Monday, April 29, 2024
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हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में ED अधिकारियों पर हमले की जांच के लिए SIT बनाई, निचली अदालत में कार्रवाई पर लगी रोक

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखाली में ईडी अधिकारियों पर हमले की जांच के लिए सीबीआई-बंगाल पुलिस की संयुक्त विशेष जांच टीम का गठन किया है।

Mangal Yadav Written By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Updated on: January 17, 2024 18:25 IST
कलकत्ता उच्च न्यायालय- India TV Hindi
Image Source : ANI कलकत्ता उच्च न्यायालय

कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखाली में ईडी अधिकारियों पर हमले की जांच के लिए सीबीआई-बंगाल पुलिस की संयुक्त एसआईटी टीम का गठन किया है। राज्य पुलिस और सीबीआई की संयुक्त टीम (एसआईटी) जांच करेगी। टीम का नेतृत्व करने के लिए एक एसपी रैंक का आईपीएस अधिकारी, एक एसपी रैंक का सीबीआई अधिकारी होगा।  

निचली अदालत में कार्रवाई पर लगी रोक

मिली जानकारी के अनुसार, हाई कोर्ट ने 2019 में संदेशखाली में दो व्यक्तियों की हत्या और एक अन्य के अपहरण के मामले में निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही पर बुधवार को रोक लगा दी। मामले में शिकायतकर्ता ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता शेख शाहजहां को मुख्य आरोपी के तौर पर नामजद किया था। अपहृत व्यक्ति का कंकाल लगभग दो साल बाद इलाके में एक नदी के किनारे पाया गया था। याचिकाकर्ताओं में से एक महिला मृतक की विधवा है। 

21 फरवरी को होगी अगली सुनवाई 

याचिकाकर्ताओं ने मामले की जांच स्वतंत्र केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए दावा किया कि स्थानीय पुलिस ठीक से जांच नहीं कर रही है। इसे एक बहुत गंभीर मामला बताते हुए न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने अगले आदेश तक निचली अदालत के समक्ष मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी। अदालत ने राज्य को 21 फरवरी को सुनवाई की अगली तारीख पर सभी संबंधित मामलों में केस डायरी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

2019 में हुआ था मर्डर

पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता किशोर दत्ता के अनुरोध पर अदालत ने राज्य को तीन सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी। याचिकाकर्ताओं को इसके बाद एक सप्ताह में जवाब दाखिल करना होगा। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल टीएमसी के प्रति निष्ठा रखने वाले उपद्रवियों ने जून, 2019 में उत्तर 24 परगना जिले के नजात थाना क्षेत्र के अंतर्गत संदेशखाली में उनके घरों पर हमला किया और प्रदीप मंडल और सुकांत मंडल की हत्या कर दी और देबदास मंडल का अपहरण कर लिया, जिनके अवशेष दो साल बाद वहां एक नदी के किनारे पाए गए थे।

यह आरोप लगाया गया था कि स्थानीय पुलिस द्वारा उन चार लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया जिनका नाम प्राथमिकी में नहीं था, जबकि शाहजहां शेख का नाम इसमें नहीं था। याचिकाकर्ता ने कहा कि शिकायतकर्ता ने शाहजहां को मामले में मुख्य आरोपी बताया था।

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