अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर की पहली मंजिल पर राम दरबार समेत आठ मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शुरुआत कल से होगी। गंगा दशहरा के त्योहार के साथ तीन से पांच जून तक होने वाले इस कार्यक्रम की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। देश भर के धार्मिक नेताओं और संतों को निमंत्रण पत्र भेजे जा चुके हैं। तीन जून से शुरू होनेवाली वैदिक पूजा से पहले दो जून को सरयू आरती स्थल से कलश यात्रा निकाली जाएगी। कार्यक्रम कुछ इस प्रकार है।
2 जून को कलश यात्रा
2 जून को सरयू आरती स्थल से कलश यात्रा निकाली जाएगी। राम दरबार की संगमरमर की मूर्ति प्रथम तल पर स्थापित की जाएगी। इसके साथ हीजटायु, तुलसीदास, वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, शबरी, अहिल्या आदि की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। परकोटा – 800 मीटर लंबा, 14 फीट चौड़ा है। चार दिशाओं में सुरक्षा संरचना का निर्माण किया गया है।
3 व 4 जून को वैदिक पूजा
3 व 4 जून को सुबह 6:30 से 12 घंटे तक वैदिक पूजा राम मंदिर अयोध्या में होगी। 5 जून को सुबह 6:30 से पूजा शुरू होगी। 11:00 बजे अभिजीत मुहूर्त में रामदरबार की प्राण प्रतिष्ठा होगी। प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आचार्य कर्मकांडी पं. जयप्रकाश होंगे। कुल 101 वैदिक विद्वान भी इसमें शामिल होंगे।
6 जून से आम जनता कर सकेगी दर्शन
मंदिरों के कलश पर स्वर्ण लेपन किया गया है। सभी दरवाजे लग चुके हैं। लिफ्ट का निर्माण किया गया है। प्रथम तल पर दर्शन की व्यवस्था पर विचार किया जा रहा है। 6 जून से मंदिर दर्शन आम जनता के लिए खोलने पर विचार किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट स्क्रीन व CCTV के माध्यम से किया जाएगा। एक आचार्य सभी मंडपों में लाइव आकर मंत्रों का उच्चारण करेंगे सभी अनुष्ठान स्थलों पर बड़ी बड़ी स्क्रीन के माध्यम से कर्मकांडी वैदिक विद्वानों को CCTV के द्वारा पूजन कर्म का दिशा निर्देश देंगे।
पहली मंजिल पर होगा अभिषेक
राम दरबार और सात अन्य मंदिरों का अभिषेक राम मंदिर की पहली मंजिल पर किया जाएगा। इसमें गर्भगृह के चारों ओर बनाये जा रहे आयताकार घेरे का भी वर्णन किया गया है, जिसके कोनों पर और घेरे के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर मंदिर स्थित होंगे। निमंत्रण में बताया गया है कि अभिषेक समारोह शिव, गणेश, हनुमान, सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा और शेषावतार समेत विभिन्न देवताओं को समर्पित मंदिरों में आयोजित किये जाएंगे।
प्रमुख मूर्तियां:
- शिवलिंग (मंदिर स्थल)
- गणेश (दक्षिण-पूर्व कोना)
- हनुमान (दक्षिणी भुजा)
- सूर्य देव (दक्षिण-पश्चिम कोना, रथ सहित)
- अन्नपूर्णा व राम रसोई (उत्तरी भुजा)
अनुष्ठान तीन और चार जून को सुबह साढ़े छह बजे शुरू होंगे और शाम साढ़े छह बजे तक जारी रहेंगे, जबकि समापन के दिन पांच जून को कार्यक्रम दोपहर एक बजे तक समाप्त हो जाएंगे। आमंत्रित अतिथियों के लिए ट्रस्ट ने मंदिर परिसर में सुबह के जलपान और दोपहर के भोजन की व्यवस्था की है। हालांकि, उनके संबंधित आश्रमों में रात का खाना खाने की उम्मीद है। ट्रस्ट के निमंत्रण में आयोजन के आध्यात्मिक महत्व पर जोर दिया गया है और धार्मिक नेताओं से पवित्र गवाहों के रूप में समारोह में उपस्थित होने का आग्रह किया गया है।