प्रदेश इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ ने बीआरएस पर पलटवार करते हुए कहा कि बीआरएस (तत्कालीन टीआरएस) जब सत्ता में थी, तब उसी ने दलबदल को बढ़ावा दिया था (बीआरएस ने 2019 में 12 कांग्रेस विधायकों को पार्टी में शामिल किया था)। उन्होंने कहा कि बीआरएस अब दलबदल के बारे में कैसे बात कर सकती है और क्या बीआरएस ने दलबदल करने वाले नेताओं से इस्तीफा दिलवाया था। हालिया लोकसभा चुनावों में बीआरएस को करारी हार का सामना करना पड़ा और वह एक भी सीट नहीं जीत पाई। कांग्रेस और भाजपा ने तेलंगाना की कुल 17 लोकसभा सीट में से आठ-आठ सीट जीतीं। वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी हैदराबाद सीट बरकरार रखी। (इनपुट- भाषा)

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