Friday, April 26, 2024
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Rajat Sharma’s Blog- कोरोना का खतरा: क्या यूपी सरकार को कांवड़ यात्रा रोक देनी चाहिए?

यूपी सरकार का दावा है कि कोरोना के मामलों में काफी तेजी से गिरावट आई है और टीकाकरण तेजी से हो रहा है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: July 15, 2021 16:35 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के यूपी सरकार के फैसले पर एक अखबार की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया। उत्तराखंड सरकार ने महामारी के डर से कांवड़ यात्रा की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने केंद्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब मांगा है। जस्टिस रोहिंटन नरीमन और जस्टिस बी. आर. गवई की बेंच ने कहा, ‘25 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर अखबार में आज की हेडलाइन को देखकर हम थोड़े चिंतित हैं।’

जस्टिस नरीमन ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, “हमें अखबार में यह पढ़कर थोड़ी चिंता हुई है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा को जारी रखने का फैसला किया है, जबकि उत्तराखंड ने दूरदर्शिता दिखाते हुए इसकी इजाजत नहीं दी। भारत के नागरिक बेहद हैरान हैं और उन्हें पता ही नहीं कि चल क्या रहा है। और यह सब तब हो रहा है जब प्रधानमंत्री ने देश में कोविड की तीसरी लहर के खतरे के बारे में पूछे जाने पर कहा था, ‘हम थोड़ा सा भी समझौता नहीं कर सकते’।”

ध्यान देने वाली बात यह है कि केंद्र, यूपी और उत्तराखंड में से किसी भी सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष कोई याचिका दायर नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अखबार की रिपोर्ट पर स्वत: इस मामले का संज्ञान लिया। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के मंत्रियों ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार ने सभी तरह के खतरों के आकलन और सारे एहतियाती इंतजाम करने के बाद ही यात्रा की अनुमति दी है।

प्रधानमंत्री ने हिल स्टेशनों पर पर्यटकों की बढ़ती संख्या और शहरों के बाजारों की भीड़ पर चिंता व्यक्त की थी और उनके बयान से सबक लेते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांवड़ यात्रा करने वाले अधिकांश यात्री पवित्र गंगा जल को लेने के लिए हरिद्वार जाते हैं। हालांकि, यूपी सरकार ने 25 जुलाई से पूरी एहतियात बरतते हुए यात्रा की इजाजत देने का फैसला किया। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया है, तो राज्य सरकारों और केंद्र दोनों को अपना-अपना रुख स्पष्ट करना होगा।

कांवड़ यात्रा के मुद्दे को इसलिए उठाया गया क्योंकि प्रधानमंत्री ने महामारी की संभावित तीसरी लहर के बारे में चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम लागू करने के लिए कहा था कि कहीं भी भीड़भाड़ न हो और तीसरी लहर को रोका जा सके। मोदी ने हिल स्टेशनों और शहरों के बाजारों में उमड़ रही भीड़ के बारे में बात की थी। जहां उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के बयान को सुनने के बाद कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी, वहीं यूपी सरकार ने इसकी इजाजत दे दी। राज्य सरकार का दावा है कि कोरोना के मामलों में काफी तेजी से गिरावट आई है और टीकाकरण तेजी से हो रहा है।

मैं मानता हूं कि उत्तर प्रदेश की सरकार कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाने में काफी हद तक सफल हुई है। मैं इस बात से भी सहमत हूं कि कांवड़ यात्रा सख्त कोविड प्रोटोकॉल के तहत निकाली जाएगी, लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि यदि हजारों कांवड़ यात्री हरिद्वार जाने के दौरान विभिन्न जगहों पर इकट्ठा होंगे तो कोरोना नहीं फैलेगा?

कांवड़िए अलग-अलग राज्यों से गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार आएंगे और अधिकारियों के लिए भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल होगा। इस साल की शुरुआत में हरिद्वार में कुंभ मेले में हजारों भक्तों की भीड़ जुटने के बाद जल्द ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में महामारी तेजी से फैली थी। मेले की इजाजत देने के लिए राज्य के अधिकारियों की काफी आलोचना की गई थी। ऐसे में सरकार पर सवाल उठाने के लिए आलोचकों को एक और मौका देने की क्या जरूरत है?

मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि अगर हम इस साल संयम बरतते हैं और सख्ती से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हैं, तो अगले साल कांवड़ यात्रा महामारी के डर के बिना धूमधाम से निकलेगी।

महामारी केवल उत्तर प्रदेश या उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती है। इंडोनेशिया और रूस जैसे देश बेहद ही मुश्किल समय का सामना कर रहे हैं। ब्रिटेन में कोरोना की तीसरी लहर चरम पर है और वहां एक दिन में 54 हजार मरीज मिल रहे हैं। चूंकि ब्रिटेन में 50 पर्सेंट से ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है, इसलिए संक्रमित होने वाले लोगों में से ज्यादातर अपने घरों में ही ठीक हो रहे हैं और उन्हें अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ रही है। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सभी नागरिकों से वैक्सीन लगवाने की अपील की है, लेकिन क्या इस समय हमारे पास बड़े स्तर पर लोगों के टीकाकरण के लिए पर्याप्त स्टॉक है?

कोविड के टीकों की सप्लाई में गिरावट के कारण 3 जुलाई से पूरे भारत में टीकाकरण अभियान धीमा हो रहा है। 21 से 27 जून तक 4 करोड़ डोज लगाई गई थीं, लेकिन 5 से 11 जुलाई तक केवल 2.30 करोड़ डोज ही लग पाईं। टीकों की कमी के चलते सैकड़ों लोग टीकाकरण केंद्रों से खाली हाथ लौट रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोगों को दोनों डोज लग पाएं, रोजाना कम से कम 80 लाख लोगों को टीका लगाने की जरूरत है। लेकिन जुलाई के महीने में कुल 13 करोड़ 50 लाख डोज उपलब्ध होंगी यानि औसतन 45 लाख लोगों को हर रोज वैक्सीन दी जा सकेगी।

वैक्सीन निर्माताओं कोविशील्ड और कोवैक्सिन ने अब तक अपना उत्पादन नहीं बढ़ाया है। स्पुतनिक वी के टीके भारत में बनने शुरू होंगे। एक साल में इसकी 30 करोड़ डोज बनाने की प्लानिंग है, लेकिन पहला बैच सितंबर में ही आ पाएगा।

अब तक 38 करोड़ भारतीयों को वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी हैं, जो विश्व स्तर पर भले ही एक बड़ा आंकड़ा हो, लेकिन हमारी 137 करोड़ आबादी की तुलना में यह एक तिहाई भी नहीं है। हमें वैक्सीन की सप्लाई में जल्द ही सुधार की उम्मीद करनी चाहिए ताकि भारत के लोग महामारी की तीसरी लहर को सफलतापूर्वक रोक सकें। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 जुलाई, 2021 का पूरा एपिसोड

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