Kanwar Yatra: मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि सकुशल कांवड़ मेला सम्पन्न कराने के लिए कांवड़ मेले से संबधित अन्य राज्यों के अधिकारियों से भी निरन्तर समन्वय बनाकर रखें। किसी भी तरह की ढिलाई न बरती जाए।
Kanwar Yatra: कांवड़िए मेरठ से मोदीनगर, मुरादनगर और गाजियाबाद के रास्ते दिल्ली जा सकेंगे। वहीं, देश में चल रहे संवेदनशील मुद्दों का ख्याल रखते हुए कांवड़ यात्रा को लेकर दिल्ली पुलिस ने अलर्ट जारी किया है।
कोरोनाकाल के बाद यह पहली कांवड़ यात्रा है। वर्ष 2018 में दो करोड़ से ज्यादा कांवड़िए आए थे। 2019 में यह संख्या तीन करोड़ को पार कर गई थी। इस बार दो साल के अंतराल पर यात्रा हो रही है तो कांवड़ियों की संख्या चार करोड़ को पार कर सकती है।
जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस भार्गव डी कारिया की खंडपीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि इसमें कोई दम नहीं है।
कोविड के मद्देनजर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने दिल्ली में कांवड़ यात्रा के आयोजन को रद्द कर दिया है।
Kanwar Yatra: कल यूपी के अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने शनिवार को बताया कि राज्य सरकार की अपील के बाद कांवड़ संघों ने यात्रा रद्द करने का निर्णय लिया। कांवड़ यात्रा 25 जुलाई से शुरू होनी थी।
उत्तर प्रदेश में कावंड़ यात्रा को लेकर राज्य की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। यूपी में इस साल भी कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया गया है।
राजस्थान सरकार ने भारत के कई राज्यों में श्रावण मास में आयोजित होने वाली पवित्र कावड़ यात्रा सहित सभी धार्मिक जुलूसों को स्थगित कर दिया है।
राजस्थान में अनलॉक को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। नई गाइडलाइन में कांवड यात्रा व किसी तरह के जुलूस पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके अलावा ईद उल ज़ुहा त्योहार पर किसी भी तरह की भीड़ या इकट्ठा होकर इबादत पर भी रोक लगा दी गई है।
इस साल की कांवड़ यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर कहा है कि कोरोना को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने कांवड़ यात्रा की अनुमति का विरोध किया है।
यूपी सरकार का दावा है कि कोरोना के मामलों में काफी तेजी से गिरावट आई है और टीकाकरण तेजी से हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के उत्तर प्रदेश सरकार के चिंतित करने वाले फैसले का स्वत: संज्ञान लिया और केंद्र, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड की सरकारों से इस मामले पर जवाब मांगा।
कांवड़ यात्रा के लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश से कांवड़िए उत्तराखंड जाते हैं और वहां से कांवड़ में गंगाजल भरकर अपने अपने घरों को वापस आते हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कांवड यात्रा सिर्फ उत्तराखंड में नहीं होती है, ये यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश और दिल्ली से भी जुड़ी है। इन राज्यों के साथ बातचीत के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
लगभग 10-15 दिन तक चलने वाली कांवड़ यात्रा का इस साल 25 जुलाई से शुरू होनी थी और 6 अगस्त तक चलनी थी लेकिन कोरोना महामारी के संक्रमण का खतरा देखते हुए राज्य सरकार ने इसे रद्द करने का फैसला किया है।
पिछले महीने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच इस कांवड़ यात्रा को निरस्त करने पर सहमति बनी थी।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा ने संयुक्त रूप से निर्णय लेते हुए 6 जुलाई से शुरू होने वाली वार्षिक कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है।
कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। हरिद्वार में बड़ी संख्या में कांवड़ियों को एकत्र होने से रोकने के लिए संतों और महात्माओं ने भी यात्रा रद्द करने का समर्थन किया है।
इसे आस्था कहें, चमत्कार या फिर अंधविश्वास... मेरठ-बागपत और आसपास के इलाकों से शिव परिवार के दूध पीने की तस्वीरें हैरान कर रही है।
सुधीर मक्कड़, जिन्हें अब 'गोल्डन बाबा' के नाम से जाना जाता है, वह यहां चल रही कांवड़ यात्रा में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
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