Friday, April 26, 2024
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दुष्कर्म के मामले में पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री स्‍वामी चिन्‍मयानंद बरी, शिष्या से यौन शोषण के थे आरोप

शाहजहांपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को अपनी शिष्या से दुष्कर्म के मुकदमे में बरी कर दिया है। 13 साल पहले 2011 में स्वामी चिन्मयानंद पर उनकी शिष्या ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: February 02, 2024 8:39 IST
Swami Chinmayanand- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले की एक अदालत ने पूर्व केन्‍द्रीय गृह राज्य मंत्री स्‍वामी चिन्‍मयानंद को गुरुवार को रेप के मामले में बरी कर दिया। अदालत ने चिन्‍मयानंद को एक शिष्या के साथ यौन शोषण के मामले में साक्ष्‍य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के अधिवक्ता फिरोज हसन खान ने पीटीआई-भाषा को गुरुवार को बताया कि स्थानीय एमपी/एमएलए अदालत के अपर जिला न्‍यायाधीश एहसान हुसैन ने आज मामले की सुनवाई करते हुए साक्ष्‍य के अभाव में स्‍वामी चिन्‍मयानंद को बरी कर दिया। 

चिन्‍मयानंद के कॉलेज में पढ़ाती थी शिष्या

बता दें कि शाहजहांपुर शहर में ही स्थित मुमुक्षु शिक्षा संस्थान के डीन और पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री पर उन्हीं के कॉलेज में पढ़ाने वाली उनकी एक शिष्या ने यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया था। पीड़िता ने अपनी तहरीर में स्वामी चिन्मयानंद पर दुराचार का आरोप लगाया था, जिसका मामला शहर कोतवाली पुलिस ने 30 नवंबर 2011 को दर्ज किया था। मामले की विवेचना पूरी करने के बाद पुलिस ने आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया था, जिसके बाद सुनवाई चल रही थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में 6 गवाह अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए और शासकीय अधिवक्ता नीलिमा सक्सेना ने भी बहस की है। उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से चिकित्सक और पीड़िता के अलावा रिपोर्ट दर्ज करने वाले लेखक खुर्शीद और रेडियोलाजिस्ट एमपी गंगवार और बीपी गौतम ने गवाही दी है। 

साल 2011 में दर्ज हुआ था यौन शोषण का मामला

स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के वकील ने बताया कि अदालत ने स्वामी चिन्मयानंद को इस मामले में दोषी न पाते हुए उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया है। गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और मुमुक्षु आश्रम के संस्थापक स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उनकी शिष्या ने साल 2011 में यौन शोषण का मामला दर्ज कराया था। साल 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने यौन शोषण के इस मामले को वापस लेने के लिए जिलाधिकारी के माध्यम से न्यायालय को पत्र भेजा था। परंतु पीड़िता ने आपत्ति जताते हुए अदालत से अनुरोध किया था कि वह मामला वापस नहीं लेना चाहती है। 

इसलिए मामला वापसी का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया था, साथ ही स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध जमानती वारंट जारी किया गया था। इसके बाद चिन्मयानंद ने केस वापस लेने के लिए उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। जब उच्च न्यायालय ने भी उनकी अपील खारिज कर दी तो उन्होंने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी उनकी अपील खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय इलाहाबाद से यौन शोषण मामले में स्वामी चिन्मयानंद को 19 दिसंबर, 2022 को अग्रिम जमानत मिल गई थी। तबसे यह मामला अदालत में विचाराधीन था।

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